अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को आप विधायकों के साथ बैठक की। बैठक के बाद आप पार्टी ने कहा कि अगर केजरीवाल को ईडी गिरफ्तार करती है तो वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं देंगे जेल से ही सरकार चलाएंगे। इस लिहाज से अगर केजरीवाल के लिए “तानाशाह” शब्द यूज किया जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। देखा जाए तो, केजरीवाल जब अपने ऑफिस में बैठते है तो उनके पीछे दो तस्वीरें दिखाई देती है, एक संविधान निर्माता भीम राव आंबेडकर की होती है, तो दूसरी शहीद भगत सिंह की होती है। जो देश प्रेम और संविधान का नाटक है। ऐसे में आप द्वारा यह कहना कि केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे,क्या यह संविधान का हवाला देने वाले व्यक्ति के लिए सही है? बड़ा सवाल है. जनता को भी समझना चाहिए की कौन नेता संविधान का पालन कर रहा है कौन नहीं कर रहा है। आप के इस बयान से कट्टर ईमानदार केजरीवाल की पोल खुल गई है।
केजरीवाल खुद को कट्टर ईमानदार बताते रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या सच में केजरीवाल कट्टर ईमानदार हैं भी या नहीं, क्योंकि उनके कार्य कलाप ऐसे होते है जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। सोमवार को केजरीवाल ने सभी आप विधायकों की बैठक बुलाई थी। देर रात हुई बैठक के बाद आप ने एक बयान जारी किया। जिसमें कहा गया कि भले केजरीवाल दिल्ली शराब नीति घोटाले के मामले में जेल चले जाएं, लेकिन वे ही मुख्यमंत्री रहेंगे। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि अपने पीठ के पीछे भीम राव आंबेडकर की तस्वीर लगाने वाले केजरीवाल क्या संविधान की धज्जियां नहीं उड़ाएंगे? विपक्ष के नेता पीएम नरेंद्र मोदी को “तानाशाह” या “हिटलर” कहते हैं। ऐसे बयान के आधार पर क्या केजरीवाल को तानाशाह या हिटलर नहीं कहा जा सकता है। क्या आप के बयान को सही ठहराया जा सकता है? क्या लोकतंत्र की दुहाई देने वाले आप नेताओं के लिए सत्ता ही सबकुछ है।
आप पार्टी का यह भी कहना है कि संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि एक सिटिंग सीएम को जेल में डालने की कोशिश की जाए और इसके लिए इस्तीफा लिया जाए। लेकिन, क्या ऐसा संभव हो सकता है? सवाल यह है कि अगर केजरीवाल ऐसा ही करते हैं तो क्या लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक चुनौती पैदा नहीं होगी। क्या यह बयान अव्यवहारिक नहीं है, जिसे किसी तरह से जायज नहीं कहा जा सकता है। क्या परम्पराओं की अनदेखी करना सही होगा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़कर अस्तित्व में आई पार्टी पर सवाल खड़ा हो सकता है। वहीं, पार्टी अनैतिक और परम्पराओं के खिलाफ जाकर सत्ता को भोगना चाहती है। पार्टी यह कहती रही है कि राजनीति में आने के बाद कोई सुविधा नहीं लेगी। आज वही आप पार्टी सत्ता का हर सुख भोग रही है।
ऐसे दो मामले हैं, जिसमें दो नेता सत्ता में रहते हुए जेल गए। लेकिन जेल जाने से पहले उन्होंने किसी दूसरे व्यक्ति को मुख्यमंत्री बना गए थे। इसमें आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव सबसे चर्चित नेता है। जो जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया था। इसके अलावा जयललिता को भी सत्ता में रहते हुए जेल जाना पड़ा था। उस समय उन्होंने भी दूसरे नेता को मुख्यमंत्री बनाया था। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में एक परंपरा है, एक नैतिकता है कि जब कोई मुख्यमंत्री जेल जाता है तो अपने पद से इस्तीफा दे देता है। लेकिन, आप पार्टी का बयान बचकाना है, जिसे किसी प्रकार से सही नहीं ठहराया जा सकता है। क्या कोई मुख्यमंत्री जेल से सरकार चला सकता है। क्या यह नैतिकता के अनुरूप है ? यह बड़ा सवाल है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुत कुछ परंपराओं से चलता है, यह जरुरी नहीं है कि सब कुछ लिखित ही हो। अगर कोई पार्टी यह कहती है उसके मुख्यमंत्री जेल से सरकार चलाएंगे, यह हास्यास्पद और परम्पराओं के उलट होगा।
इतना ही नहीं, अगर कोई मुख्यमंत्री ऐसा करता भी है तो उसके सामने कई चुनौतियां आएंगी। जिसका समाधान करना बहुत ही मुश्किल होगा। जेल में रह रहा मुख्यमंत्री अगर कोई निर्णय लेना चाहेगा या कैबिनेट की बैठक करना चाहेगा तो वह यह कैसे कर पायेगा। क्या सभी कैबिनेट के मंत्री जेल में जाकर कर मुख्यमंत्री के साथ बैठक करेंगे। जेल में केवल कैदी ही जा सकते हैं नेता नहीं जा सकते हैं। इतना ही नहीं अगर, मुख्यमंत्री अधिकारियों के साथ बैठक करना चाहें तो क्या सभी अधिकारी जेल में बैठक करेंगे? जेल में दो ही लोग जा सकते हैं एक कैदी, दूसरा कैदियों से मिलने वाले लोग जिसे विजिटर भी कहा जाता है। विजिटर के लिए समय तय होता है। यह तो रहा आप पार्टी के बयान से उठे सवाल है।
अब सवाल यह है कि अगर केजरीवाल खुद को निर्दोष मानते हैं तो उन्हें बेवजह का बयान देने से बचना चाहिए। उन्हें कोर्ट जाना चाहिए अगर वे निर्दोष होंगे तो उन्हें कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता है। लेकिन,केजरीवाल का शराब नीति घोटाले में ईडी से मिले नोटिस पर पेश होने के बजाय बहाना बना रहे हैं। खुद को कोई भी साफ पाक बताता है। उदाहरण के तौर एक चोर भी कहता है कि उसने कोई चोरी नहीं की है।मगर जब उसके खिलाफ सबूत पेश होता है तो वह फंस जाता है। बेहतर होगा कि आप पार्टी या केजरीवाल अपना अहंकार छोड़े और ईडी के सवालों का जवाब दें और लोकतांत्रिक तरीके से सरकार चलायें।
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