“इंडिया” गठबंधन का दोहरा चरित्र सामने आ गया है। विपक्षी गठबंधन ने देश के जाने माने 14 एंकरों का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। अब यही विपक्ष “न्यूज़ क्लिक” न्यूज़ पोर्टल पर हुई कार्रवाई पर सवाल उठा रहा है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर यह दोहरा मापदंड क्यों? “न्यूज़ क्लिक” पर आरोप है कि चीन द्वारा इसे फंडिंग किया जाता है, जिसका उपयोग देश विरोधी अजेंडा चलाने में किया जाता है।
गौरतलब है कि, ईडी द्वारा पहले से ही यह आरोप लगाए गए हैं कि “न्यूज़ क्लिक” को विदेश से फंडिंग की जाती है। जो एफसीआरए यानी फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेग्युलेशन एक्ट का उल्लंघन करती है। साथ ही ईडी ने “न्यूज़ क्लिक” पर यह भी आरोप लगाये थे कि फंडिंग का इस्तेमाल देश विरोधी गतिविधियों में किया जाता है। एजेंसी ने यह भी आरोप लगाया था कहा कि “न्यूज़ क्लिक” को अमेरिका के अरबपति नेविल राय सिंघम द्वारा फंडिंग की जाती है। इस संबंध में पिछले माह अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने भी ऐसा ही दावा किया था।
अमेरिकी अखबार का कहना था कि “न्यूज़ क्लिक” को चीन के रहने वाले नेविल राय सिंघम द्वारा फंडिंग किया जाता है। “न्यूज़ क्लिक” को अवैध तरीके से 38 करोड़ रूपये दिए गए थे। इस संबंध में ईडी ने “न्यूज़ क्लिक” के संपादक के ठिकानों पर 2021 में छापेमारी भी की थी। बता दें कि “न्यूज़ क्लिक” के खिलाफ दो साल से जांच चल रही है।
लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि अब इस कार्रवाई पर “इंडिया” गठबंधन ने सवाल उठाया है। लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा है कि यह कार्रवाई दुर्भाग्यपूर्ण है। जो लोग आप से सवाल करते हैं उस पर आप कार्रवाई कर रहे हो। कुछ ऐसा ही बयान कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी दिया है। इसके अलावा टीएमसी नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने भी इस कार्रवाई की आलोचना की है। लेकिन ये नेता 14 सितंबर को जब “इंडिया “गठबंधन द्वारा 14 देश के जाने माने एंकरों को बहिष्कार किया गया तो उसका विरोध नहीं किया। बल्कि उन्होंने इसका समर्थन किया। “इंडी ” गठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया था कि ये नेता देश में नफरत फैला रहे हैं और केवल मोदी सरकार का गुणगान करते हैं।
विपक्ष लगातार लोकतंत्र की बात करता है, संविधान की बात करता है, लेकिन आज अपने ही देश में उन्होंने 14 पत्रकारों को एक तरह से बैन कर दिये हैं। क्या यह सही है? “न्यूज़ क्लिक” पर अगर कार्रवाई हो रही है तो उस पर लगे आरोप पर हो रही है। इस मामले में “न्यूज़ क्लिक” के सम्पादक को सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी से राहत दी थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि विपक्ष एक ऐसे संस्थान का समर्थन कर रहा है, जिस पर देश विरोधी गतिविधायों में शामिल होने के आरोप लगे हैं। इस मामले में विपक्ष को राजनीति करने के बजाय खुलकर इस कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए। लेकिन नहीं, जब विपक्ष से सवाल किया जाता है तो वह उसे नफ़रत वाला और सरकार समर्थक बताकर उन पत्रकारों का बहिष्कार किया जाता है।
देश के लोग किसी भी पार्टी से जुड़ सकते है, उन पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जा सकता है ,विपक्ष का यह कदम अलोकतांत्रिक है। जिसे किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है। विपक्ष का यह बहिष्कार न तो प्रेस के लिए सही है और न ही विपक्ष के लिए.क्योंकि मीडिया के जरिये ही सरकार या विपक्ष अपनी बात पहुंचाता है। हर किसी को अपनी बात करने अधिकार संविधान में दिया गया है। लेकिन देश की कीमत पर नहीं।
यह विपक्ष का दोहरा चरित्र है, विपक्ष पहले देश के इन 14 पत्रकारों का की सूची बनाता है। उसके बाद सार्वजनिक मंच से यह घोषणा करता है कि हम इन पत्रकारों के शो में नहीं जाएंगे और न ही गठबंधन शामिल पार्टी का नेता उनके शो में जाएगा। हम उनका बहिष्कार करते हैं। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि विपक्ष इस तरह से मीडिया का बहिष्कार करे। देशवासियों के सामने विपक्ष का चेहरा सामने आ चुका है कि कैसे विपक्ष दोगलेपन का शिकार है।
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