महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा भूचाल आना तय है। कोरोना काल की पिछली सरकार ने जिस तरह से अपना गुणगान कर रही थी अब उसकी कलई खुलने लगी है। साफ़ है कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा धमका हो सकता है। ईडी द्वारा बीएमसी के आयुक्त इकबाल चहल को नोटिस भेजा गया है। जिसमें उन्हें सोमवार को दस्तावेज के साथ उपस्थित होने को कहा गया है। कोरोना काल में हुए घोटाले के बारे में उनसे पूछताछ के लिए बुलाया है।
इस नोटिस में कोरोना काल में कोविड सेंटर बनाने और सामान खरीदी में घपला का आरोप है। इतना ही नहीं आरोप में यह भी कहा गया है कि कोरोना सेंटर और सामान खरीदी के लिए जिस कंपनी को अनुबंधित किया गया था उसके पास मेडिकल का कोई अनुभव नहीं है। बावजूद इसके इस कंपनी को मेडिकल से जुड़ी सेवा देने का ठेका दिया गया था।
गौरतलब है कि बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने 2022 में आजाद मैदान पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद अगस्त माह में इसी मामले को लेकर केस दर्ज किया गया था। सोमैया ने आरोप लगाया था कि लाइफ लाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज फर्म को मेडिकल क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं था। बावजूद इसके इस फर्म को कोरोना काल में कोविड सेंटर बनाने और सामान खरीदी का ठेका दिया गया था। जिस पर सवाल खड़ा होता है क्योंकि इस फर्म को इस क्षेत्र के बारे में कोई जानकारी थी। इस फर्म की सेवा 2020 से लेकर 2022 तक ली गई।
वहीं, इकबाल चहल को नोटिस मिलने पर किरीट सोमैया ने घेरते हुए उन पर वार किया है। उन्होंने पूछा है कि इकबाल चहल संजय राउत के पार्टनर को बचाने की क्यों कोशिश की? संजय राउत के साथी ने कोरोना के मरीजों से खिलवाड़ किया है और बीएमसी के आयुक्त उन्हें बचाने की कोशिश कर रहे हैं। मालूम हो कि इस मामले में सुजीत पाटकर पर भी आरोप लगे हैं। जो शिवसेना नेता संजय राउत के विश्वासपात्र बताये जाते हैं। लोगों का कहना है कि कोरोना घोटाले की आग की आंच मातोश्री तक पहुंच सकती है। एक तरह से यह भी कहा जा सकता है कि इस मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी घिरते नजर आ रहे हैं।
क्योंकि उनके आदेश पर ही इस फर्म को कोविड सेंटर और सामान खरीदी का ठेका दिया गया था। इसलिए कहा जा रहा है कि आने वाले समय में उद्धव ठाकरे पर भी कोरोना काल में हुए घोटाले की आंच पहुंच सकती हैं। उद्धव ठाकरे कई बार कह चुके हैं कि कोरोना काल में उनकी सरकार ने अच्छा काम किया था। लेकिन,अब कोरोना काल में हुए घोटाले के बाद उद्धव ठाकरे एक बार फिर बीजेपी के निशाने पर आ जाएंगे हैं। जिस तरह से महाविकास अघाड़ी में शामिल मंन्त्रियों पर घोटाले के आरोप लगे हैं। उससे कई तरह के सवाल खड़े होते हैं।
लोगों का कहना है कि क्या अघाड़ी सरकार लूटपाट के लिए बनी थी। एनसीपी के नेता अनिल देशमुख पर वसूली का आरोप लगा है। तो इसी पार्टी के नेता नवाब मलिक पर धन शोधन का आरोप लगा है जो फिलहाल जेल में है,जबकि अनिल देशमुख जमानत पर हैं। बहरहाल, अब इस मामले में ईडी ने जांच शुरू कर दी है। इसके अलावा ईडी ने चहल को इस मामले से संबंधित दस्तावेज को भी लाने को कहा है।
इस मामले में सोमैया ने यह भी आरोप लगाया है कि फर्म ने अपनी कई असलियत छुपाई है। और बीएमसी को गुमराह किया है। सोमैया की शिकायत में कहा गया है कि पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण ने इस कंपनी की सेवा रद्द कर दी थी। इतना ही नहीं इस कंपनी द्वारा जमा राशि भी जब्त कर लिया था। इस बात को कंपनी ने बीएमसी से छुपाया जिसकी वजह से कंपनी को कोरोना काल में कोरोना सेंटर बनाने तथा अन्य सेवाओं का ठेका हासिल किया। साथ ही ठेका को हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज भी जमा किये।
सोमैया ने बीएमसी के अधिकारियों को भी इसमें लपेटते हुए कहा कि जिस तरह इस कंपनी को ठेका दिया गया, उससे निगम के अधिकारी सवालों के घेरे में हैं। उन्होंने पूछा कि क्या निगम के अधिकारी मातोश्री के लिए काम कर रहे थे या मुंबईकर के लिए, यह उन्हें बताना चाहिए। सोमैया ने आरोप लगाया कि इसके लिए कोई टेंडर जारी नहीं किया गया है। बल्कि संजय राउत के पार्टनर को इसलिए यह ठेका मिल गया कि मातोश्री से फोन आता है।
उन्होंने कहा कि इससे जुड़े सभी दस्तावेज उनके पास हैं। बता दें कि पत्रा चाल घोटाले में संजय राउत आरोपी है। उन्हें अगस्त माह में गिरफ्तार किया गया था। बीते साल उन्हें जमानत मिली थी।इतना ही नहीं संजय राउत की पत्नी से भी इस मामले में पूछताछ हो चुकी है। गोरेगांव में पात्रा चाल पुनःनिर्माण के नाम पर आम जनता को छला गया। लेकिन उन्हें अभी तक छत मुहैया नहीं कराई गई। आने वाले समय में कोरोना घोटाले पर जमकर राजनीति हो सकती हैं। क्योंकि,शिंदे सरकार ने सत्ता में आते ही बीएमसी में पिछले दो सालों में किये गए कार्यों पर सवाल उठाया था।
इसी तरह,बीएमसी की पूर्व मेयर किशोरी पेडनेकर पर अवैध रूप से फ़्लैट पर कब्जा करने का आरोप है। किशोरी पेडनेकर शिवसेना की नेता हैं। किरीट सोमैया ने पेडनेकर पर आरोप लगाया था कि वर्ली एसआरए परियोजना में पेडनेकर ने छह फ्लैटों पर अवैध रूप से कब्जा जमा लिया। इस मामले में पेडनेकर से पुलिस ने कई दफा पूछताछ भी कर चुकी है।