समलैंगिक विवाह से मदरसा तक…; CJI चंद्रचूड़ के महत्वपूर्ण फैसले!,अगले सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना!
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे|अगले सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना होंगे|
Team News Danka
Published on: Sat 09th November 2024, 07:14 PM
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे|अगले सीजेआई न्यायमूर्ति संजीव खन्ना होंगे|अपने अंतिम कार्यकाल के दिन सीजेआई चंद्रचूड़ ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में सात न्यायाधीशों की संविधान की अगुवाई की|वही उनके द्वारा मुख्य न्यायाधीश के कार्यकाल के दौरान समलैंगिक विवाह से मदरसा, बाल विवाह, आर्टिकल 370 जैसे कई महत्वपूर्ण फैसला भी सुनाया गया|
राजनीतिक पार्टियों को चंदे के रूप में प्रयोग किये जा रहे इलेक्टोरल बॉन्ड पर चीफ जस्टिस ने कहा था कि यह स्कीम असंवैधानिक है और इससे राजनीतिक दलों और चंदा देने वालों के बीच सांठगांठ को बढ़ावा मिल सकता है|चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ ने राजनीतिक पार्टियों को चंदे के लिए इस्तेमाल किए जा रहे इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी थी|इस बॉन्ड का इस्तेमाल साल 2018 से किया जा रहा था|
यही नहीं इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सीजेआई की और गठित संविधान पीठ ने स्टेट बैंक को आदेश दिया था कि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने पर तुरंत रोक लगाए|साथ ही चुनाव आयोग से कहा था कि अप्रैल 2019 से इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा पाने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों का ब्योरा अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करे|
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने बाल विवाह पर अहम फैसला सुनाया है|इस पर अपने फैसले में चीफ जस्टिस ने कहा कि माता-पिता द्वारा अपने नाबालिग बेटियों-बेटों के बालिग होने के बाद विवाह कराने के लिए सगाई करना भी उनकी जीवन साथी चुनने की स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन है|कोर्ट के इस फैसले से परंपराओं के नाम पर चली आ रही बाल विवाह की प्रथा पर लगाम कस सकती है|
निजी संपत्तियों के मामले में चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली नौ जजों की संविधान पीठ ने 5 नवंबर 2024 को एक और अहम फैसला सुनाया|यह मामला 32 साल से लंबित था और संविधान पीठ ने 7:2 से अपना फैसला सुनाया|इस फैसले का असर यह होगा कि निजी संपत्तियों को अधिग्रहित करने से पहले सरकारों को यह साबित करना होगा कि वे संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) आती हैं|
सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट-2004 को संवैधानिक घोषित कर दिया| सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के कुछ प्रावधानों को छोड़कर उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2004 की संवैधानिक वैधता कायम रखी| और इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने 22 मार्च को इस एक्ट को असंवैधानिक करार दिया था| सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का यूपी के 12वीं के समकक्ष तक मदरसों में पढ़ाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा|
चीफ जस्टिस की अगुवाई में पांच जजों की संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को रद्द करने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा|चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय आसान करने के लिए अनुच्छेद 370 एक अस्थायी व्यवस्था थी|साथ ही कोर्ट ने कहा था कि दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित जम्मू-कश्मीर राज्य का दर्जा यथासंभव शीघ्रता से बहाल किया जाना चाहिए|
सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने समलैंगिक विवाह पर पिछले साल अक्तूबर में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया|सर्वोच्च अदालत ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दे दिया| साथ ही केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं|सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने वोट के बदले घूस लेने या विधायिका में भाषण देने के बदले रिश्वत लेने के आरोपित एमपी या एमएलए को जेल जाने से छूट नहीं दी जा सकती है|
गौरतलब है कि सात जजों की संविधान पीठ ने नोट के बदले वोट मामले में सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया कि अगर सांसद-विधायक पैसे लेकर सदन में भाषण या वोट देते हैं तो उन पर मुकदमा चलाया जाएगा| सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 105 का हवाला देते हुए कहा कि किसी को भी घूसखोरी की कोई छूट नहीं है|