कुछ दिन के बाद हम नए साल का स्वागत करेंगे। इसके लिए लोग अभी से तैयारी कर रहे हैं। हर किसी के लिए समय बहुत महत्व रखता है। क्योंकि समय मूल्यवान है। बहरहाल, 2022 में कई सामाजिक,राजनीति घटनाएं हुई जो लोगों के जेहन में आज भी ताजा है। हम यहां सभी घटनाओं का जिक्र तो नहीं कर सकते, मगर कुछ बातों का यहां जिक्र करेंगे जो राजनीतिक है। महाराष्ट्र के राजनीति गलियारे में उस समय भूचाल आ गया, जब शिवसेना के 40 विधायक गुवाहाटी में डेरा डाल लिया था। उस समय इन चालीस विधायकों का नेतृत्व एकनाथ शिंदे कर रहे थे। बाद में महाराष्ट्र में बीजेपी और शिंदे की सरकार बन गई, उसी तरह, बिहार में भी इसी साल जुलाई में नीतीश कुमार ने पाला बदलकर महागठबंधन के साथ जाकर सरकार बना ली।
दोनों सरकारों की अपनी अपनी राजनीतिक कहानी है, जिसे कहना सुनना बड़ा ही रोचक है। क्योंकि नीतीश कुमार एक ऐसे नेता हैं, जिनको लोग अब पलटू कहते हैं। इसकी वजह उनका बार बार पार्टी बदलकर सत्ता हथियाना है। जब नीतीश कुमार 2022 में जुलाई माह में बीजेपी से अलग हुए तो उन्होंने आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं, अगर एकनाथ शिंदे की बात करें तो वह पहली बार सीएम बने। जो दावा करते हैं कि बालासाहेब ठाकरे के विचारों के वे ही असली वारिस हैं। राजनीति गलियारे की भूलभुलैया में राजस्थान भी 2022 में हिचकोले खाते हुए 2023 के दहलीज पर आ गया, पर कांग्रेस नेताओं की आपसी नूराकुश्ती खत्म नहीं हुई। तो आज हम इन्हीं तीनों राज्यों के राजनीति पर बात करेंगे।
पहले बात महाराष्ट्र की, राज्य में महाविकास अघाड़ी ने ढाई साल सरकार चलाई। कोरोना काल के बीच सब कुछ घर बैठे ही होता रहा। महाविकास अघाड़ी सरकार भी घर ही बैठ गई थी। सबकुछ फेसबुक से होता रहा और जनता सरकार को जमीन पर ढूंढ़ती रही। क्योंकि ढाई साल में सरकार ने क्या किया, यह जनता को कुछ भी पता नहीं चल पाया। बस जनता यह जान पाई थी कि यह सरकार मास्क और लॉकडाउन से आगे नहीं बढ़ पाएगी।
उधर, उद्धव ठाकरे को भी पता नहीं था कि उनकी पार्टी में क्या चल रहा है? लेकिन जब उनकी नींद खुली तो देर हो चुकी थी। 20-21 जून को शिवसेना के चालीस विधायक गुवाहाटी में डेरा डाल चुके थे और महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारे में सन्नाटा छा गया था। महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने वाले शरद पवार और संजय राउत का रमल का करना बंद कर दिया था। कहा जाता है कि महाविकास अघाड़ी सरकार गिराने में अगर कोई सबसे ज्यादा दोषी है तो वह हैं संजय राउत और नवाब मलिक।
जो बेवजह अपनी बकबक से विपक्ष और जनता का समय बर्बाद करते थे। उनके आरोप,उनकी गालियां आज भी टीवी चैनल की लाइब्रेरी में शोभा बढ़ा रहीं हैं। संजय राउत के जेल जाने पर ट्वीटर उदास हो गया था जो तीन माह बाद फिर गुलजार हुआ। बहरहाल, तमाम उठापटक के बाद 29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं 30 जून को एकनाथ शिंदे ने मुख़्यमंत्री पद की शपथ ली। लेकिन, शिवसेना के एक भी विधायक ने अब तक इस्तीफा नहीं दिया है। आज असली वारिस को लेकर उद्धव और शिंदे गुट में खींचतान जारी है।
लेकिन,अब महाराष्ट्र के लोग फरवरी 2023 का इन्तजार कर रहे हैं ताकि यह जान सके कि फरवरी में महाराष्ट्र की राजनीति में क्या होगा? क्योंकि संजय राउत ने 17 दिसंबर को भविष्यवाणी की थी कि नए साल में बीजेपी और शिंदे सरकार गिर जाएगी। देखना होगा कि संजय की भविष्यवाणी कितनी सही साबित होती है ?
अब बात उस राज्य की जो कभी देश दुनिया को अपने ज्ञान से सराबोर करता था। लेकिन आज भी उसे बीमारू राज्य के नाम से जाना जाता है। जहां के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व मंत्री चारा घोटाले में सजा भोग रहे हैं। ये उस राज्य की बात है जहां की मुख्यमंत्री बिना पढ़ी लिखी थी। यह उस राज्य की कहानी है जहां किसी भी समय अपराध हो सकता है। उस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 2022 में आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। महागठबंधन में शामिल होने से पहले नीतीश कुमार बीजेपी के सत्ता थे। उसके बाद उन्होंने 9 अगस्त को बीजेपी से नाता तोड़कर महागठबंधन के साथ सरकार बना ली थी। ऐसा नीतीश कुमार पहली बार नहीं किये थे।
नीतीश कुमार महागठबंधन के साथ भी सत्ता का स्वाद चख चुके थे। उनके दल बदल की वजह से ही उन्हें पलटू कहा जाता है। अब नीतीश कुमार 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटे हुए है। कहा जा रहा है कि वे बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को 2024 में एकजुट करेंगे। अब सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार लोकसभा चुनाव में बीजेपी का विजय रथ रोक पाएंगे। देखना होगा कि नीतीश कुमार अपनी बात पर कब तक टिके रहते है?
अब उस राज्य की बात करते हैं, जहां 2023 में विधानसभा का चुनाव होना है। वह राज्य राजस्थान है। जहां कांग्रेस ही नहीं बीजेपी में भी सीएम को लेकर रार जारी है। लेकिन वर्तमान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत की रार से राजस्थान की राजनीति गरमाई हुई है। जहां अशोक गहलोत राजस्थान की सत्ता को छोड़ने के तैयार नहीं हैं। बात दें कि राजस्थान में भी महाराष्ट्र और बिहार जैसे हालात बन गए थे।
वहीं सचिन पायलट राजस्थान की कुर्सी को पाने के लिए बेताब हैं। लेकिन गहलोत हर बार उनके रास्ते में आकर रोड़ा अटकाते रहे हैं। 2022 में अध्यक्ष चुनाव के दौरान कांग्रेस में जो उठापटक हुई। उसका नतीजा अभी तक नहीं निकल पाया है। कहा जा रहा है कि तमाम कोशिश के बाद भी कांग्रेस में गुटबाजी बरकरार है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान दोनों नेताओं ने एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी। देखना होगा कि 2023 में राजस्थान में किसकी सरकार बनती है? बीजेपी की कांग्रेस की।