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Sunday, January 19, 2025
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क्या दुनिया की सबसे खतरनाक इजरायल सेना के सामने टिक पायेगा हमास? 

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शनिवार को अचानक हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे। जिसका इजरायल मुंह तोड़ जवाब देता रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि क्या हमास ने इजरायल पर हमला कर बहुत बड़ी गलती कर दी है। क्या इस बार इजरायल आर पार के मूड में है। इजरायल और हमास के बीच पुरानी अदावत है। ऐसे में आज हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि हमास क्या है ?  उसका इजरायल पर हमला करने की क्या वजह है? यह सवाल इसलिए कि इजरायल की सेना दुनिया भर की सेना से बेहद अलग है। वह अपने दुश्मनों पर कहर बनकर टूट पड़ती है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या हमास इजरायल का मुकाबला कर पायेगा।

तो दोस्तों पहले यह जानते हैं कि हमास क्या है ? दरअसल हमास फिलिस्तीनी आतंकी समूह है। जिसकी स्थापना उन्नीस सौ सत्तासी में सेख अहमद यासीन ने की थी। 12 साल की उम्र से व्हीलचेयर पर रहने वाला अहमद यासीन उन्नीस सौ सत्तासी में इजरायल के खिलाफ इंतिफादा यानी की बगावत कर दी थी। हमास को ईरान का समर्थन मिला हुआ है। अब सवाल यह है कि  हमास और इजरायल में दुश्मनी क्यों है तो हमास का मूल मकसद फिलिस्तीनी आबादी वाले  इजरायल पर कब्जा करना है। और खुद का एक स्वतंत्र देश स्थापित करने की मंशा है।

यही वजह है कि दोनों में 50 साल से संघर्ष चला आ रहा है। इस संबंध में हमास के सैन्य कमांडर मोहम्मद दीफ ने कहा है कि ” यह हमला यरुशलम में अल अक्सा मस्जिद को इजरायल द्वारा अपवित्र करने का बदला है। दरअसल इजरायल यहूदी देश है, जबकि हमास फिलिस्तीन का इस्लामिक प्रतिरोध संगठन है। इसे कई देशों द्वारा आतंकी संगठन घोषित किया गया। वैसे अब यह साफ़ हो गया है कि हमास का मुख्य मकसद क्या है और वह इजरायल पर क्यों रॉकेट दागे यह हम जान चुके है। अब सवाल यह है कि क्या हमास इजरायल के सामने टिक पाएगा।  यह बड़ा सवाल है, क्योंकि जिस तरह से हमास के हमले का इजराइल ने पलटवार किया है .उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि हमास के लिए इससे बचना मुश्किल है।

दरअसल, इजरायल की सेना दुनिया भर की सेना से सबसे अलग मानी जाती है। यहां के हर नागरिक को देश सेना  में काम करना जरुरी है। इसके बारे में कहा जाता है कि इजरायल की इस योजना के पीछे का मकसद यह है कि जरूरत पड़ने पर जवानों की कमी न हो। इसलिए  इजराइल के हर नागरिक सैन्य ट्रेनिंग लिए रहते हैं। इजरायल में लोग दो तरह से सेना में भर्ती होते है। एक अनिवार्य रूप से सेना में जाते हैं तो दूसरा अपनी रूचि के अनुसार सेना का प्रशिक्षण लेते हैं। एक तरह से कहा जा सकता है कि इजरायल की एक बड़ी आबादी  सैन्य कार्यों  में दक्ष होते हैं।

इजरायल में सेना के जवानों को  संकल्प दिलाया जाता है कि उसे किसी हालात में युद्ध में नहीं  हारना है। इजराइल का यह मूल मंत्र है कि युद्ध से लेकर तकनीकी क्षेत्र में सबसे अलग रहे। वैसे इजरायल की सेना कई मौकों पर यह साबित किया है कि वह दुनिया की बेहतरीन आर्मी है। जो किसी भी परिस्थिति में अपने दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब देगी। इसके अलावा इजरायल  के मूलमंत्रों में यह भी शामिल है कि वह अपनी सीमा का विस्तार नहीं करेगा।

मगर, किसी भी हालात में अपने देश की सीमा की सुरक्षा के लिए  किसी भी हद तक जा सकता है। इतना ही नहीं इजरायल की यह नीति है कि वह कभी भी राजनीति कारणों से किसी भी युद्ध में शामिल नहीं होगा। यही वजह है कि इजरायल किसी भी सैन्य समूह का हिस्सा नहीं है। हालांकि, अमेरिका  के साथ ऐसा नहीं है। दोनों देश के साथ ऐसी संधि है कि जरूरत पड़ने पर इजरायल अमेरिका के साथ सहयोग कर सकता है।

गौरतलब है कि इजरायल की कई ऐसी पॉलिसी है जो अनोखी और विचारणीय है। जैसे इजरायल आतंकवाद के प्रति बेहद गंभीर है। वह आतंकवाद के खिलाफ  बेहद सख्त कदम उठाता रहा है। इसी तरह  कहा जाता है कि इजरायल की सेना जब कोई ऑपरेशन करती है तो उसके पीछे सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है कि उसका कम से कम नुकसान हो, लेकिन ऑपरेशन को हर हालत में उसके अंजाम तक पहुंचाना है। यही वजह है कि इस बार जब हमास द्बारा 5000 रॉकेट दागे गए तो इजरायल ने इसे युद्ध करार दिया। इजरायल का कहना है  कि इस बार  हमास को मिट्टी में मिला देंगे। यही वजह है कि इजरायल हमास के उन ठिकानों को निशाना बना  रहा जहां हमास द्वारा हथियार बनाये जाते हैं।

अगर बात, हमास की करें तो  कहा जा रहा है कि इस संगठन को ईरान और अन्य अरब देशों से  हथियार और पैसे मुहैया कराये जाते है। इस बार के  हमले में दावा किया जा रहा है कि  ईरान द्वारा हमास को समर्थन मिल रहा है। बता दें कि कई रिपोर्ट  में कहा गया है कि ईरान में हमास द्वारा किये गए हमला का समर्थन किया गया और इसके उपलक्ष्य में जश्न भी मनाया गया। ईरानी मीडिया में भी हमास के हमले का समर्थन किया गया है जबकि इजरायल की आलोचना की गई है।

 

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