“परिवारवाद” से अलग है “परिवारजन” की बात 

पीएम मोदी ने 15 अगस्त को  देशवासियों को "परिवारजन" कह कर संबोधित किया। जिसकी खूब चर्चा भी हो रही है। इसके राजनीति गलियारे में कई मायने निकाले जा रहे हैं। आइये इसे समझते हैं।

“परिवारवाद” से अलग है “परिवारजन” की बात 

I'll be back again! Modi believes that he will become the Prime Minister in 2024!

पीएम मोदी ने 15 अगस्त पर लाल किले से जहां 2024 में एक बार फिर सरकार बनाने का दावा किया तो, भारत को 2047 में विकसित राष्ट्र बनाने का भी रोडमैप रखा। पीएम मोदी ने इस दौरान विपक्ष को परिवारवाद पर लताड़ा, तो देशवासियों को “परिवारजन” कह कर संबोधित किया। जिसकी खूब चर्चा भी हो रही है। इसके राजनीति गलियारे में कई मायने निकाले जा रहे हैं।

कई लोग सवाल भी उठा रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने “मित्रों” और “भाइयों -बहनों” की जगह “परिवारजन” कहकर क्यों संबोधित किया। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर इसका आगामी लोकसभा चुनाव पर क्या असर पड़ेगा। क्या पीएम मोदी ने किसी रणनीति के तहत चुनाव से पहले देशवासियों को “परिवारजन” कहकर विपक्ष पर शाब्दिक स्ट्राइक की है। तो दोस्तों आज हम पीएम मोदी के भाषण को लेकर बातचीत करेंगे। अगर आप हमारे चैनल पर नए है तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।

गौरतलब है कि पीएम मोदी 2014 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद देश को मित्रों, भाइयों और बहनों और देशवासियों कहकर ही संबोधित करते थे। लेकिन इस स्वतंत्रता दिवस पर देशवासियों के लिए नया शब्द गढ़ा, जो आत्मीयता से भरा हुआ है। “परिवारजन” शब्द अपना सा लगता है। पीएम मोदी ने एक तरह से खुद को देश का गार्जियन बताया है। पीएम मोदी देश की जनता को अपना परिवार मानते है। यह कहने की बात नहीं है। बल्कि पीएम मोदी देश के अभिभावक हैं, इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। बस पीएम मोदी ने सार्वजनिक मंच से उसे नाम दिया है। जो सभी देशवासियों को गहराई तक छुआ है। पीएम मोदी की बातें, उनका निर्णय देश के लोगों पर असर डालता है। किसी न किसी तरह से जनता पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है।

हम ऐसा नहीं कह रहे हैं कि बाकी के पूर्व प्रधानमंत्री देश की जनता को अपना परिवार नहीं मानते थे। वे भी देश को अपना परिवार ही मानते थे, लेकिन उनको जाहिर नहीं किया। बहरहाल, सबका अपना अपना विचार और भाषण देने की कला है। हम इस मुद्दे में नहीं जाते हैं कि कौन देश को क्या समझता था, या समझता है। हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव पर इसका क्या इफेक्ट होगा ? क्या जिस तरह से राहुल गांधी ने संसद में मणिपुर को लेकर भारत माता की हत्या और हिंदुस्तान को बांटने की बात कही। क्या पीएम मोदी का राहुल गांधी और विपक्ष को जवाब है। जिस तरह से विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम “इंडिया” रखा।और यह बताने की कोशिश की विपक्ष का “इंडिया” 140 करोड़ जनता की आवाज है। लेकिन यह मानना सरासर गलत है। क्योंकि, अगर ऐसा होता तो विपक्ष उसकी संख्या ज्यादा होती,लेकिन ऐसा नहीं है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या पीएम मोदी “परिवारजन” को विपक्ष के “इंडिया” के खिलाफ यूज करेंगे ?

जाहिर तौर पर देखा जाए तो पीएम मोदी ने विपक्ष को इस शब्द से चारों खाने चित कर दिया है। इसका आगामी लोकसभा चुनाव में असर देखने को भी मिलेगा। वैसे पीएम मोदी नए नए शब्द निजात करने में माहिर है। अगर उन्होंने आजादी के पर्व पर “परिवारजन” का इस्तेमाल किया है तो साफ है कि कुछ सोच समझकर की ऐसा किया होगा। पीएम मोदी का “परिवारजन” विपक्ष के परिवारवाद जैसा नहीं है। परिवारवादी पार्टियां अपने कार्यकर्ता को भी अपने परिवार का हिस्सा  नहीं समझती हैं, इसीलिए कार्यकर्ता सिर्फ कार्यकर्ता ही रहकर रह जाता है। लेकिन पीएम मोदी का परिवारजन पूरा भारत है। उसका दुःख उनका है, देश का दर्द उनका दर्द है। इस बात को पीएम मोदी लाल किले से समझाने जनता को कामयाब दिखे।

पीएम मोदी ने मंगलवार को लाल किले से देशवासियों को लगभग 90 मिनट तक संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने “परिवारजन” शब्द का अड़तालीस बार इस्तेमाल किया। जबकि, सामर्थ्य को तिरालीस बार दोहराया। इसके बाद, महिला और नारी शब्द को लाल किले की प्राचीर से 35 बार इस्तेमाल किया। पीएम मोदी का यह भाषण 90 मिनट का था, लेकिन इससे पहले उन्होंने सबसे लंबा भाषण 2016 में 94 मिनट तक भाषण दिया था। जबकि सबसे छोटा भाषण छप्पन मिनट का था। जो उन्होंने 2017 में दिया था। जबकि, 12 बार परिवारवाद और भ्रष्टाचार शब्द का इस्तेमाल 11 बार किया। वहीं, तुष्टिकरण शब्द का इस्तेमाल आठ बार किया।

पीएम मोदी ने अपने भाषण में हर मुद्दों को छुआ. उन्होंने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर बात की तो महंगाई और बेरोजगारी पर विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि पुरी दुनिया महंगाई से त्रस्त है। हमारा दुर्भाग्य है कि हमे महंगाई भी निर्यात करना पड़ा। उन्होंने कहा कि हमने महंगाई को नियंत्रित करने प्रयास किया। हमें इसमें सफलता भी मिली। इस दौरान उन्होंने भारत की गुलामी का भी जिक्र किया। एक तरह से कहा जा सकता है कि पीएम मोदी ने 2024 के लोकसभा का एजेंडा सेट कर दिया है। जिस तरह से उन्होंने “परिवारजन” शब्द का उपयोग किया। उससे साफ हो गया है।

आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष पर परिवारवाद पर घेरते रहेंगे। जिसमें कांग्रेस ही नहीं बल्कि वो सभी विपक्षी दल जो इंडिया गठबंधन में शामिल है।ऐसे  में यह साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टिकरण का ठीकरा विपक्ष के गठबंधन पर फूटने वाला है। जिससे विपक्ष कैसे निपटेगा यह देखना होगा। फिलहाल तो विपक्ष पीएम मोदी के भाषण को चुनावी बता रहा है।

 

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