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सुनील राव, राहुल गांधी और मौलाना एजाज कश्मीरी में क्या है अंतर?   

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इस्लामिक देश बहरीन में भारतीय मूल के डॉक्टर सुनील राव को इसलिए नौकरी से निकाल दिया गया। क्योंकि उन्होंने इजराइल के समर्थन में ट्वीट किया था। बाद में उन्होंने इसे अपनी गलती भी मानी और माफ़ी भी मांगी। लेकिन उन्हें नौकरी पर नहीं रखा गया। अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण के शहादत की है। लक्ष्मण के शहीद होने पर राहुल गांधी का अग्निपथ योजना के बारे में किया गया पोस्ट है। जिसमें वह कहते हैं कि यह योजना भारतीय वीर जवानों को अपमानित करने वाली है।

 दोनों, खबरों से कई सवाल पैदा होते है। जैसे कि, क्या भारत बहरीन जैसी कार्रवाई कर सकता है ? यहां के तमाम वामपंथी और मुस्लिम संगठन या नेता फिलिस्तीन का समर्थन कर रहें हैं और भारत सरकार द्वारा इजरायल का समर्थन ने करने पर आलोचना करते हुए अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। उसी तरह, राहुल गांधी को क्या अग्निपथ योजना के बारे में पूरी जानकारी है। जिस तरह से उन्होंने योजना पर सवाल उठाया और उसके बारे में अपने विचार रखे क्या वह सेना और देश के हित में है।

दरअसल, भारतीय मूल के डॉक्टर सुनील राव को इस्लामिक देश बहरीन के रॉयल अस्पताल से  निलंबित कर दिया गया। राव दस साल से बहरीन में रह रहे हैं। राव की शिकायत मिलने पर अस्पताल प्रशासन ने कहा कि ” सुनील राव ने सोशल मीडिया पर ऐसा ट्वीट किया है जो हमारे समाज के लिए अपमानजनक है। यह ट्वीट और विचार उनके व्यक्तिगत हैं, वह अस्पताल की राय नहीं है। इतना ही नहीं, अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि यह हमारे आचार संहिता का उल्लंघन है। यहां जो कहा गया है कि उस पर गौर करने वाली बात है।

लेकिन, क्या भारत में ऐसा संभव है। यहां सरकार के खिलाफ ऐसे ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो  गाली की श्रेणी में आते हैं। कई मुस्लिम संगठन भारत में सड़कों पर उतरकर विरोध जता रहे हैं और नारेबाजी कर रहे। भारत सरकार की आलोचना कर रहे। मौलाना एजाज कश्मीरी ने भारत के प्रधानमंत्री के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है। उन्होंने पिछले दिनों कहा था कि कहीं ऐसा तो नहीं कि हिन्दुस्तान के पीएम इजरायल के गुलाम बन गए हैं। क्या एजाज दूसरी जगह ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर पाएंगे? अगर एजाज पर कार्रवाई हो तो वामपंथी झूठ के लोकतंत्र का प्रवचन जाएंगे, जो देशहित में नहीं है।

सवाल यह नहीं है कि, हम किसका समर्थन करते है? सवाल यह है कि जिसका हम समर्थन करते हैं वह सही या गलत है? भारत कभी भी जंग के पक्ष में नहीं रहा है। रूस और यूक्रेन पर भी भारत अपना रुख पहले ही साफ कर चुका। भारत कहता आया है, कि किसी समस्या का समाधान बातचीत से हल होना चाहिए, न की युद्ध से। भारत ने इजरायल और हमास के बीच जारी जंग में आतंकवाद की खिलाफत की है। जिस तरह से हमास ने इजरायल के ऊपर 5 हजार रॉकेट दागे, और इजरायल में महिलाओं बच्चों के साथ बर्बरता की उसे ख़ारिज नहीं किया जा सकता है। क्या हमास की बर्बरता का समर्थन किया जा सकता है। पीएम मोदी ने आतंकवाद की खिलाफत की थी। लेकिन, कुछ लोगों को जाति धरम के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता है।

इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने पिछले दिनों फिलिस्तीन के राष्ट्रपति से भी बात की थी। भारत ने फिलिस्तीन के लिए मदद भी भेजा है। लोगों को समझना चाहिए कि भारत खुद आतंवाद से पीड़ित है। वह आतंकवाद का कैसे समर्थन कर सकता है। तो सवाल यही है कि क्या बहरीन में जो सुनील राव के खिलाफ किया गया है। वह क्या सही है ? अगर बहरीन अस्पताल के अनुसार सही है तो भारत में अगर फिलिस्तीन के समर्थन नारेबाजी करने वालों, पुणे में इजरायली झंडे चिपकाकर उन पर चलने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी तो वह कैसे गलत हो सकता है ? क्या लोकतंत्र के नाम पर देश विरोधी गतिविधियों को सही ठहराया जा सकता है?

अब बात दूसरी खबर की। इजरायल में जंग के बीच दुनियाभर में फैले इजरायली नागरिक अपने देश पहुंच रहे हैं और जंग में जाने की घोषणा कर रहे हैं। लेकिन अपने देश में कुछ ऐसे लोग है जो खुद को देशभक्त तो बताते हैं, मगर विदेश में जाकर पानी पी पीकर कोसते हैं। सत्ता के लालच में ये नेता इतने अंधे हो चुके हैं कि सेना पर टिका टिप्पणी करने से भी नहीं चुकते हैं। बहरहाल, इजरायल में एक नियम है, यहां देश के सभी नागरिकों को सैन्य टेनिंग लेना अनिवार्य है। इसके लिए महिला पुरुष होना कोई मायने नहीं रखता। केवल इजरायल नागरिक होना चाहिए। कहा जा सकता है कि इजरायल में हर घर में सैनिक है। यहां महिलाओं को 24 माह सैन्य ट्रेनिंग दी जाती है,तो पुरुषों को दो साल आठ माह प्रशिक्षण दिया जाता है।

ऐसी ही योजना अग्निपथ भारत में भी पिछले साल लागू की गई। जिसका विपक्ष के नेताओं ने जमकर विरोध किया था। विरोध के नाम पर देशभर में जमकर उत्पात मचाया गया। गाड़ियों में आग लगा दी गई। सार्वजनिक सम्पत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। विपक्ष के नेता विरोध प्रदर्शन के अपने बयान आग लगा रहे थे। उसी तरह, एक बार फिर राहुल गांधी ने इस अग्निपथ योजना पर सवाल खड़ा किया है ,जिस पर सेना ने उनको जवाब दिया है। दरअसल, अग्निवीर गवाते अक्षय लक्ष्मण की शहादत पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने उनके परिवार के प्रति संवेदना जताई थी। इसके साथ राहुल गांधी ने लगे हाथ राजनीति रोटी भी सेंक ली। एक्स सोशल मीडिया पर उन्होंने लिखा है कि एक युवा, देश के लिए शहीद हो गया। सेवा के समय न ग्रेच्जुटी और न ही अन्य सैन्य सुविधाएं और शहादत पर परिवार को पेंशन भी नहीं। उन्होंने आगे लिखा कि “अग्निवीर” भारत के वीरों के अपमान की योजना है।

इसके बाद सेना ने बताया कि अग्निवीर शहीद लक्ष्मण के परिवार को क्या आर्थिक मदद दी जाएगी। सेना के अनुसार, गैर अंशदायी बीमा 48 लाख रुपये, अनुग्रह राशि 44 लाख रुपए, चार साल के बचे कार्यकाल का वेतन यानी 13 लाख रुपये से अधिक, आर्म्ड फोर्सेस कैजुअल्टी फंड से आठ लाख, तत्काल 30 हजार की आर्थिक मदद और सेवा निधि में अग्निवीर या योगदान (30%) भी परिवार को मिलेगा। सेना ने बताया कि इसमें सरकार का योगदान और ब्याज भी शामिल है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकार अग्निवीरों को 1 करोड़ तेरह लाख से अधिक का मुआवजा देती है। ऐसे में राहुल गांधी का गैर जिम्मेदराना बयान देश हित नहीं है। वह लोगों में भ्रम फैलाते है और जनता को गुमराह करते हैं। सत्ता के लिए कांग्रेस नेता का ऐसे बयान  देश के युवाओं कामनोबल तोड़ेगा।

राहुल गांधी ऐसे नेता हैं जो भारतीय सेना पर हमेशा सवाल उठाते रहे हैं। भारत ने जब पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयर स्ट्राइक किया था तब भी कांग्रेस के नेताओं ने एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे थे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने दिसंबर 2022 में भारत सेना पर सवाल उठाये थे।  राजस्थान में एक प्रेस वार्ता के दौरान कहा था आप चीन पर सवाल नहीं पूछेंगे। आप अशोक गहलोत, सचिन पायलट पर सवाल पूछेंगे लेकिन चीन के सैनिक हमारे जवानों पिट रहे हैं इस पर कोई सवाल नहीं उठाता है।

दरअसल, 9 दिसंबर 2022 को एक वीडियो सामने आया था। जिसमें चीन और भारतीय सैनिकों में झड़प हो रही है। इसी वीडियो पर राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रया दी थी। राहुल गांधी देशभक्ति पर बड़े बड़े दावे करते हैं, लेकिन उसे अगर राष्ट्रहित में देखा जाए तो वे केवल सत्ता लोलुपता के अलावा कुछ भी नहीं है। उम्मीद है राहुल गांधी अपनी गलतियों से कुछ सीखेंगे। बहरहाल, दोनों खबरों में एक बात कॉमन है, अपने देश के ही लोग भारत के विरोध में खड़े नजर आ रहे हैं ? जो देशहित में नहीं है।

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