दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर हाय तौबा मचा हुआ है। रविवार को हुई गिरफ्तारी के बाद सोमवार को आप कार्यकर्ताओं ने दिल्ली सहित कई राज्यों में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। जो सिसोदिया को बेगुनाह बता रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सच में मनीष सिसोदिया बेगुनाह है.यह बड़ा सवाल है। इस संबंध में मीडिया में कहा गया है कि सिसोदिया कई सवालों के जवाब नहीं दिए। इतना ही नहीं यह भी कहा गया है कि सीबीआई जो जवाब दिए हैं उससे अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए। इसकी वजह से उनको गिरफ्तार किया गया।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि 18 विभाग संभालने वाले सिसोदिया के जेल जाने के बाद इन विभागों को कौन संभालेगा। सिसोदिया के पास जो विभाग थे बहुत ही महत्वपूर्ण है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि केजरीवाल की अब आगे की रणनीति क्या होगी ? एक साल से भी कम समय में 2024 का लोकसभा चुनाव होना है। तो क्या अब केजरीवाल आप के विस्तार की योजना को ठंडे बस्ते में डालेंगे या भ्रष्टाचार वाली छवि को तोड़ने की कोशिश करेंगे। उनकी आगे की रणनीति क्या होगी। यह बड़ा सवाल है जिसके जवाब से आप की दशा और दिशा तय होगी।
दरअसल, आम आदमी पार्टी यानी आप भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन खड़ा करके ही आज दो राज्यों में सरकार बनाई है। कांग्रेस की नाव डुबोकर जिस तरह से आप ने लगातार कई राज्यों में अपना संगठन खड़ा किया है। दो राज्यों दिल्ली और पंजाब में आप की सरकार है। आप ने गुजरात, गोवा सहित कई राज्यों में अपनी उपस्थिति दर्ज करते हुए नंबर दो के रेस में बनी हुई है। जबकि इस साल नौ राज्यों में होने वाले चुनावों में अपने विस्तार की योजना बना रही थी। लेकिन सिसोदिया की गिरफ्तारी से आप को बड़ा धक्का लगा है। ऐसे में माना जा रहा है कि आप या तो आगामी चुनावों नहीं उतारेगी या उतरेगी तो सिसोदिया की गिरफ्तारी को भुनाने की कोशिश करेगी।
बताया जा रहा है कि दिल्ली सरकार जल्द ही इस साल का बजट पेश करने वाली थी। जिसका कामकाज मनीष सिसोदिया देख रहे थे। लेकिन उनके जेल जाने के बाद से बजट सत्र आगे खिसक सकता है। क्योंकि नए मंत्री को इतनी जल्दी बजट के काम को संभालना आसान नहीं होगा। सबसे अहम बात यह है कि सिसोदिया पार्टी से लेकर सरकार तक का काम संभाल रहे थे। उनके पास कई जिम्मेदारियां थी। माना जा रहा है कि सिसोदिया के नहीं होने से आप पार्टी और केजरीवाल सरकार के कामकाज पर प्रभाव पड़ना तय हैं।
कहा जा रहा है कि सिसोदिया के जेल जाने से आप और सरकार में कई स्थितियां निर्मित हो सकती हैं। जिसमें अहम यह है कि आप पार्टी केजरीवाल सरकार की भ्रष्टाचार वाली छवि को तोड़ने की कोशिश करे। क्योंकि पिछले 10 सालों में आप के कई नेता भ्रष्टाचार के आरोप में जेल गए हैं या उन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। अब तक आप पार्टी के पांच मंत्री नेता अलग अलग मामलों जेल गए हैं। मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, संदीप कुमार, जितेंद्र तोमर, विजय सिंघला, आसिम अहमद खान, अमानतुल्ला खान और सोमनाथ भारती शामिल है। इसके अलावा भी कई नेता विवादों में रहे हैं। एक तरह से देखा जाए तो दस सालों में आप पार्टी की छवि धूमिल ही हुई है।
बहरहाल, इस बीच, सोशल मीडिया पर केजरीवाल का पांच साल पुराना एक ट्वीट वायरल हो रहा है। जिसमें लिखा गया है कि अमित शाह को सीबीआई सीधे रिपोर्ट करती है। मै अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि नए केस दर्ज करने से पहले कृपा बताये मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ चल रहे केसों का क्या हुआ। नए केस दर्ज करने से पहले सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को जेल तो भेजो। गौरतलब है कि केजरीवाल का यह ट्वीट 2018 का है। उस समय अमित शाह बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। उस समय केजरीवाल इशारों इशारों में यह आरोप लगाया था कि सीबीआई बीजेपी के इशारे पर काम करती है। वर्तमान में केजरीवाल द्वारा पांच साल दी गई चुनौती गले की फांस बन गई है।
इन चुनौतियों के बीच केजरीवाल की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। जानकारों का कहना है कि अगर सिसोदिया आठ नौ माह जेल में रहते तो इस साल नौ राज्यों में होने वाले चुनाव पर बड़ा असर पड़ सकता है। क्योंकि ,पहले तो सिसोदिया के पास,वित्त ,शिक्षा स्वास्थ्य आदि कई अहम विभाग थे। अब उनको केजरीवाल खुद संभालें या मंत्रिमंडल का विस्तार करें। सबसे बड़ी बात यह है की अगर केजरीवाल इन विभागों का जिम्मा अपने ऊपर लेते हैं तो। 2023 में होने नौ राज्यों में चुनाव के लिए ज्यादा समय नहीं दे पाएंगे। और इसका असर जीत हार पर पड़ सकता है।
पंजाब, गुजरात और गोवा चुनाव के दौरान केजरीवाल प्रचार कर रहे थे तो सिसोदिया सरकार चला रहे थे। लेकिन इस बार मामला पूरी तरह से पलटा हुआ है। सिसोदिया के जेल जाने से आप पार्टी की रणनीति पर भीं फर्क देखने को मिल सकता है। अगर पार्टी के उम्मीदवार चुनावों में हार जाते हैं या उनकी जमानत जब्त होती है तो इसका भी असर 2024 लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। जिसको बीजेपी और कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान मुद्दा बना सकती है। इतना ही नहीं, आगामी चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस आप के भ्रष्ट मंत्रियों और नेताओं को भी मुद्दा बना सकती है। खुद को कट्टर ईमानदार पार्टी कहने वाली आप आज भ्रष्टाचार से गले तक डूबी है।
ऐसे में देखना होगा कि सिसोदिया के नहीं होने पर केजरीवाल की क्या रणनीति होती ? क्या मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगे केजरीवाल? क्या आप पार्टी अपने विस्तार को डालेगी ठंडे बस्ते में।अब इसका जवाब तो आने वाले समय में ही मिलेगा।
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