आजकल विपक्ष के इंडिया की खूब चर्चा है। लेकिन, क्या इंडिया के जरिये विपक्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में कोई करिश्मा कर पाएगा। यह सवाल सभी के जेहन में तैर रहे हैं। वजह यह है कि जितनी पीएम मोदी शब्दों के साथ तुकबंदी करते हैं, उतना शायद ही कोई नेता करता है। 2014 से पीएम मोदी के सत्ता में आते ही कई स्थानों और संस्थानों के नाम बदले गए। जिसमें से एक नीति आयोग भी है जिसका पहले नाम योजना आयोग था। लेकिन पीएम मोदी ने दिल्ली की गद्दी संभालते ही योजना आयोग के नाम को ही नहीं बदला, बल्कि उसकी कार्यशैली भी बदल दी। तो आज हम अपनी बातचीत में पीएम मोदी के बारे में बात करेंगे, जो देश से लेकर विदेश तक नए नामों का निजात किये और उसका मतलब भी यूनिक बताये हैं,जो रोचक भी है।
जानकारों की माने तो संसदीय राजनीति के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब पार्टियां अपने राजनीति के अनुकूल नाम तलाशने में ज्यादा मेहनत कर रही हैं। यह बात सही है कि आंदोलन, गठबंधन और संगठनों के लिए नामों का बहुत महत्व है। और ये नाम उस संगठन या राजनीति पार्टी के चाल और चरित्र को बताता है। लेकिन कई ऐसे नाम होते जो केवल राजनीति फायदे के लिए यूज किये जाते हैं। अब ये राजनीति दल अपनी राजनीति के अनुरूप शब्द या नाम नहीं तलाशते है बल्कि एक चुनावी रणनीति के तहत नाम और शब्द ढूंढ़ते है। जिससे सामने वाले पार्टी को मात दिया जा सके।
विपक्ष द्वारा, राजनीति दलों के गठबंधन का नाम इंडिया दिया जाना, इसी बात का सबूत है। विपक्ष ने “इंडिया” नाम रखकर यह मानकर चल रहा है कि इसके जरिये बीजेपी को मात दिया जा सकता है। और पीएम मोदी जिस तरह से विपक्ष पर हमला बोलते हैं, उस पर लगाम जायेगी, लेकिन क्या ऐसा करने में विपक्ष कामयाब होगा ? यह लाख टके का सवाल है। वैसे अभी तक विपक्ष ऐसा करने में नाकाम रहा है। इसका जीता जागता उदाहरण पीएम मोदी का राजस्थान में गुरुवार को विपक्ष पर हमला बताता है कि आने वाले समय में वे विपक्ष के इस नाम पर और तेज हमला कर सकते हैं।
उन्होंने राजस्थान में कहा कि जो तरीका देश के दुश्मन अपनाते है, वही तरीका ये लोग भी अपना रहे हैं। इंडिया नाम तो ईस्ट इंडिया कंपनी में भी था। तब भारत को लुटने के लिये इंडिया लिखा गया था। उन्होंने विपक्ष की तुलना सिमी से भी की, और कहा कि सिमी में भी इंडिया नाम था, लेकिन उनका मिशन आतंकी हमला करना था। उन्होंने सवाल खड़ा करते हुए पूछा कि अगर विपक्ष को इंडिया कि इतनी ही चिंता थी तो सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल क्यों खड़ा किये गए। उन्होंने यह भी पूछा कि जब आतंकी हमले होते हैं तो ये लोग चुप क्यों हो जाते हैं।
पीएम मोदी ने इस दौरान कांग्रेस द्वारा “इंडिया इज इंदिरा, इंदिरा इज इंडिया” वाले नारे पर भी सवाल खड़ा किया और कहा कि उस समय जनता ने उन्हें उखाड़ फेंका था। एक बार फिर इन लोगों ने वही पाप दोहराया है। ये लोग कह रहे हैं यूपीए इज इंडिया, इंडिया इज यूपीए। इनका हाल जनता वही करेगी जो पहले किया था। इससे साफ़ है कि आने वाले समय में पीएम मोदी और बीजेपी के नेता विपक्ष के इंडिया पर जोरदार हमला बोलेंगे। कहने का मतलब यह कि पीएम मोदी ने विपक्ष के “इंडिया” शब्द को कैसे जनता में नकारात्मक छवि गढ़ने में लगे हुए है। यह साफ़ हो गया है। पीएम मोदी ने विपक्ष के खिलाफ 2024 के लिये नैरेटिव सेट करना शुरू कर दिया है। 18 जुलाई को ही पीएम मोदी ने इंडिया नाम पर कहा था कि “गाइत कुछ है, माल कुछ है और लेबल कुछ है..
ऐसा भी कहा जा सकता है एक समय ऐसा भी आएगा जब विपक्ष इस नाम को लेकर असहज भी हो सकता है, जैसे कि पिछले दिनों पीएम मोदी ने बीजेपी के नेताओं के साथ बैठक में इंडिया की तुलना इंडियन मुजाहिदीन और ईस्ट इंडिया कंपनी से की। तो राहुल गांधी ने इसका जवाब देने के बजाय कहा था कि “आप को जो बोलना है बोलिये .” इसका मतलब यही है कि विपक्ष इस मामले पर चुप रहेगा या किसी रणनीति पर काम कर रहा है।
बहरहाल, अब बात उन शब्दों की जिसको नरेन्द्र मोदी ने निजात किया। पिछले माह में जब पीएम मोदी ने अमेरिका दौरे पर थे तो उन्होंने “एआई” का मतलब अमेरिका भारत बताया था। इसके अलावा भी कई नाम वे दे चुके हैं। इसी तरह पहल, स्वयं,संकल्प, प्रगति, उदय ऐसे कई नाम है जो मोदी सरकार की योजनाएं जिनका सब नाम अंग्रेजी के हैं। ये सभी अंग्रेजी के पूरे नाम के संक्षिप्त नाम है। इसी तरह से भीम ऐप, नमो ऐप भी है। वैसे पीएम नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार और उनके नेताओं को शब्द गढ़ने में महारत हासिल है। उसी तरह से उसमें कविता के रूप में रंग भी भरते हैं।
जैसे बंगाल में जेपी नड्डा ने टीएमसी का मतलब टी से टेरर, एम से माफिया और सी का मतलब उन्होंने करप्सन बताया। इसी प्रकार यूपी के बीजेपी नेता अरविंद मेमन ने बीते साल सपा का मतलब सम्पूर्ण परिवार या सारा परिवार, बसपा को “बिल्कुल समान पार्टी”, कांग्रेस के बारे में कहा था कि यूपीए काल में जो उन्होंने कारनामे किये उसे “उल्टा पुल्टा गठबंधन” कहा जा सकता है। बहरहाल अब कांग्रेस ने यूपीए का नाम त्याग दिया है। और अब इंडिया के जरिये क्या करिश्मा करती है उसे देखना होगा।
कांग्रेस का PM उम्मीदवारी पीछे हटना”त्याग” है या राजनीति रणनीति