अब कांग्रेस के एक नेता ने भी कहा है कि 2024 में राहुल गांधी ही दूल्हा होंगे, बाकी सब बाराती होंगे। तो क्या मान लिया जाए की 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की ओर से राहुल गांधी पीएम उम्मीदवार होंगे ? क्या ममता बनर्जी इस पर राजी हो पाएंगी? क्योंकि, ममता बनर्जी पीएम नरेंद्र को सत्ता से बेदखल करने के लिए विपक्ष के साथ नहीं आई हैं ? बल्कि वे पीएम बनने का सपना पाल रखी हैं। वे चाहेंगी की विपक्ष उन्हें पीएम उम्मीदवार घोषित करेंगे। कहा जा सकता है कि फीचर बाकी है मेरे दोस्त। आज राहुल गांधी, ममता बनर्जी पर बात करने वाले है। अगर आप हमारे चैनल पर नए हैं तो आपसे रिक्वेस्ट है कि हमारे चैनल को सब्सक्राइब जरूर करें।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ही सियासी बिसात बिछने लगी है। जहां एक ओर सत्तारूढ़ दल बीजेपी एक बार फिर दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाने का दम भर रही है। वहीं, विपक्ष भी बीजेपी को हैट्रिक लगाने से रोकने का भरकस प्रयास कर रहा है। तो क्या विपक्ष बीजेपी का विजय रथ रोक पाएगा ? बीजेपी क्या हैट्रिक लगा पाएगी। क्या विपक्ष की चाल में बीजेपी फंसेगी ? इस पर केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है, भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। क्योंकि जनता के मूड को भांपना आसान नहीं है और लोकतंत्र में जनता जनार्दन ही सबकुछ है।
दरअसल, 23 जून को लालू यादव ने विपक्ष की बैठक के बाद राहुल गांधी को शादी करने और दूल्हा बनने और शादी करने की सलाह दी थी जिसके अब मायने निकाले जा रहे हैं। लालू यादव ने कहा था कि “राहुल जी आप शादी कर लो,हम सब बाराती बनकर जायेंगे। अब इस सियासी मजाक के मायने निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस के नेता तारिक अहमद ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा है कि ” दूल्हा तो राहुल गांधी ही बनेंगे,बाकी सब बाराती हैं।” लेकिन यह कितना सही होगा, यह कहना मुश्किल है। क्योंकि जिस तरह से राहुल गांधी कई पेंचीदा मामले में फंसे हैं। उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के लिए पीएम उम्मीदवारी कांटों का सेहरा होगा। सबसे बड़ी जो बात है, वह यह है कि मोदी सरनेम मानहानि केस में अभी तक कोर्ट से राहत नहीं मिली है। इसलिए कहा जा सकता है कि राहुल गांधी को कांग्रेस या विपक्ष, पीएम उम्मीदवार बनाकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मारेगा।
यह तब तक नहीं हो पायेगा, जब तक चुनाव नहीं हो जाता। विपक्ष किसी भी तरह से बीजेपी को बैठे बैठे कोई मुद्दा नहीं देना चाहता है,जिससे बीजेपी का पक्ष मजबूत हो, राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार का आरोप है, तो वहीं कई मुद्दों पर राहुल गांधी अपनी कोई राय नहीं रखते है। जैसे धारा 370, समान नागरिक संहिता, राम मंदिर सहित कई ऐसे मुद्दे है. जिसे लेकर बीजेपी चुनावी मैदान में लेकर उतरने वाली है। 2024 में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को भक्तों के लिए खोल दिया जाएगा। जिस पर कांग्रेस या विपक्ष चुप रहना पसंद करेगा। अगर विपक्ष इस पर कुछ बोलता भी है तो यह दांव बीजेपी के बजाय विपक्ष पर भारी पड़ेगा।
दूसरा यह कि, ममता बनर्जी क्या विपक्ष की ओर से राहुल गांधी को पीएम उम्मीदवार बनाने पर राजी होंगी। यह सवाल सबसे बड़ा है,क्योंकि ममता बनर्जी इसी वजह से कांग्रेस के साथ जाने से कतरा रही थीं। वे अकेले लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहती थी,लेकिन बाद में उन्होंने पलटी मारकर कांग्रेस के साथ जाने पर राजी हो गई। ममता अपने आपको सबसे वरिष्ठ नेताओं में शुमार करती रही है। साथ ही उन्हें केंद्र के भी कामकाज की जानकारी है। वे दो बार रेल मंत्री रह चुकी है। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार में यह पद संभाला था। उसके बाद 2009 में कांग्रेस समर्थित यूपीए की सरकार रेल मंत्री थी। माना जा रहा है कि अधिकतर विपक्ष के नेता ममता बनर्जी के पक्ष में हैं। क्योंकि उन्हें केंद्र में कामकाज का राहुल गांधी से ज्यादा अनुभव है। जबकि राहुल गांधी किसी पद को नहीं संभालें है, लेकिन क्या नंबर गेम ममता बनर्जी के पक्ष में जाएगा। बहरहाल, बस यह अनुमान है, 2024 में क्या होगा यह अभी देखना होगा।
हालांकि, विपक्ष के नेता पहले एकजुटता दिखाने की बात कर रहे हैं, उसके बाद धीरे धीरे सीट बंटवारे और चुनाव के बाद पीएम कौन बनेगा इस पर बात आगे बढ़ेगी। सवाल यही है कि जिसका सभी को डर है, वही अंत में भी होगा। क्योंकि महत्वकांक्षा सबकी है उसे कब तक रोका जा सकता है।
वैसे यह यह पहला मौक़ा नहीं है, जब विपक्ष इस पसोपेश में फंसा है कि पीएम उम्मीदवार किसे घोषित किया जाए। इससे पहले भी ऐसा हो चुका है। दरअसल, ममता बनर्जी ने पटना की बैठक के बाद इस ओर इशारा किया था कि क्यों उन्होंने विपक्ष की पहली बैठक पटना में आयोजित करने की सलाह दी थी। हालांकि, उन्होंने इतना कहकर चुप हो गई। जिसको शरद पवार ने आगे बढ़ाया था। तब उन्होंने जय प्रकाश नारायण द्वारा आपातकाल के दौरान कांग्रेस के खिलाफ खड़े किये गए आंदोलन का जिक्र किया था। आज वहीं कांग्रेस उसी स्थान से बीजेपी के खिलाफ विपक्ष के साथ खड़ी है। तब जनता पार्टी बनाई गई थी, जिसके तले विपक्ष ने चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी, लेकिन पीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया था। चुनाव जीतने के बाद मोरारजी देसाई के नेतृत्व में गैर कांग्रेसी सरकार बनाई गई थी।
1996 में बीजेपी ने विपक्ष में रहते हुए अटल बिहारी को पीएम उम्मीदवार बनाया था। तब बीजेपी ने अच्छी खासी सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी और सरकार बनाई थी। इसके बाद से ही विपक्ष द्वारा पीएम उम्मीदवार घोषित करने की परम्परा शुरू हुई। हालांकि, इसके बाद हुए कई लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने अपना उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। इस बार भी कांग्रेस राहुल गांधी को विपक्ष का पीएम चेहरा बनाने की कोशिश में है। अगर ऐसा होता है तो विपक्ष के सभी दल उनके साथ जाएंगे ? यह कहना मुश्किल है।
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