उत्तर प्रदेश में की 13 सीटों पर मतदान होना है| लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में 1 जून को पीएम मोदी की सीट वाराणसी भी है| जानकारों की माने तो वहां कोई खास लड़ाई नहीं दिख रही, लेकिन बाकी सीटों पर सत्ताधारी भाजपा को जोर लगाना पड़ रहा है| वाराणसी के अलावा सातवें चरण में पूर्वी उत्तर प्रदेश की चंदौली, मिर्जापुर, बलिया, गाजीपुर, घोसी, राबर्ट्सगंज, सलेमपुर, गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज और बांसगांव सीटों पर मतदान होना है|
उत्तर प्रदेश के इन सभी सीटों पर दलित और पिछडे़ वर्गों के मतदाता काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा हैं| वहीं प्रदेश के इस पारंपरिक मतदाताओं पर समाजवादी पार्टी और बीएसपी का कब्जा रहा है, लेकिन पिछले दो चुनावों में भाजपा उसी तरह के नतीजों की उम्मीद कर रही है तो कांग्रेस के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी समाजवादी पार्टी अपना वोट बैंक वापस पाने की कोशिश कर रही है|
उत्तर प्रदेश के 7वें और अंतिम चरण में नरेंद्र मोदी की सीट वाराणसी के बाद जिन सीटों पर खास नजर है वह है- गाजीपुर और घोसी| ये दोनो वे सीटें है, जहां गाजीपुर लोकसभा सीट से मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी मैदान में हैं तो, घोसी सीट पर भाजपा से तालमेल कर मैदान में सुभासपा के अरविंद राजभर हैं| अरविंद अपनी पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर के बेटे हैं|
समाजवादी पार्टी से घोसी सीट पर पार्टी के प्रदेश सचिव राजीव राय लड़ रहे हैं| कभी कल्पनाथ राय की सीट रहे घोसी में भूमिहार जाति के मतदाताओं की बहुतायत है| यहां से बीएसपी से बालकृष्ण चौहान मैदान में हैं| चौहान 1999 में घोसी से बीएसपी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं| घोसी सीट से वर्तमान में बहुजन समाज पार्टी के अतुल राय सांसद हैं|
गाजीपुर सीट पर स्वर्गीय मुख्तार के बड़े भाई अफजाल पांच बार विधायक और दो बार सांसद रह चुके हैं| अफजाल को कृष्णानंद हत्याकांड में निचली अदालत से चार साल की सजा हो चुकी है| उन्होंने अपनी सजा पर रोक लगाने की हाई कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है| अगर मतदान के पहले उनकी याचिका खारिज हो जाती है तो वे चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे| हालांकि इसके प्लान बी के तौर पर उन्होंने अपनी बेटी का नामांकन करा रखा है| सोमवार को इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही है|
बलिया लोकसभा सीट पर सबसे बड़ी आबादी ब्राह्मणों की है. यहां करीब तीन लाख ब्राह्मण हैं. इसके बाद यादव, राजपूत और दलित वर्गों के मतदाता हैं. तीनों वर्गों की ताकत ढाई-ढाई लाख वोटरों की मानी जाती है. क्षेत्र में करीब एक लाख मुस्लिम बताए जाते हैं. निवर्तमान सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त की जगह भाजपा ने पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को मैदान में उतारा है|
चंदौली से केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं| गाजीपुर के रहने वाले महेंद्र नाथ 2014 और 2019 में दो बार कमल के निशान पर यहां से चुनाव जीत चुके हैं| हालांकि बिहार सीमा से लगी इस सीट की दो विधानसभा सीटें वाराणसी जिले में पड़ती हैं, लिहाजा भाजपा को मोदी की गति के साथ इस सीट के निकल जाने का भरोसा है| यहां समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह और बीएसपी से सत्येंद्र कुमार मौर्या मैदान में हैं|
मीरजापुर सीट से भाजपा के टिकट पर अनुप्रिया पटेल मैदान में हैं| उन्हें अपने कामकाज के साथ अपने समुदाय के वोटरों पर पूरा भरोसा है| हालांकि उनकी बहन पल्लवी पटेल भी पीडीए से मैदान में हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी ने भदोही से भाजपा सांसद रहे डॉ. रमेश बिंद को साइकिल पर उतार कर उनकी लड़ाई को थोड़ा जटिल बना दिया है| भदोही मिर्जापुर से लगा सटा है| बीएसपी ने यहां से ब्राह्मण वर्ग के मनीष त्रिपाठी को मैदान में उतारा है| वे दलित-ब्राह्मण मतदाताओं के योग पर भरोसा कर रहे हैं|
राबर्ट्सगंज सुरक्षित सीट से रिंकी सिंह कोल भाजपा के टिकट पर मैदान में हैं| रिंकी अभी छानवे सीट से विधायक भी हैं| समाजवादी पार्टी की ओर से छोटे लाल करवार और बीएसपी उम्मीदवार के तौर पर धनेश्वर गौतम मैदान में हैं|
गोरखपुर सीट से राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सांसद रह चुके हैं| जातिगत समीकरणों के साथ ही आसपास की सीटों की राजनीति में उनके गोरखनाथ मठ का बड़ा भागीदारी रहता है| इसके तहत गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज और बांसगांव सीटों पर उनका असर काम आएगा| गोरखपुर से फिल्म अभिनेता रवि किशन मैदान में हैं| उनके विरुद्ध ‘इंडिया’ गठबंधन ने अभिनेत्री काजल निषाद को उतारा है| बीएसपी से जावेद सिननानी है|
देवरिया लोकसभा सीट से कांग्रेस के अखिलेश प्रताप सिंह हैं| शशांक मणि के पिता ले.जनरल श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी भाजपा से सांसद रह चुके हैं| बीएसपी ने यहां संदेश यादव को अपना उम्मीदवार बनाया है|
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