एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है कि देशभर में छात्र आत्महत्याओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट से पता चलता है कि ये आत्महत्याएं किसानों की आत्महत्याओं की संख्या से कहीं अधिक हैं। “छात्र आत्महत्या: भारत में तेजी से फैलती महामारी” शीर्षक वाली रिपोर्ट बुधवार को वार्षिक IC3 सम्मेलन और एक्सपो में प्रस्तुत की गई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कुल आत्महत्या दर में सालाना दो प्रतिशत की वृद्धि हुई है।छात्रों की आत्महत्या दर में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है|साथ ही इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वास्तविक आत्महत्याओं की संख्या अधिक हो सकती है क्योंकि कई घटनाएं दर्ज नहीं की जाती हैं|
IC3 एक गैर-सरकारी संगठन है जो दुनिया भर के स्कूलों को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण प्रदान करता है। साथ ही कॉलेज के शिक्षकों, परामर्शदाताओं एवं प्रशासकों का मार्गदर्शन करने का कार्य भी संस्थान द्वारा किया जाता है।
लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच 267 किसानों ने की आत्महत्या: आत्महत्या के चौंकाने वाले आंकड़े की रिपोर्ट में 2022 के आंकड़ों का विवरण। 2021 (13,089) की तुलना में 2022 में 13,044 छात्रों ने आत्महत्या की है। दोनों वर्षों के आंकड़ों में बहुत मामूली अंतर है| समग्र आत्महत्या आँकड़े (छात्र और अन्य कारक) और भी बदतर हैं।
साल 2021 में 1 लाख 64 हजार 033 आत्महत्याएं हुईं|साल 2022 में 1 लाख 70 हजार 924 आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं| 2021 की तुलना में आत्महत्याओं की संख्या में 4.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पिछले दो दशकों से तुलना की जाए तो छात्रों की आत्महत्या में चार प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है|
महाराष्ट्र सबसे आगे: छात्रों की आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे है और कुल आत्महत्याओं में से 14 प्रतिशत महाराष्ट्र में हो रही हैं। इसके बाद तमिलनाडु और अन्य राज्य हैं। महाराष्ट्र – 1,764 आत्महत्या (14 प्रतिशत), तमिलनाडु – 1,416 आत्महत्या (11 प्रतिशत), मध्य प्रदेश – 1,340 आत्महत्या (10 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश – 1,060 आत्महत्या (8 प्रतिशत)। और झारखंड – 824 आत्महत्या (6 प्रतिशत)।
वर्ष 2021 और 2022 में महाराष्ट्र, तमिलनाडु और मध्य प्रदेश में छात्रों की आत्महत्या की संख्या सबसे अधिक है। इन तीन राज्यों में देश की एक तिहाई आत्महत्या हो रही हैं| दिलचस्प बात यह है कि राजस्थान के कोटा शहर में 571 आत्महत्या दर्ज की गई हैं, जो दसवें स्थान पर है। कोटा शहर में अनेक वर्ग हैं। यहां देशभर से छात्र पढ़ने आते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में आत्महत्या की संख्या जनसंख्या वृद्धि से अधिक है। पिछले दशक में, 0-24 वर्ष की आयु के बीच की जनसंख्या 582 मिलियन से गिरकर 581 मिलियन हो गई। छात्र आत्महत्या 6,654 से बढ़कर 13,044 हो गई हैं।
लड़कों से ज्यादा लड़कियों की आत्महत्या: लिंग के आधार पर आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले दशक में लड़कों की आत्महत्या में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि लड़कियों की आत्महत्या में 61 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। पिछले पांच वर्षों में छात्र आत्महत्याओं में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
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