सवाल तो उठेंगे महमूद मदानी!

सवाल तो उठेंगे महमूद मदानी!

India the land of the first prophet of Muslims: Islam is the oldest religion - Madani

नैतिकता की बात करने वालों की इस दुनिया में कमी नहीं है। हर कोई ज्ञान बघारता है, ऐसा होना भी चाहिए। इसे अभिव्यक्ति की आजादी भी कह सकते हैं। तो कुछ लोग इससे तरह तरह के नाम से नवाज सकते हैं। यह ज्ञान तभी दिया जा सकता है जब उस देश में लोकतंत्र हो, नहीं तो आपकी बात आपके हलक तक ही अटक कर रह जाएगी। भारत एक ऐसा देश हैं जहां अभिव्यक्ति की आजादी की खूब बात होती है। यहां देश हित नहीं देखा जाता है, यहां निजी स्वार्थ सबसे पहले होता है। यही कारण है कि यहां जब तब अभिव्यक्ति की आजादी का मेला लगता रहता है। अभी कुछ दिन पहले ही एक डॉक्यूमेंट्री को लेकर अभिव्यक्ति की आजादी चरम पर थी। इसी का नतीजा जा रहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में धार्मिक नारे लगाए गए।

आप सोच सकते हैं कि यह नारेबाजी किस मकसद से की गई और यह नारेबाजी 26 जनवरी यानी गणतंत्र दिवस पर की गई। जिस दिन भारत में संविधान लागू किया गया था। इसी संविधान में सभी नागरिकों को समानता का अधिकार है। इसमें देश की एकता और अखण्ता की बात भी कही गई है। बावजूद इसके अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में धार्मिक नारे लगे जो लोकतंत्र का मजाक उड़ाया गया। उस संविधान की धज्जियां उड़ाई गई जिस पर देश गर्व करता है। तब  जमीयत उलेमा ए हिन्द के प्रमुख महमूद मदानी को भारत अपना देश नहीं लगा।

बहरहाल, इन बातों को कहने का मकसद यह था कि लोग बड़ी बड़ी बात तो करते हैं, लेकिन  सही बातों को छोड़कर झूठी और विरोधी राग अलापने लगते हैं। अब इस बात से आगे बढ़ते हैं तो पाते हैं कि हम जैसे हैं वैसे ही हमें छोड़ दिया जाए, हम मनमाना रहेंगे। हमारे मन जो आएगा हम वही करेंगे। देश से हमें लेना देना नहीं है, ऐसी नियत वाले लोग रहते हैं। जब उनसे कडा होकर बात किया जाता है तो सवाल उठाने लगते हैं और कहते हैं कि हम लोग को धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है। लेकिन जब उनके धर्म से जुड़े लोग भारत के विरोध में खड़े होते हैं तो उनकी नैतिकता, उनका ज्ञान, उनका प्रेम गायब हो जाता है।

सवाल यह है कि क्या आप एक देश में मनमाना रहना चाहते हैं ? क्या उसका असर दूसरे पर नहीं पड़ेगा ? आप मनमाना क्यों रहना चाहते हैं ? मनमाना रहने वाले लोग कहते हैं कि आप ऐसे सवाल नहीं कर सकते? हम भी यहीं के हैं। ऐसे सवाल हम पर नहीं उठा सकते। जब वे मनमानी करते हैं तो यह बात भी स्वीकार नहीं करते हैं कि उन्होंने मनमानी की है। इतनी बात कहने का यही मतलब है कि जमीयत उलेमा ए हिन्द के नेता ने कहा है कि जितना भारत मोदी और भागवत का है उतना ही महमूद का भी है।

बात दें कि जमीयत उलेमा ए हिन्द के महमूद मदानी ने शुक्रवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में यह बात कही। वे जमीयत उलेमा ए हिन्द के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। जहां उन्होंने कहा कि भारत हमारा देश है। जितना यह देश नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत का है उतना ही महमूद का भी है। न महमूद उनसे एक इंच आगे है ,और न ही वे महमूद से आगे हैं।

महमूद से पूछा जाना चाहिए कि किसने कहा कि भारत उनका देश नहीं है। लेकिन, महमूद इसका जवाब देने के बजाय लंबी चौड़ी बातें करेंगे। लेकिन उसमें सच्चाई नहीं है। क्या कभी महमूद पीएफआई के देश विरोधी गतिविधियों पर सवाल उठाया है? नहीं उठाये हैं ?  अगर उनसे पूछा जाए कि इस संगठन को आपने कटघरे में क्यों नहीं खड़ा किया। तो क्या वे इसका जवाब देंगे ? जो बात आज कहें हैं वही बात दोहराएंगे।

सबसे बड़ी बात यह कि पीएम मोदी या मोहन भागवत का ही नाम क्यों ? क्या वे भारत में अकेले हिन्दू है ? जो इस तरह से नाम लेकर महमूद ने इस मामले को तूल देने की कोशिश की। अगर महमूद यह कहते हैं कि जितना भारत हिन्दुओं का है उतना ही मुस्लिमों का है। यह बात हजम हो जाती, जिस तरह से मुस्लिम समुदाय भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रहते हैं तो सवाल तो उठेगा ही। महमूद ने नरेंद्र मोदी और मोहन भागवत का नाम लेकर केवल राजनीति करने की कोशिश है। एक तरह से इन नेताओं को टारगेट किया गया है।

उन्होंने यह भी कहा कि देश में इस्लामफोबिया है और मुस्लिम समाज के प्रति नफरत फैलाई जा रही है। महमूद ने इस कार्यक्रम में मुस्लिम युवकों से जिहाद या हिंसक रास्ता नहीं अपनाने की अपील की। महमूद इस बात को जानते हैं तभी तो उन्होंने मुस्लिम युवकों से गलत रास्ते पर नहीं चलने की नसीहत दी। यही वह बात है जो महमूद जैसे लोग सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करते हैं। और अफवाह फैलाते हैं कि भारत में मुस्लिम समाज के साथ गलत व्यवहार किया जाता है।

महमूद से पूछा जाना चाहिए कि राजस्थान के कन्हैया लाल और महाराष्ट्र के कोल्हे की हत्या पर वे क्यों नहीं बोले। जब महमूद का यह देश है तो कन्हैयालाल और कोल्हे भी तो उनके ही देश के  आदमी थे। फिर महमूद को उनसे हमदर्दी क्यों नहीं हुई ? जब पीएफआई जैसा संगठन भारत को इस्लामिक देश बनाने प्रस्ताव रखता है तो महमूद को भारत अपना देश नहीं दिखता है। कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकी रोज हत्या करते हैं तो महमूद को भारत देश अपना नहीं लगता है। इस पर भी महमूद को बोलना चाहिए।

महमूद यह कहते हैं कि भारत उनका देश है, तो भी भारत में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे क्यों लगते हैं? क्या महमूद इसका जवाब देंगे। नहीं देंगे,और ज्ञान की घुट्टी पिलाने लगेंगे। महमूद ने यह भी कहा कि इस्लाम भारत का ही मजहब है। क्या इस बात पर महमूद कायम रहेंगे? इस दौरान उन्होंने समान नागरिक संहिता का भी मुद्दा उठाया। महमूद से यह पूछा जाना चाहिए कि जब यह देश आपका है तो क्या यह मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार चलेगा की संविधान के अनुसार चलेगा।

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