मुइज़ज़ू महाभियोग: मालदीव में सियासी तूफ़ान की आहट

मुइज़ज़ू महाभियोग: मालदीव में सियासी तूफ़ान की आहट

प्रशांत कारुलकर

हवाओं में सुकून और लहरों की खनखनाहट वाला देश मालदीव आजकल राजनीतिक तूफानों से घिरा हुआ है. नए राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ज़ू पर महाभियोग का साया मंडरा रहा है, जिसे विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ज़ोर पकड़ कर आगे बढ़ा रही है. इस राजनीतिक नाटक ने न केवल मालदीव बल्कि पूरे हिंद महासागर क्षेत्र का ध्यान खींचा है. आइए एक नज़र डालते हैं इस महाभियोग की वजहों और संभावित नतीजों पर.

मुइज़ज़ू पर आरोप है कि उन्होंने अपने चुनाव वादों को पूरा करने के लिए संविधान की अनदेखी की है. एमडीपी का आरोप है कि मुइज़ज़ू ने चीनी कंपनियों को अनुचित ठेके, बिना बोलियों के, दिए हैं. साथ ही, भारतीय सैनिकों को हटाने के वादे के बावजूद, उन्होंने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. इनके अलावा, अर्थव्यवस्था को संकट में डालने और भ्रष्टाचार के आरोप भी मुइज़ज़ू पर लग रहे हैं.

दूसरी तरफ, मुइज़ज़ू इन आरोपों को निराधार बताते हैं. उनका कहना है कि वह सिर्फ विकास कार्यों को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए कुछ ज़रूरी निर्णय ले रहे हैं और अर्थव्यवस्था को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं. चीनी कंपनियों के साथ सहयोग मालदीव के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करेगा और पर्यटन को बढ़ावा देगा, ऐसा उनका तर्क है.

यह महाभियोग सिर्फ मुइज़ज़ू का राजनीतिक भविष्य तय नहीं करेगा, बल्कि मालदीव की विदेश नीति और आर्थिक हालात को भी प्रभावित करेगा. भारत और चीन, दोनों ही क्षेत्रीय महाशक्तियाँ, मालदीव में अपना-अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश में हैं. अगर मुइज़ज़ू का महाभियोग होता है तो भारत को इससे फायदा हो सकता है, जबकि चीन के लिए ये झटका होगा. वहीं, अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भी बड़ा सवाल है कि क्या मुइज़ज़ू महाभियोग से बच पाएंगे और विकास के वादों को पूरा कर पाएंगे.

माले में चल रहे राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़ज़ू के महाभियोग पर भले ही वैश्विक नज़रें टिकी हों, पर भारत इस नाटक को बारीकी से देख रहा है. अगर मुइज़ज़ू का महाभियोग होता है, तो ये भारत के लिए कई रणनीतिक फायदे ला सकता है.

मुइज़ज़ू चीन को मालदीव में बढ़ावा देने के आरोपों से घिरे हैं. उनके महाभियोग से चीन का प्रभाव घटेगा, और भारत के लिए मालदीव में अपनी रणनीतिक पकड़ मज़बूत करने का मौका मिलेगा. भारत लंबे समय से मालदीव में मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश कर रहा है, खासकर तब से जब चीन ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारी निवेश किया है. मुइज़ज़ू के हटने से भारत ये कोशिश और ज़ोर लगाकर कर सकता है. भारत-मालदीव रिश्तों में सुरक्षा का मुद्दा अहम है. मुइज़ज़ू ने भारतीय सैनिकों की मौजूदगी को हटाने की बात की थी, जो भारत के लिए चिंता का विषय था. उनके महाभियोग से ये स्थिति बदल सकती है और दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग मज़बूत हो सकता है.

हालांकि, यह तय करना जल्दबाज़ी होगी कि मुइज़ज़ू का महाभियोग होगा या नहीं और भारत को कितना फ़ायदा होगा. मालदीव की घरेलू राजनीति जटिल है और अप्रत्याशित मोड़ ले सकती है. फिर भी, इस प्रक्रिया को बारीकी से देखना ज़रूरी है, क्योंकि ये भारतीय हितों के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

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