बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा विधानसभा में दिये गए बयान को अपमानजनक नहीं बल्कि, भद्दा कहा जा सकता है। जिसकी जितनी आलोचना की जाए,उतनी कम होगी। नीतीश कुमार ने सेक्स एजुकेशन पर जिस तरह के शब्द और इशारे किये उसे किसी भी तरह से सही नहीं ठहराया जा सकता है। सवाल यह है कि आखिर नीतीश कुमार ऐसे बयान क्यों दे रहे हैं ? इसकी क्या वजह हो सकती है? यह बड़ा सवाल है? क्योंकि नीतीश कुमार का यह पहला बयान नहीं है। इससे पहले भी उन्होंने ऐसा ही बयान दे चुके हैं ?
“इंडिया गठबंधन” में पीएम उम्मीदवार के दावेदार नीतीश कुमार की चाल चलन बड़ी अजीब होती जा रही है। कहा जाता है कि एक सतकर्मी व्यक्ति जब बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति के सोहबत में आता है तो वह भी उसी रंग में रंग जाता है। इसलिए हमारे साधु संत संगत पर हमेशा लोगों को सजग करते रहते हैं। वे कहते रहते हैं कि जब भी किसी व्यक्ति के संगत में हो तो वह नेक कर्म करने वाला हो और आपको अच्छी शिक्षा देने के साथ आपको बुरे क्रिया कलापों से बचने के लिए सही मार्ग दिखाए। अब सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार आजकल जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं क्या वह संगत का असर है। क्या अब नीतीश कुमार टपोरी छाप स्टाइल में राजनीति करना चाहते हैं ? इस सवाल से एक और सवाल उठता है कि क्या नीतीश कुमार अपनी गंभीरता खो चुके हैं ?
नीतीश कुमार ने जिस मुद्दे पर बात की, वह बुरा नहीं था, लेकिन उनके बोलने का अंदाज और इशारा गलत था। बार बार नीतीश कुमार द्वारा पेट सहलाना, अंगुली से इशारा करना गलत था। भले नीतीश कुमार सेक्स एजुकेशन और जनसंख्या नियंत्रण पर अपनी बात रख रहे हों, लेकिन जिस तरह से उन्होंने शब्दों का इस्तेमाल किया वह बेहद ही अपमानजनक था। बिहार के मुख्यमंत्री अपने पद की गरिमा को लांघ गए। जिस पर बवाल हो गया।
अब सवाल यह कि आखिर नीतीश कुमार ने इन अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल क्यों किया। क्या वे अन्य शब्दों का चयन नहीं कर सकते थे। यह वह सवाल है जो उनके राजनीति जीवन से जुड़ा हुआ है। एक ओर जहां लालू प्रसाद यादव को चटखारेदार बात करने के लिए जाने जाता है। वहीं नीतीश कुमार को बिहार की राजनीति में गंभीर नेता के रूप में जाना जाता है। लालू यादव अपनी बातें हर बातों को चुटकीले अंदाज में कहकर लोगों हंसाने का काम करते रहे हैं। लेकिन इसके उलट नीतीश कुमार को गंभीर नेता माना जाता रहा है। यही वजह कि लालू प्रसाद यादव को कभी गंभीरता से नहीं लिया गया। जबकि आज के दौर में नीतीश पीएम मटेरियल हैं। मगर जिस तरह से मंगलवार को नीतीश कुमार ने वल्गर शब्दों का विधानसभा में इस्तेमाल किया।
वह ही गंभीर मसला है। इससे नीतीश कुमार की गंभीर राजनीति पर सवाल खड़ा होने लगा है। वर्तमान में वे “इंडिया गठबंधन” के सबसे बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। उन्हें इंडिया गठबंधन में पीएम उम्मीदवार के रूप उनकी पार्टी उनका नाम समय समय पर उछलती रहती है। उन्होंने पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने का अभियान चलाया। नीतीश कुमार का ऐसा ही आपत्तिजनक बयान 7 जनवरी 2023 को भी सामने आया था। बिहार के वैशाली जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए नीतीश कुमार ने वही बातें कही जो उन्होंने सात नवंबर 2023 को बिहार विधानसभा में कहा था। यहां भी उन्होंने महिला पुरुष से जुडी बातें कर रहे थे। हालांकि उस समय इन बातों को नोट नहीं किया गया। लेकिन सात नवंबर को जिस अंदाज में उन्हीं बातों को दोहराया। वह हैरान करने वाली है।
अब उस बातों को भी जान लेते हैं जो नीतीश कुमार ने कही थी। दरअसल मंगलवार को नीतीश कुमार ने आर्थिक और शैक्षणिक सर्वे की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की थी। इस दौरान उन्होंने जनसंख्या नियंत्रण और महिलाओं की पढ़ाई पर अपनी बातें रख रहे थे। उसी दौरान उन्होंने कहा था कि बिहार में महिलाओं की साक्षरता में बढ़ोत्तरी हुई है। उन्होंने शिक्षा को जनसंख्या नियंत्रण से जोड़ते हुए भद्दी बातों को कहा था। जिसे हम भी यहां नहीं कह सकते हैं।
अब सवाल यह हैं कि नीतीश कुमार ने ऐसा क्यों कहा। तो कहा जा सकता है कि नीतीश कुमार वाहवाही लूटने के चक्कर मर्यादा को ही लांघ गए। नीतीश कुमार के अनुसार, उनकी सरकार के आने के बाद बिहार में महिलाओं की शिक्षा में बढ़ोत्तरी हुई है। इसकी वजह से जनसंख्या पर नियंत्रण हुआ है। इस दौरान नीतीश कुमार ने आंकड़े भी प्रस्तुत किये। बताया जा रहा है कि बिहार सरकार राज्य में प्रजजन दर काम करने के लिए महिलाओं की शिक्षा पर जोर दे रही है। लेकिन, क्या जिस तरह से नीतीश कुमार महिलाओं के लिए बात की क्या उसे नकारा जा सकता है। क्या विकास के नाम पर या शिक्षा के नाम पर हम कुछ भी कह सुन सकते है? हालांकि, बाद में विवाद बढ़ने पर नीतीश कुमार ने माफ़ी मांग ली। लेकिन, क्या यह बात क्षमा योग्य है ? क्या नीतीश ऐसी ही बातें अपने परिवार के साथ कर सकते हैं ?
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