28 C
Mumbai
Monday, November 11, 2024
होमब्लॉगपलटीमार, नीतीश कुमार  

पलटीमार, नीतीश कुमार  

Google News Follow

Related

महाराष्ट्र में जहां बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर सरकार बनाई और मंगलवार को मंत्रि मंडल का विस्तार किया। लेकिन दूसरी तरफ बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल रहा है। जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन टूट गया है। नीतीश कुमार को राजनीति का मौसम विशेषज्ञ भी कहा जाता है। बिहार की राजनीति जाति धर्म से आगे नहीं बढ़ पाई. यही कारण है कि आज भी बिहार की पिछड़े राज्यों में गिनती होती है। कुल मिलाकर खबर यह है कि नीतीश कुमार आरजेडी और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाएंगे।

बीजेपी जेडीयू गठबंधन टूटने के कई कारण गिनाए जा रहे हैं। जिसमें एक कारण यह भी है कि हाल ही में बीजेपी ने 200 विधानसभा सीटों को जीतने के लिए प्रदेश स्तर की कार्यकारिणी  रूपरेखा तैयार की। जिसके बाद जेडीयू नाराज हो गई। हर राजनीति पार्टी के अपने स्वार्थ होते हैं। नीतीश कुमार ने 22 साल तक मुख्यमंत्री की गद्दी पर रहे। इतने सालों में नीतीश कुमार ने छह बार बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर पहुंचे। इस बीच, नीतीश कुमार ने कहा कि बीजेपी हमे कमजोर कर रही है।अभी तक जो खबर आई है ,जिसमें कहा गया है कि जेडीयू  मुख्यमंत्री, आरजेडी से डिप्टी सीएम और उसी के पास गृह मंत्रालय और कांग्रेस का स्पीकर होगा। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से भी डिप्टी सीएम बनाया जाएगा।

गौरतलब है कि सबसे पहले नीतीश कुमार ने 2000 में सीएम बने थे। उन्होंने मुख्यमंत्री पद की शपथ बीजेपी के सहयोग से लिया था। लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उस समय नीतीश कुमार केवल सात दिन मुख्यमंत्री पद की कुर्सी संभाल पाए थे। इसके बाद नीतीश कुमार ने  2005 में फिर सत्ता में वापसी की. इस बार भी उन्होंने बीजेपी के सहयोग से मुख्यमंत्री का पद संभाला और कार्यकाल पूरा किया। नीतीश कुमार की छवि एक कर्मठ नेता की बनी रही। इसके बाद 2010 में बिहार की जनता ने एक बार फिर नीतीश कुमार पर भरोसा जताया और उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की कुर्सी सौंपी।

लेकिन, 2013 की कहानी भी कुछ आजकल जैसी ही लग कर रही  है। केंद्र में यूपीए की सरकार थी. उस समय भी महंगाई का मुद्दा चरम पर था। बीजेपी के नेता लगातार जमीनी स्तर पर इस मुद्दे को उठाते रहे। आज भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. लेकिन यह काम कांग्रेस कर रही है लेकिन वह ईडी से बचने के लिए यह सब कर रही है। बीजेपी की सरकार ने केंद्र में आठ साल पूरे कर लिया है। हालांकि, कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टी ऐसा कुछ माहौल नहीं बना पाई हैं। जैसा कभी बीजेपी ने बनाया था। साथ ही उस समय यूपीए सरकार पर कई घोटालो का दाग लगा चुका था और यूपीए सरकार की जनता में कोई अच्छी इमेज नहीं थी। उसी समय बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव के लिए तब के गुजरात के तात्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया।

जिसके बाद नीतीश कुमार एनडीए से बिदक गए और धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाते हुए अलग हो गए। 17 जून 2013 को नीतीश कुमार एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी से अलग होने की घोषणा की। इसके बाद नीतीश कुमार बीजेपी के सभी मंत्रियों को बर्खास्त कर दिया और आरजेडी के समर्थन से सरकार चलाये। लेकिन, 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन, मांझी की बेबाक टिप्पणी ने नीतीश के मकसद पर पानी फेर दिया। मांझी ने 20 मई 2014 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 20 फरवरी 2015 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में नितीश कुमार महागठबंधन के साथ लड़े। जिसमें कांग्रेस आरजेडी और अन्य दल शामिल थे। इस चुनाव में महागठबंधन को बहुमत मिला, और सीएम की कुर्सी संभाली। लेकिन जैसा की जग जाहिर नीतीश कुमार का मन एक जगह नहीं लगता है। उनकी अंतरात्मा हमेशा कुछ न कुछ कहती रहती है।

नीतीश कुमार अपने कार्य से जनता के दिलों में जगह बनाये, लेकिन उनकी इमेज पार्टी बदलने वाली नेता की बन गई। नीतीश कुमार अपने कुर्सी के लिए विचारधारा को ताक पर रखकर सत्ता के लिए पार्टियां बदलते रहे। उन्होंने एक बार वही किया जो पहले कर चुके थे। 2017 में नीतीश कुमार ने नैतिकता का हवाला देते हुए महागठबंधन सरकार से अलग होते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। नितीश कुमार  तमाम नैतिकताओं की भूमिका बनाते हैं, लेकिन विचारधारा की नैतिकता पर वह कहीं खरे नहीं उतरते हैं। उन्होंने एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिलकर मुख्यमंत्री बन गए। इसके साथ ही नीतीश कुमार ने एक और कारनामा भी किया।

उन्होंने इसी के साथ छठवीं बार सीएम बने।इसके बाद 2020 में विधानसभा चुनाव हुआ. नीतीश कुमार की पार्टी बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लडा। चुनाव जीते और सातवीं बार सीएम की कुर्सी पर बैठे। तो हम कह सकते हैं कि नितीश कुमार पलटी मारने वाले नेता हैं, सत्ता के लिए समझौता करते रहते हैं।  नीतीश 22 साल बिहार के मुख्यमंत्री रहे लेकिन  आज भी बिहार पिछड़ा  हुआ राज्य कहलाता है। दूसरे राज्यों में  यहां के लोग जाकर अपनी रोजी रोटी जुटाते हैं। जबकि उत्तर प्रदेश  किन सरकार अपने यहां से बाहर जाने वाले लोगों  के लिए रोजगार मुहैया करा रही है। उनके लिए कई योजनाएं शुरू की।

ये भी पढ़ें 

 

हमारे DNA में है रामायण

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,321फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
189,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें