US में पीएम नरेंद्र मोदी रचेंगे इतिहास, जाने क्या-क्या होने वाला है ?  

अमेरिका के राजकीय यात्रा पर पीएम मोदी दूसरी बार अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करें। तो पहली बार उन्हें यह सम्मान मिला है।   

US में पीएम नरेंद्र मोदी रचेंगे इतिहास, जाने क्या-क्या होने वाला है ?  

पीएम मोदी 22 से 24 जून तक अमेरिका के राजकीय यात्रा पर रहेंगे है। सबसे बड़ी बात यह है कि भारत और अमेरिका दुनिया के सबसे पुराने लोकतांत्रिक देश हैं। ऐसे में पीएम मोदी की यह यात्रा बहुत ही ख़ास और महत्वपूर्ण है। इस यात्रा के कई मायने भी निकाले जा रहे हैं। बताते चले कि पीएम मोदी पिछले माह तीन देशों की यात्रा पर गए थे। जो एक यादगार यात्रा कही जा सकती है। फिलहाल भारत और पीएम मोदी के विश्वस्तर पर बढ़ते कदम को साफ़ देखा जा सकता है। कैसे दुनिया भारत की ओर देख रही है। इस राजकीय यात्रा के क्या मायने हैं।

पीएम मोदी ने तीन देशों की यात्रा के दौरान सबसे पहले जापान में 20 मई को जी-7 के शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे। उसके बाद उन्होंने पापुआ न्यू गिनी के बाद आस्ट्रेलिया पहुंचे थे। इन देशों में पीएम मोदी का जोरदार स्वागत किया गया था। पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने पीएम मोदी के पैर छुए थे। जिसकी दुनियाभर में खूब चर्चा हुई थी। इतना ही नहीं पापुआ न्यू गिनी ने पीएम मोदी का रात में स्वागत किया था। जो उसके परम्परा के खिलाफ था।पापुआ अपने रिवाज को तोड़ते हुए  पीएम मोदी का आवभगत किया था। पापुआ न्यू गिनी में किसी भी मेहमान का रात में स्वागत नहीं किया जाता है, लेकिन पीएम मोदी के पापुआ न्यू गिनी के हवाई अड्डे पर पहुंचने पर यहां के पीएम जेम्स मारापे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जोरदार स्वागत किया। जब उन्होंने नरेंद्र मोदी का पैर छुआ तो दुनिया सन्न रह गई थी। इस दौरान पीएम मोदी ने उनकी पीट को कई बार थपथपाया था। जो अपनत्व को दर्शाता है। दुनियाभर के देशों के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा इस तरह से पीएम मोदी का स्वागत करना यह दिखाता है कि किस तरह से भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है।

हालांकि, भारत में विपक्ष पीएम मोदी की लोकप्रियता को पचा नहीं पा रहा है। भारत की छवि को दुनिया के सामने धूमिल करने पर तुला हुआ है। यह सही है कि विपक्ष का काम सत्तासीन के गलत फैसलों पर सवाल उठाना होता है। लेकिन विपक्ष कभी कभी राजनीति करने के चक्कर में देशहित को भी किनारे लगा देता है। हाल फिलहाल तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वही किया।  बहरहाल, हम पीएम मोदी के अमेरिका के राजकीय यात्रा पर बात करते हैं। देखा जाए तो पीएम मोदी अब तक सात बार अमेरिका के दौरे पर जा चुके हैं। लेकिन यह पहला मौक़ा है जब पीएम मोदी अमेरिका के राजकीय यात्रा पर पहली बार जा रहे हैं। इस यात्रा की खूब चर्चा हो रही है। पीएम मोदी आठवीं बार अमेरिका के दौरे पर जा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि पीएम मोदी अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्ट लेडी जिल बाइडेन के मुख्य अतिथि होंगे। बता दें कि पीएम मोदी से पहले भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को यह सम्मान मिल चुका है। मनमोहन सिंह को यह सम्मान 2009 में मिला था।

ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर पीएम मोदी की इस राजकीय यात्रा के क्या मायने हैं।  इसका क्या महत्व है। इस मुद्दे पर बात करने से पहले इसी साल मई माह में जापान में हुए जी-7 के शिखर सम्मेलन की एक झलक देख लेते हैं। इसी मौके पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद चलकर पीएम मोदी के पास आये थे और दोनों नेता गर्मजोशी से मिले थे।इतना नहीं उन्होंने उनका आटोग्राम भी मांगा था। वैसे यह पहला मौक़ा नहीं था जब जो बाइडेन खुद चलकर पीएम मोदी से मिले हो। पिछले साल जर्मनी में हुए जी -7 के शिखर सम्मेलन में भी जो बाइडेन खुद चलकर आये थे। उस समय ऐसा लग रहा था कि बाइडेन पीएम मोदी से मिलने को बेताब है। अमेरिका के राष्ट्रपति पीएम मोदी तक खुद चलकर गए थे और उनके कंधे पर हाथ रखा था। उसके बाद दोनों नेता गर्मजोशी से मिले थे।

तो एक बार फिर लौटते हैं मुख्य मुद्दे पर, बता दें कि पीएम मोदी का यह दौरा भारत के लिए गर्व की बात है। क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति के चार साल के कार्यकाल में केवल एक ही नेता को यह सम्मान मिलता है। जो पीएम नरेंद्र मोदी को मिला है। पीएम मोदी उन गिने चुने नेताओं में हैं  जिन्हें इस साल अमेरिकी राष्ट्रपति के निमंत्रण पर अमेरिकी स्टेट डिनर दिया जाएगा। स्टेट डिनर को राजकीय भोज भी कहा जा सकता है। पीएम मोदी को 21 तोपों की सलामी भी दी जा सकती है। इस दौरान दोनों देशों का राष्ट्रगान भी बजाय जाता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस यात्रा को 50 साल के लिए यादगार बनाये जाने के लिए दोनों देशों की टीमें जुटी हुई हैं। इस दौरान कई व्यापारिक और रक्षा क्षेत्र में समझौता होने हैं।

वहीं, पीएम मोदी इस दौरान दूसरी बार अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को सम्बोधित करेंगे। पीएम मोदी ऐसा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री होंगे। इससे पहले भी भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों ने भी संबोधित किया है। 2005 में मनमोहन सिंह, 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी, 1994 में पीवी नरसिम्हा राव और 1985 में राजीव गांधी ने संबोधित किया था। इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 2016 में अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया था। अब यह दूसरा मौक़ा है जब वह एक बार फिर अमेरिकी संसद के संयुक्त सत्र में अपनी बात रखेंगे। बता दें कि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने तीन बार संबोधित किया है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने दो बार अमेरिकी संसद को संबोधित किये हैं।

वैसे, अमेरिका भारत की बढ़ती शक्ति का लोहा मान रहा है। अमेरिका ही नहीं ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अन्य देश भी भारत की क्षमता को अच्छी तरह से समझ रहे है। जब पीएम मोदी पापुआ न्यू गिनी से होते हुए आस्ट्रेलिया पहुंचे थे तो वहां के पीएम एंथोनी अल्बानीज तो उन्हें एक कार्यक्रम में बॉस बताया था।  दरअसल, अमेरिका के शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल का मानना है कि  आज अमेरिका और भारत में जो भरोसा जगा है। वह एक दशक पहले नहीं था। उनका मानना है कि  वैश्विक स्तर पर भारत ने हर क्षेत्र सफलता अर्जित कर रहा है और उसकी रणनीति विश्व स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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