… तो इसलिए विधानसभा चुनावों में BJP ने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों पर चला दांव! 

… तो इसलिए विधानसभा चुनावों में BJP ने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों पर चला दांव! 

इस साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीख का चुनाव आयोग ने ऐलान कर दिया है। वहीं, बीजेपी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतार कर विपक्षी दलों में हलचल मचा दी है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर बीजेपी ने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों पर विधानसभा के चुनावों में क्यों दाव लगाया। इसकी क्या वजह हो सकती है। ऐसा भी नहीं है बीजेपी ने यह प्लान पहली बार आजमा रही है।

इससे पहले भी पार्टी इस रणनीति को आजमा चुकी है, लेकिन उतनी कामयाबी नहीं मिली है जीतनी मिलनी चाहिए थी । दो दोस्तों, आज हम इसी मुद्दे को लेकर बातचीत करेंगे। जानने की कोशिश करेंगे की आखिर बीजेपी ने यह रणनीति दोबारा क्यों लागू की। इससे बीजेपी को क्या फ़ायदा होगा ?

गौरतलब है कि, चुनाव आयोग ने कल यानी सोमवार को इसी साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीख का ऐलान किया। पांचों राज्यों में 7 से लेकर 30 नवंबर तक चुनाव होने हैं। इनमें मध्य प्रदेश में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा। छत्तीसगढ़ में 7 और  17 नवंबर को दो चरणों में वोट डाले जाएंगे। जबकि राजस्थान में 23 नवंबर को, मिजोरम में 7 नवंबर को और तेलंगाना में 30 नवंबर को मतदान होगा। इन राज्यों में एक ही चरण में वोट डालेंगे जाएंगे। वहीं, इन पांचों राज्यों का परिणाम एक साथ 3 दिसंबर को आएगा। बता दें कि,  मध्य प्रदेश में कुल 230 विधानसभा सीटें है, इसी तरह से राजस्थान में कुल 200 विधानसभा सींटें हैं, छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटों की संख्या है। वहीं, मिजोरम में 40 और तेलंगाना में 119 विधानसभा सीटें हैं।चुनाव आयोग द्वारा विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान किये जाने के बाद से बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने दावा किया है कि वे पांचों राज्यों में जीत कर रहे हैं। हालांकि, यह केवल बयानबाजी है। इस बीच एबीपी सी वोटर के सर्वे में यह दावा किया गया है कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार बन सकती है। यानी कहा जा सकता है कि राजस्थान की जनता बदलाव के मूड में है। जबकि, मध्य प्रदेश में बीजेपी का पेंच फंसता नजर आ रहा है।

दरअसल यहां 230 सीटों वाली विधानसभा में से कांग्रेस को 113 से लेकर 115 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। जबकि बीजेपी को 104 से लेकर 116 सीटें जीतने के दावे किये गए हैं। सबसे बड़ी बात यह कि इस सर्वे में यह भी सामने आया है कि कांग्रेस और बीजेपी को 45-45 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं।  यानी दोनों में मुकाबला कांटे का है।

अब अगर बात राजस्थान की जाए तो, कुल 200 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 127 से लेकर 137 सीटें मिलने का अनुमान है। जबकि कांग्रेस को उनसठ से लेकर उनहत्तर सीटें मिल सकती है। कहा जा सकता है कि कांग्रेस के हाथ से राजस्थान पूरी तरह से खिसक सकता है।  वहीं, छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 45 से 51 सीटें मिल सकती है.जबकि बीजेपी 39 और 45 के आसपास सीटें मिलने का अनुमान है। ये तीनों राज्य हिंदी भाषी हैं और बीजेपी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इसलिए बीजेपी ने तीनों राज्यों में जीत दर्ज करने के लिए अलग ही रणनीति बनाई है। बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को उतार दिया है। जिस पर सवाल तो उठ रहे हैं, तो इस पर पार्टी द्वारा विश्वास भी जताया जा रहा है।

दरअसल, बीजेपी ने राजस्थान में छह लोकसभा और एक राज्यसभा सांसद को टिकट दिया है। इसमें लोकसभा सांसद नरेंद्र कुमार, दिया कुमारी, राज्यवर्धन राठौर, भागीरथ चौधरी , देवजी पटेल, बालक नाथ और राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा शामिल है. इसी तरह से मध्य प्रदेश में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित सात सांसद को टिकट दिया गया है।

केंद्रीय मंत्रियों में नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते शामिल हैं। जबकि सांसदों में गणेश सिंह, रीति पाठक , राकेश सिंह, उदय प्रताप सिंह और कैलाश विजयवर्गीय को विधानसभा चुनाव का टिकट दिया गया है। अगर छत्तीसगढ़ की बात की जाए तो एक केंद्रीय मंत्री सहित चार सांसदों को विधानसभा का टिकट दिया गया है। इनमें रेणुका सिंह, गोमती साय, अरुण साव और इससे पहले सांसद  विजय बघेल को उम्मीदवार बनाया गया है।

अब ऐसे में सवाल यह है कि आखिर  बीजेपी ने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को क्यों उतारा है।  तो बताया जा रहा है कि बीजेपी अपने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनावी मैदान में उतारकर आसपास के सीटों पर माहौल बनाकर जीत दर्ज करने की रणनीति बनाई है। दरअसल, केंद्रीय मंत्रियों की जनता में अच्छा संदेश है। इसलिए बीजेपी ने अपने सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को उतारकर चुनाव में पासा बदलना चाहती है। बीजेपी का मानना है कि जहां पार्टी विरोधी माहौल है वहां सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों को उतारकर माहौल बनाया जाए। माना जा रहा है कि एक सांसद कम से कम पांच विधानसभा सीटों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए कहा जा रहा है कि बीजेपी एक सीट से कई सीटों को साधने की रणनीति बनाई है।

बता दें कि बीजेपी इससे पहले वेस्ट बंगाल, केरल, त्रिपुरा और यूपी में सांसदों पर दांव लगा चुकी है। इन चार राज्यों में बीजेपी ने कुल नौ सांसदों को विधानसभा चुनाव में टिकट दिया था। जिसमें से केवल तीन ही जीत पाए थे। बाकी के छह सांसद चुनाव हार गए थे। ऐसे में देखना होगा कि  बीजेपी फेल हुई रणनीति से क्या इन राज्यों में कमल खिला पाएगी या फिर फेल होगी यह रणनीति ?

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