24 C
Mumbai
Sunday, November 24, 2024
होमब्लॉगरामचरित मानस से इतनी नफ़रत क्यों?  

रामचरित मानस से इतनी नफ़रत क्यों?  

Google News Follow

Related

आजकल राजनीतिक दलों के बीच हिन्दू धर्म और धार्मिक ग्रंथों को अपमानित करने की होड़ मची हुई है। ऐसा लग रहा है कि जो राजनीतिक दल हिन्दू धर्म को सबसे ज्यादा नीचा दिखाएगा उसी दल का नेता पीएम उम्मीदवार घोषित किया जाएगा। यह मै नहीं कह रहा हूं बल्कि यह राजनीतिक दल कर रहे हैं। एक ओर जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा निकाल कर हिन्दू धर्म का मजाक उड़ा रहे हैं। वे इस दौरान यह साबित करने में लगे हैं कि कौन हिन्दू धर्म को ज्यादा जानता है और कौन नहीं जानता है। उनके द्वारा रोज बेसिर पैर की बात की जा रही है। भले वे हिन्दू धर्म को टारगेट कर बीजेपी पर हमला बोल रहे हैं  लेकिन इस तरह से हिन्दू धर्म का उपहास उड़ाना अच्छा नहीं है।

इसी तरह से बिहार में भी यह होड़ इतनी तेज हो गई है कि रामचरित मानस को नफ़रत के बाद कूड़ा करकट तक की उपाधि दे दी गई। आरजेडी के नेता चंद्रशेखर के बाद अब शिवानंद तिवारी ने रामचरित मानस को कूड़ा करकट कहा है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि आखिर ये नेता हिन्दू धर्म और और धार्मिक ग्रंथों पर हमला क्यों कर रहे हैं ? क्या ऐसा कर वे मुस्लिम वोट हासिल करना चाहते हैं ? क्या यह राजनीतिक हमला है ?

तो आइये पहले जान लेते है कि आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने रामचरित मानस के बारे में क्या कहा। आरजेडी के नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि रामायण में बहुत सारा कूड़ा करकट है। उन्होंने राम मनोहर लोहिया के हवाले से कहा कि,,उन्होंने कहा था कि रामायण में बहुत कूड़ा करकट है और हीरा मोती भी है। कूड़ा करकट को बुहारने में हीरा मोती भी न साफ़ हो जाए। हीरा मोती के चक्कर में कचरा मत खा लेना।

सवाल यह है कि दो दिन में दो आरजेडी नेताओं ने रामायण पर विवादित टिप्पणी की है। ऐसे में इन विवादित टिप्पणियों के क्या मायने निकाले जाए। क्या ये नेता हिन्दू धर्म को बदनाम करने की कसम खाएं है, या केवल चुनाव के दौरान वोट बटोरने के लिए हिन्दू धर्म और धार्मिक ग्रंथों को निशाना बना रहे हैं ? अगर ऐसा हो रहा है तो क्या इन दलों के साथ हिन्दू समुदाय जाएगा। क्या ऐसे ही बयान दूसरे धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ ये नेता दे सकते हैं। मुझे नहीं लगता है कि ऐसा ये राजनीतिक दल कर पाएंगे। क्योंकि विशेष समुदाय को लुभाने के लिए ही ये राजनीति दल हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथों को निशाना बना रहे हैं।

इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी रामचरित मानस को समाज बांटने वाला  और नफरत फैलाने वाला बताया था। वहीं चंद्रशेखर के खिलाफ दिल्ली में मामला दर्ज किया गया है। यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि शिवानंद तिवारी का बयान आग में घी का काम किया है। वैसे बता दें कि इसी सप्ताह में आरजेडी के अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने भी अयोध्या में बन रहे राम मंदिर पर भी अपमानजनक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि राम मंदिर नफ़रत की जमीन पर बन रहा है। ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर एक सप्ताह में आरजेडी के नेता ही भगवान राम पर क्यों हमला बोल रहे हैं क्या कारण हो सकता है।

क्या राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश है। क्योंकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार विपक्ष को एकजुट करने का दावा कर रहे हैं। तो क्या ये सब बयान उसी कड़ी का हिस्सा है।  बताया जा रहा है कि जब से अमित शाह ने राम मंदिर को खोलने की तारीख बताई है तभी से राजनीति दलों में हड़कंप मचा हुआ है। बिहार में ही नहीं, महाराष्ट्र में भी त्रिपुरा की गूंज सुनाई दे रही है। दो दिन पहले ही शरद पवार ने कहा था कि क्या अमित शाह पुजारी हो गए है।

इतना ही नहीं उन्होंने कहा था कि अमित शाह राम मंदिर का नाम लेकर देश के मुख्य मुद्दों से लोगों को भटका रहे है। लेकिन क्या ऐसा है तो विपक्ष क्या कर रहा है ? विपक्ष का काम ही है मुद्दे को उठाना, धरना देना ,प्रदर्शन करना, लेकिन क्या विपक्ष कहीं धरना प्रदर्शन करता नजर आ रहा है। क्या विपक्ष जनता का मुद्दा उठा रहा है ? यह सवाल विपक्ष के सभी नेताओं से हैं, लेकिन उनके कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा है। आखिर क्यों नहीं विपक्ष जनता के मुद्दों को उठा रहा है ? साफ़ है कि उनके पास मुद्दा ही नहीं है। राहुल गांधी ने दुनिया के सामने यह कहकर भारत जोड़ो यात्रा शुरू की थी कि इस यात्रा के जरिये वे महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाएंगे।

लेकिन उन्होंने ऐसा किया, नहीं किया। राहुल गांधी इस दौरान बीजेपी और आरएसएस पर निशाना साध रहे हैं। और कह रहे हैं कि बीजेपी मेरी इमेज खराब करने के लिए करोड़ों रूपये खर्च किये। भइया जिसकी कोई इमेज नहीं है तो उसकी इमेज क्या बिगड़ेगी ? इतना ही नहीं राहुल गांधी फर्जी पंडित बन गए हैं जो यह बताते है कि बीजेपी हर हर महादेव नहीं बोलती, जय सियाराम नहीं बोलती। राहुल गांधी को बताना चाहिए कि उन्होंने और उनके नेताओं ने कितने बार हर हर महादेव और जय सियाराम बोले। दरअसल, अमित शाह की घोषणा के बाद से सभी राजनीतिक दलों के हाथ पैर फूले हुए हैं।

यही कांग्रस पहले यह कहती थी कि बीजेपी राम मंदिर बनाने की बात तो करती है लेकिन तारीख नहीं बताती। अब जब बीजेपी ने राम मंदिर को खोलने की तारीख बता दी है तो मिर्ची क्यों लग रही है। कांग्रेस यह मानकर चल रही थी कि राम मंदिर को मुद्दा बनाकर पार्टी बीजेपी पर हमला बोलकर वोट हासिल करती रहेगी है। लेकिन बीजेपी ने उसके मंशा पर पानी फेर दिया। आज राम मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है और 2024 में खोल दिया जाएगा।

यही वजह है कि विपक्ष के नेताओं में हलचल मचा हुआ है। एक बार फिर उनकी लुटिया डूबने वाली है। यही वजह है कि विपक्ष अब सीधा भगवान राम पर ही हमला बोलना शुरू कर दिया।जगदानंद सिंह,चंद्रशेखर और शिवानंद तिवारी का बयान तिलमिलाहट की आहट है। आने वाले समय समय में यह बौखलाहट हद पार कर सकती है।

ये भी पढ़ें

JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन 

पीओके के लोगों ने पाकिस्तान के खिलाफ खोला मोर्चा,भारत के साथ आएंगे?   

सत्ता मिलने की उम्मीद खत्म होते ही महाविकास आघाडी की तिकड़ी में बिगाड़!

लेखक से अधिक

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

The reCAPTCHA verification period has expired. Please reload the page.

हमें फॉलो करें

98,295फैंसलाइक करें
526फॉलोवरफॉलो करें
195,000सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें

अन्य लेटेस्ट खबरें