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Monday, November 25, 2024
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एक मंच पर शरद पवार पीएम मोदी, विपक्ष के इंडिया में खलबली?  

महाराष्ट्र के पुणे में पीएम मोदी और शरद पवार ने एक साथ मंच साझा किया। महाराष्ट्र से लेकर देश भर में इसकी खूब चर्चा है।  

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एक बार फिर शरद पवार की राजनीति को लेकर सियासी गलियारे में चर्चा हो रही है। महाराष्ट्र से लेकर देश भर में इसकी चर्चा है। महाराष्ट्र के पुणे में पीएम मोदी को मंगलवार को लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह सम्मान हर साल तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट द्वारा दिया जाता है। हालांकि, इस बार पुरस्कार की चर्चा के साथ इसके मंच पर एनसीपी मुखिया शरद पवार, पीएम मोदी और अजित पवार को लेकर राजनीति गलियारा गरमाया हुआ है।

एनसीपी सहित कई नेताओं ने शरद पवार को इस कार्यक्रम में शामिल न होने के लिए सुझाव दिए थे, लेकिन उन्होंने इसे दरकिनार करते हुए इस कार्यक्रम में शामिल हुए और पीएम मोदी की पीठ भी थपथपाई। इसके कई मायने निकाले जा रहे है।

कहा जा सकता है कि शरद पवार की राजनीति को कोई नहीं समझ पायेगा। जिस तरह से आज  विपक्ष के नेता पीएम मोदी को लेकर आक्रामक रहते हैं और उन पर निजी हमले करते हैं।  उससे अलग शरद पवार केवल किसी ख़ास मौके पर ही बीजेपी की खिलाफत करते हैं। सही कहा जाए तो शरद पवार ने पीएम मोदी की आलोचना करने के बजाय बीजेपी पर हमला बोलते हैं। शरद पवार एक ऐसे राजनेता है, जिनको उनके साथ रहने वाले भी नहीं समझ पाए है।
मंगलवार को जब पीएम मोदी सबसे मिल रहे थे, तो उन्होंने शरद पवार से भी मिले और उनसे बात भी करते देखे गए। सबसे बड़ी बात यह रही की शरद पवार ने पीएम मोदी की पीठ थपथपाई। इसको देखते हुए कहा जा सकता है कि शरद पवार और नरेंद्र मोदी ने राजनीति में नई परिभाषा गढ़ी है। जिसको समझना हर किसी के बस की बात नहीं है।

ऐसे में अब लोग के जेहन में यह सवाल उठ रहा है कि शरद पवार और पीएम मोदी में क्या बात हुई होगी। चंद पल शरद पवार के सामने ठहरे पीएम मोदी मुस्कराते देखे गए। शरद पवार भी हँसते हुए दिखाई दिए। इस दौरान पीएम मोदी हाथ पर कुछ लिखने का इशारा कर रहे थे। शरद पवार के ठीक बगल में खड़े कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे भी मुस्करा रहे थे। जो महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री भी रहे चुके हैं। यह बात सही है कि पीएम मोदी बीजेपी के प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि इस देश के प्रधानमंत्री है और सबके प्रधानमंत्री। लेकिन कुछ विरोधी दल के नेता पीएम मोदी को दुश्मन की तरह देखते हैं और उनके खिलाफ अनर्गल प्रलाप करते हैं।

कहा जा रहा है कि एनसीपी के एक नेता ने शरद पवार से अपील की थी की, वे इस कार्यक्रम में शामिल न हों। लेकिन शरद पवार ने उस नेता से यह कहा कि वे बीजेपी के कार्यक्रम में नहीं जा रहे है। बल्कि पीएम के कार्यक्रम में जा रहे है। बताया जाता है कि आयोजकों ने पीएम मोदी को सम्मान देने और इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए न्योता देने की जिम्मेदारी शरद पवार को दी थी। शरद पवार ने ही पीएम मोदी से बात कर कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया था।

सबसे बड़ी बात यह कि शरद पवार ने इस दौरान पीएम मोदी को आलोचना नहीं की। जो  सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। वैसे कहा जाए तो शरद पवार ने ऐसा पहली बार नहीं किये है। वे अधिकत्तर अपनी बातें नपी तुली बोलते हैं। शिवसेना और बीजेपी का लगभग 25 साल रहा, लेकिन 2019 में अलग होने के बाद से उद्धव ठाकरे उतने पीएम मोदी पर हमलावार नहीं थे, जितने अब है। शिवसेना के टूटने के बाद संजय राउत और उद्धव ठाकरे बीजेपी के खिलाफ तलवार खींचे हुए हैं। उद्धव गुट के नेता बीजेपी और पीएम मोदी पर तीखी टिप्पणी करते देखे गए हैं।

इसी तरह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पीएम मोदी के खिलाफ ऐसे भाषा का इस्तेमाल करते हैं जो राजनीति के शब्दकोष में नहीं है। उसे गाली गलौच की श्रेणी में रखा जाता है। जैसे चौकीदार चोर है। यह वह शब्द है जो नेताओं को शोभा नहीं देते हैं,लेकिन वर्तमान में ऐसे शब्द पर्याय बन गए है। पीएम मोदी ने एक बार कहा भी था कि कई लोग मुझे पानी पी पीकर गाली देते हैं। लेकिन शरद पवार ने कभी भी पीएम मोदी के खिलाफ अपशब्द का इस्तेमाल नहीं किया। शरद पवार जब कभी भी बीजेपी की आलोचना करते हैं तो मुद्दे पर बोलते हैं।

वहीं, अपने भाषण के बाद जब पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरे उपमुख्यमंत्री अजित पवार मिले तो उन्होंने अजित पवार के हाथ पर थपकी दी। इस समय अजित पवार मुस्कराते रहे। इसके भी मायने निकाले जा सकते हैं। बहरहाल, राजनीति पंडित इसका मतलब जो निकाले, लेकिन शरद पवार के बारे में यही कहा जा सकता है कि उन्होंने राजनीति के मौके पर राजनीति की और निजी संबंध को निजी ही रखा। जो एक परिपक्व राजनीति की मिसाल है। इस बीच कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि एक मंच पर शरद पवार, अजित पवार और नरेंद्र मोदी की मौजूदगी से भ्रम पैदा हो रहा है। इसे शरद पवार को स्पष्ट करना चाहिए। ऐसे में सवाल यह कि क्या सच में शरद पवार ने विपक्ष में भ्रम पैदा किया है ? या एक मंच पर आने पर केवल राजनीति की जा रही है।

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