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Tuesday, December 16, 2025
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‘भारत माता की जय’ से दीन आहत होता है साहब ‘जय फिलिस्तीन’ से नहीं?

हमें कई ह्यूमन राइट्स सीखाने वाली संस्थाओं ने भी धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए माननीय सांसद असदुद्दीन ओवैसी के राष्ट्र प्रेम पर सवाल उठाने से मना कर दिया।

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कल देशभर से चुने गए लोकप्रतिनिधी जो भारत की नए संसद भवन में अगले पाँच साल तक आदरणीय सांसद महोदय बनकर, 140 करोड़ देशवासियों के हित की चिंतन करेंगे, उनका शपथविधी का समारोह संपन्न हुआ।

सभी ने शपथ लेने के पश्चात् या तो कोई नारा दिया या कोई मंत्र कहा। किसी ने अपने राज्य की भाषा में शपथ ली तो किसी ने अपनी मातृभाषा की जय जयकार की। इन्हीं सांसदों में से कइयों ने देश धर्म के भी नारे लगाए, किसी ने महापुरुषों के नारे लगाए। पर इन सब में एक अकेला सांसद था, जिसने भारत की संसद में शपथ लेने के पश्चात् भारत का जयकारा नहीं किया बल्कि भारत से दूर मेडिटेरियन समुद्र के तट के पास बिंदु स्वरूप पनप रहे फिलिस्तीन का जयकारा लगाया। वे माननीय सांसद और कोई नहीं प्रसिद्ध हैदराबाद से चुनकर आए मियाँ असदुद्दीन ओवैसी है।

मियाँ असदुद्दीन वहीं संसद है जिन्होंने मुसलमानों को हमेशा याद दिलाया है के वे मुसलमान है, जिस कारण से अगर वो ‘भारत माता की जय’ कहते है तो अल्लाह से किसी चीज़ की बराबरी करना अर्थात अल्लाह की तौहीन के बराबर है। क्यों की ‘भारत माता की जय’ से गुस्ताखी होगी तो किसी भी मुसलमान के लिए भारत का जयकारा लगाना मुसलमान के लिए ठीक नहीं।

हमें कई ह्यूमन राइट्स सीखाने वाली संस्थाओं ने भी धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए माननीय सांसद असदुद्दीन ओवैसी के राष्ट्र प्रेम पर सवाल उठाने से मना कर दिया। कई तथाकथित प्रगाढ़ पंडितों, विद्वान, बुद्धिजीवियों ने हमसें कहा की, ‘भारत माता की जय’ कहने से न राष्ट्रप्रेम सिद्ध होता है, और ऐसा न कहना मतलब राष्ट्रप्रेम का आभाव भी नहीं है। गौर करने की बात यह भी है की ऐसा कहने वालों में सांसद महोदय असदुद्दीन आवैसी भी शामिल थे।

अब समीकरण कुछ ऐसा है की ओवैसी साहब जानते है किसी भी देश का नारा लगाने से उस राष्ट्र के प्रति प्रेम उत्पन्न न होगा, न की दीन की गुस्ताखी होगी, फिर भी भरी संसद में शपथविधी के इतने महत्वपूर्ण प्रसंग के अवसर पर उन्होंने ‘जय फिलिस्तीन’ का नारा लगाया। दीन को इतना मानने वाले सांसद फिलिस्तीन से वोट भी नहीं पाते और न हीं फिलिस्तीन के कारोबारी है। आज इसलिए हमारा उनसें बस यही प्रश्न रहेगा, ‘भारत माता की जय’ से दीन आहत होता है तो साहब ‘जय फिलिस्तीन’ से नहीं

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