बीजेपी नेता किरीट सोमैया की नजर अब शिवाजी बालासाहेब ठाकरे के नेता रवींद्र वायकर पर है। जोगेश्वरी में जहां 2 लाख वर्ग फुट पर जमीन पर वायकर का कब्जा है इसका दावा सोमैया ने किया है। इनका बाजार बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के दौरान ही उठा है। किरीट सोमैया पहले भी कई घोटालों का पर्दाफाश कर चुके हैं। कई मामलों में गुनहगाह जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचे हैं। हालांकि, ज्यादा घोटाले उद्धव ठाकरे के करीबियों के ही रहे हैं।
रवींद्र वायकर नगरसेवक थे। वे तीन बार स्थायी समिति के अध्यक्ष रहे, फिर लगातार तीन बार विधायक बने। वह देवेंद्र फडणवीस की सरकार में मंत्री भी थे। वायकर के इस उत्थान के पीछे मातोश्री के साथ उनके घनिष्ठ संबंध है। वायकर के काम करने का तरीका अलग है।
जिस समय भ्रष्ट नगरसेवक ज्यादा नहीं होते थे, यानी झुग्गी में किसी को घर की ऊंचाई बढ़ाने के लिए 5000 मिलते थे, दुकान बढ़ाने के लिए 10000 मिलते थे, उस दौरान वायकर ने कुछ बिल्डरों के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। और जमीन अधिग्रहण का धंधा शुरू किया। उनकी क्षमता बड़ा हाथ मारने की थी।
मातोश्री में एक ऐसी भी पीढ़ी थी, जिसका शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे से गहरा नाता था। पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रति निष्ठा रखनेवाले लोगों ने मातोश्री पर वजन बढ़ाया। वायकर उनमें से एक थे। उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ एक व्यक्तिगत संबंध स्थापित किया। वह उनके साथ कई बिजनेस में पार्टनर भी हैं।
जब जोगेश्वरी-विक्रोली लिंक रोड की हालत खराब थी, तब उन्होंने मातोश्री स्पोर्ट्स क्लब, सुप्रीमो रेस्टोरेंट की शुरुआत की। किरीट सोमैया ने अब जिस 2 लाख वर्ग फुट प्लॉट के घोटाले का पर्दाफाश किया है, वह वास्तव में वायकर के मंत्री कार्यकाल के दौरान ही सामने आया होगा। लेकिन हर चीज का एक समय होता है। एक अन्य विवादास्पद परियोजना वायकर द्वारा निर्मित मातोश्री स्पोर्ट्स क्लब है। उसके आगे यह दो लाख वर्गफीट जगह सुप्रीमो एक्टिविटी सेंटर के नाम से कब्जाई हुई थी। जबकि इस जगह का 67 प्रतिशत मैदान के लिए आरक्षित है, यहां लोगों की आवाजाही पर रोक था।हालांकि बाद में इसका विरोध किया गया। लोगों के आने जाने के मार्ग के लिए भी यहां आंदोलन हुआ था। उसके बाद एक महीने तक इस जगह को सुबह और शाम निश्चित समय पर जनता के लिए खोल दिया गया।
लेकिन कुछ देर बाद यह बंद हो गया। वायकर अच्छी तरह जानते थे कि लोग बार-बार विरोध नहीं कर सकते। जो स्थान लोगों को व्यायाम करने, चलने और खुलकर सांस लेने के लिए उपलब्ध नहीं था, उस स्थान को पादरियों ने बहुत सारा पैसा देकर विवाह समारोहों के लिए उपलब्ध कराना संभव बना दिया। वहां दूल्हे के खाने और रहने की सुविधा के लिए एक पक्का ढांचा भी बनाया गया था। स्थानीय भाजपा नगरसेवक उज्ज्वला मोडक ने लगातार इस स्थान को आम लोगों के लिए खोलने का प्रयास किया। नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की। मोडक की शिकायत के बाद सितंबर 2017 में सुप्रीमो एक्टिविटी सेंटर को नोटिस भी जारी किया गया था। लेकिन यहाँ गठबंधन की सरकार थी, वायकर मंत्री थे, ठाकरे के करीबी थे, इसलिए यहां कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। जब भी कार्रवाई की संभावना होती, मंत्रालय की ओर से कार्रवाई रोकने के लिए फोन किया जाता। उस समय भाजपा भी बेबस थी। शिवसेना के कई मामलों में उन्हें पीछे हटना पड़ा।
महल पिक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड साइट इस कंपनी के स्वामित्व में है। यह जगह कंपनी के मालिक अविनाश भोंसले, शाहिद बलवा और विनोद गोयनका से खरीदी गई थी। यह जगह मूल रूप से प्रसिद्ध निर्देशक कमाल अमरोही के स्वामित्व में थी। यहां उनका स्टूडियो था। आसपास की जमीन पर भी उनका कब्जा था। वायकर ने कहा कि इस जगह पर जमीन का आरक्षण है और रेडी रेकनर के मुताबिक 4 करोड़ रुपये की यह जगह महज तीन लाख में बिकी।
महाविकास अघाड़ी की सरकार आने के बाद वायकर को शादी समारोह से मिलने वाले किराए से कोई दिलचस्पी नहीं रह गई थी। उन्हें अच्छे से पता था कि इस जगह पर क्या हो सकता है। हथियाई गई दो लाख वर्ग फुट जमीन पर उन्होंने फाइव स्टार होटल बनाने का आंदोलन शुरू किया। ठाकरे मुख्यमंत्री थे तो उनके लिए क्या असंभव था? वायकर को पांच सितारा होटल की अनुमति मिल गई। वायकर ठाकरे के साथी थे, इसलिए पूरा मामला घरेलू था।
जमीन के लिए आरक्षित 67 फीसदी जमीन नगर निगम को देकर बढ़ा हुआ फ्लोर स्पेस इंडेक्स अर्थात एफएसआई हासिल किया गया। मूल रूप से नगर निगम की भूमि को किराए पर देकर, वायकर ने वर्षों में अच्छी कमाई की। उसे बाद नगर पालिका का स्थान ही वापस नगर पालिका को दे दिया गया और पुनः मोटी कमाई की गई।
किरीट सोमैया ने 2021 में इस मामले पर ध्यान दिया। करीब 500 करोड़ के इस फाइव स्टार होटल घोटाले में शिकायत दर्ज कराई गई। और वायकर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। यहां पांच सितारा होटल बनाने के लिए वायकर ने पिछले निर्माण को तोड़ा, यहां होटल का निर्माण शुरू हुआ। हालांकि राज्य में शिंदे-फडणवीस सरकार आने के बाद फिर से आंदोलन शुरू हो गए। दरअसल नगर निगम ने वायकर को 8 फरवरी को नोटिस जारी किया था। यहां सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जा कर पांच सितारा होटल बनाने के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा गया था।
दापोली के साई रिजॉर्ट के सिलसिले में कल ईडी ने सदानंद कदम को हिरासत में लिया है। साई रिजॉर्ट मामले में ठाकरे के करीबी अनिल परब से पहले भी पूछताछ हो चुकी है। वायकर के घोटाले की तुलना में दापोली के घोटाले को चिल्लर कहा जाना चाहिए। मुख्य कारण दापोली और मुंबई के बीच संपत्ति की कीमतों में भारी अंतर है। वायकर ने इस परियोजना को एक फल की तरह उगाया। पहले जमीन पर कब्जा किया। उसके बाद करीब 20 साल तक इंतजार किया। महाविकास अघाड़ी सरकार आने के बाद मौका देखकर चौका मार दिया। उसके बाद फाइव स्टार होटल की मंजूरी ली गई।
लेकिन कहा जाता है सच को ज्यादा समय तक नहीं दबाया जा सकता सच सबके सामने आ ही जाता है। ठाकरे और बीजेपी का रिश्ता टूटा, कई लोगों को झटका भी लगा, लेकिन अगर ये रिश्ता नहीं टूटा होता तो घोटालेबाजों के कारनामे कभी जनता के सामने नहीं आते। अलीबाग में 19 बंगलों का मामला अब भी लंबित है। ठाकरे और वायकर की सीधी भागीदारी वहां स्पष्ट है। इसमें जो दूसरा मुद्दा सामने आता है वह है सत्ते पर सत्ता।
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