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Friday, September 20, 2024
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उद्धव ठाकरे खुद “दोस्त के बने दुश्मन”: “हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां…    

 उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की हंसते मुस्कराते हुए एक तस्वीर सामने आई थी। लेकिन 12 दिन बाद उद्धव ठाकरे ने फडणवीस को बेकार कहते है। ऐसे में खुद उद्धव संजय राउत के बाद "दोस्त के दुश्मन" बन गए।    

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राजनीति भी क्या चीज है,जिसमें अपने पराये हो जाते हैं और पराये अपने हो जाते हैं। भारतीय राजनीति में इस तरह के एक नहीं बल्कि कई उदाहरण मिल जाएंगे। वर्तमान में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे में जबरदस्त टक्कर देखी जा रहा रही है। ऐसे में दिलजले फिल्म का वह शेर जिसे लोग बात बात में बोलते हैं, याद आ रहा है। जो इस प्रकार “हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, मेरी कश्ती वहां डूबी, जहां पानी कम था।” यह शेर बीजेपी उद्धव ठाकरे पर चिपका सकती है। क्योंकि उद्धव ठाकरे ने 2019 में बीजेपी के साथ कई सालों की दोस्ती को तिरांजलि देकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ जाकर मुख्यमंत्री बन गए थे। उसी तरह से उद्धव ठाकरे गुट और शिंदे गुट पर भी यह शेर सटीक बैठता है। वैसे हम फ़िल्मी होने नहीं आए हैं, बल्कि उस घटना की बात करते हैं जो 12 दिन पहले सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा की मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था।

वह तारीख थी 23 मार्च 2023, जिस दिन महाराष्ट्र की राजनीति के पंडितों को एक नया टॉपिक मिल गया। जिस पर लिखा भी गया और अपने अपने तरीके से उसका विश्लेषण भी किया गया। हर राजनीति जानकार अपना दिमागी घोड़ा दौड़ाया और सार निकाला ही भविष्य में बीजेपी और उद्धव ठाकरे नजदीक आ सकते हैं। इस संदर्भ में बीजेपी के नेताओं ने सकारात्मक बातें कही थी इतना ही नहीं बीजेपी नेताओं ने भी अच्छी बातें कही। क्योंकि, कहा जाता है कि राजनीति में कोई परमानेंट दुश्मन नहीं होता है।

दरअसल, हम उस तस्वीर की बात कर रहे हैं, जिसमें उद्धव ठाकरे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हंसते मुस्कराते हुए एक दूसरे से बात करते हुए आगे बढ़ रहे हैं। यह मुलाक़ात महाराष्ट्र विधानसभा के गेट पर हुई थी, और बात करते हुए दोनों नेता विधानभवन के अंदर गए थे। इसके कुछ ही समय बाद यह वीडियो वायरल हो गया। यह सोशल मीडिया पर ऐसा दिखाने की कोशिश की गई कि, जैसे कुंभ के मेले में दो बिछड़े भाई मिले है। वैसे यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दोनों पार्टी एक समय हिंदुत्व के एजेंडे पर सगे भाई जैसे ही थे ,लेकिन सत्ता की भूख ने बाला साहेब ठाकरे की शिवसेना को बिखेर दिया।

आज बीजेपी शिंदे गुट के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार चला रही है। जबकि, उद्धव ठाकरे घूम घूमकर महाराष्ट्र के गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस को फ़ालतू यानी बेकार कह रहे हैं। इससे पहले उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे शिंदे गुट को गद्दार कहा करते थे,अभी भी आदित्य ठाकरे शिंदे गुट को गद्दार ही कह कर संबोधित करते हैं। लेकिन कुछ दिनों से उद्धव गुट इस तरह की भाषा पर लगाम लगाया है। इसकी वजह राजनीतिक के साथ दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल एक याचिका हो सकती है। उद्धव गुट अब बीजेपी को टारगेट कर रहा है। हालांकि, हम इस मुद्दे पर नहीं जाते हैं, क्योंकि फिलहाल यह मामला कोर्ट में है और उस पर मै एक पूरा वीडियो बना चुका हूं।

इसलिए इस टॉपिक को दोबारा रिपीट करना बेईमानी होगी। अब हम उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस की हंसती खिलखिलाती तस्वीर से आगे बढ़ते हैं। जहां उद्धव ठाकरे देवेंद्र फडणवीस को बेकार कहते हैं। यह बात उद्धव ठाकरे ने ठाणे में कही थी। आरोप है कि उनकी पार्टी की महिला कार्यकर्ता रोशनी शिंदे से शिंदे गुट की महिला कार्यकर्ताओं ने मारपीट की। इसके बाद उद्धव ठाकरे अपने परिवार के साथ रौशनी शिंदे से अस्पताल में मिलने पहुंचे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा था कि फडणवीस लाचार और बेकार  गृहमंत्री है।

इसके बाद चार अप्रैल को नागपुर में देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि  मै फडतूस नहीं, कारतूस हूं, झुकेगा नहीं, घुसेगा .. .उन्होंने आगे कहा कि विरासत जन्म से नहीं बल्कि कर्म से मिलती हैं। उपमुख्यमंत्री ने यहां उद्धव पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि आपने अपने पिता के बताये रास्ते को छोड़ दिया तो हमने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर वीर सावरकर के गौरव के लिए लड़ना शुरू किया। भले उपमुख्यमंत्री का यह बयान फ़िल्मी हो, पर उपमुख्यमंत्री के तेवर ने राजनीति पंडितों के माथे पर बल ला दिया है। जिस तरह से उपमुख्यंत्री फडणवीस फायर दिखे उससे साफ हो गया कि आगे बड़ा कुछ होने वाला है।

कहा जा रहा है कि हमेशा शांत दिखने वाले देवेंद्र फडणवीस अचानक ठाकरे परिवार ऐसे कड़े तेवर क्यों अख्तियार कर लिया। हालांकि, इसके पीछे की जो भी कहानी हो, पर साफ़ है कि बीजेपी उद्धव ठाकरे के खिलाफ नरम रुख अब अख्तियार नहीं करेगी। ऐसा बीजेपी के नेता भी साफ़ कर चुके हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे दोबारा उपमुख्यमंत्री पर निजी हमला किया तो बीजेपी उन्हें घर का मुर्गा बनाकर छोड़ेगी। इसके बाद केंद्रीय मंत्री नारायण राणे भी उद्धव पर हमला बोला।

बहरहाल, कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे और बीजेपी में तू तू, मै मै थमने वाली नहीं है। इसके बढ़ने के आसार ज्यादा है। क्योंकि,पिछले कुछ दिनों से बीजेपी ने उद्धव ठाकरे के प्रति नरमी बरत रही थी, लेकिन उद्धव ठाकरे द्वारा देवेंद्र फडणवीस निजी हमले से बीजेपी में खलबली मची हुई है। उपमुख्यमंत्री का तेवर भी इसी ओर इशारा कर रहा है। 12 दिन पहले जो नजदीकियां आई थी अब वह फासले में तब्दील हो गए हैं।

उद्धव ठाकरे से पहले संजय राउत बीजेपी पर अटैक कर रहे थे। लेकिन अब उद्धव ठाकरे के हमले से एक बार बीजेपी और ठाकरे परिवार के बीच कड़वाहट बढ़ना तय है। माना जा रहा था कि बीजेपी और उद्धव के बीच दूरियां बढ़ाने में राउत की भूमिका ज्यादा थी.लेकिन अब उद्धव का यह बयान इसमें घी का काम किया है। विधान भवन के सामने जो तस्वीर सामने आई थी वह राज्य में सरकार बदलने के बाद की  पहली तस्वीर थी। लेकिन, अब उन कयासों पर विराम लग गए जिसमें में यह कहा गया था  कि आने वाले समय में बीजेपी और उद्धव नजदीक आ सकते हैं ,लेकिन इसमें सबसे कोई रोड़ा है तो संजय राउत। इस संबंध में भी मैंने अपनी वीडियो में विस्तार से बात किया हूं।

माना जा रहा है कि शिवसेना में फूट की वजह से उद्धव गुट अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। यही वजह है कि उद्धव गुट निराशा में बीजेपी और शिंदे गुट को निशाना बना रहा है। कहा जा रहा है कि जिस तरह से उद्धव गुट पर हिंदुत्व छोड़ने का आरोप लग रहा है इससे उनके गुट  पर लोगों का विश्वास कम हुआ है। इसलिए एक बार फिर उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी के वीर सावरकर पर दिए गए बयान पर आक्रामक हो गए। जो एक डूबते को तिनका था।  बहरहाल, वर्तमान में दोनों नेताओं के बयान बताते हैं कि आने वाले समय में सुलह की संभावना नहीं है। तो कहा जा सकता है कि संजय राउत के बाद अब उद्धव ठाकरे खुद बीजेपी के साथ दोस्ती में रोड़ा बनते दिख रहे हैं। अब देखना होगा कि यह तू तू मै मै कहां जाकर रुकता है।

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