UP Election 2022: सबकी राहें अलग-अलग,भाजपा को फायदा!

UP Assembly Election 2022

UP Election 2022: सबकी राहें अलग-अलग,भाजपा को फायदा!

file photo

यूपी विधानसभा का चुनाव को बहुत कम समय बचे है। भाजपा को पटखनी देने सभी दल अपनी रणनीति बनाने में लगे हैं, पर जिस तरह से विपक्ष की तैयारी चल रही है उससे तो यहीं लगता है कि भाजपा की राह औऱ आसान हो जाएगी। विपक्षियों की हालत देखने से पता चलता है कि यूपी में इस बार कौन सबसे बड़ा विपक्षी दल बन कर उभरेगा, उसकी लड़ाई चल रही है, बाकी भाजपा से मुकाबला करना इनके बस की बात नहीं।  इन दिनों यूपी में दो रथ यात्रा की शुरुआत हुई है, जिसमे आमने सामने चाचा शिवपाल यादव और भतीजा अखिलेश यादव हैं। जहां अखिलेश की दो दिन की विजय रथ यात्रा कानपुर से शुरू हुई, वहीँ चाचा शिवपाल यादव हफ्ते भर की रथ यात्रा पर मथुरा से रवाना हुए।

अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हैं और शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर 2018 में अपना स्वयं का दल प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का गठन किया। शिवपाल मुलायम सिंह के सगे छोटे भाई हैं। शिवपाल यादव ने अपनी पार्टी तो बना ली पर वह कई बार परिवार में एकता की बात करते दिखे, पर बात बनी नहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट से अखिलेश यादव ने रामगोपाल यादव के पुत्र अक्षय यादव को समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार बनाया था, गुस्से में शिवपाल यादव ने रामगोपाल यादव को सबक सिखाने की ठान ली। दोनों हार गए और फिरोजाबाद सीट से बीजेपी जीत गयी। शिवपाल यादव एक बार फिर से सपा का वोट काटते दिख सकते हैं। यह पहला चुनाव होने वाला है जिसमें मुलायम सिंह यादव जनता के बीच नहीं होंगे, अखिलेश शायद चाहते भी नहीं हैं कि शिवपाल यादव की परिवार या पार्टी में वापसी हो।

अखिलेश ने कुछ महीनों पहले घोषणा की थी कि समाजवादी पार्टी का इस चुनाव में किसी राष्ट्रीय दल से गठबंधन नहीं होगा, इशारा कांग्रेस की तरफ था। 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी का गठबंधन था। 403 सदस्सीय विधानसभा में सपा 311 पर चुनाव लड़ी और कांगेस 114 सीटों पर, 14 सीटों में समाजवादी और कांग्रेस में सहमति नहीं बनी और दोंनों दलों ने अपना उम्मीदवार उतारा, समाजवादी पार्टी के मात्र 47 प्रत्याशियों की जीत हुई और कांग्रेस सात सीटों पर ही सिमट कर रह गई। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बसपा का गठबंधन हुआ, पर एक बार फिर से अखिलेश यादव को निराशा ही हाथ लगी। अखिलेश यादव कांग्रेस और बीएसपी दोनों से दूरी बनाने का फैसला किया है ताकि उनकी स्थिति मजबूत हो सके। वहीं भाजपा का वोटबैंक एकमुश्त मजबूत है। सपा-बसपा-कांग्रेस व अन्य दलों की अलग-अलग राह होने से भाजपा की राह आसान होगी, चूंकि भाजपा सभी को साथ लेकर चल रही है। उसका अपना दल, निषाद दल से पहले ही गठबंधन करने का एलान किया है।

 

 

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