मुख्तार अंसारी की कब्र खोदने वाले 3 हिंदू कौन हैं? एक पैसा भी नहीं लिया!

मुख्तार के तीन हिंदू दोस्त भी शामिल हैं|तीनों पेशे से मजदूर हैं|ये कब्र खोदने का काम करते हैं|मुख्तार उनके दोस्त थे, जो बुरे वक्त में हमेशा उनका साथ देते थे। उनके साथ खड़ा रहा| मुख्तार का उन पर एहसान है, इसलिए ये तीन हिंदू मजदूर मुख्तार की कब्र खोदने के लिए पैसे नहीं लेंगे। उन्होंने मुख्तार से जुड़ी कई यादें साझा कीं|

मुख्तार अंसारी की कब्र खोदने वाले 3 हिंदू कौन हैं? एक पैसा भी नहीं लिया!

Who are the 3 Hindus who dug the grave of Mukhtar Ansari? Didn't take even a single penny!

ऐसा कहा जाता है कि बुरे इंसान के दिल में भी कुछ अच्छाई होती है।जहां कुछ लोग बाहुबली मुख्तार अंसारी की मौत से खुश हैं, वहीं कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए मुख्तार किसी गॉडफादर से कम नहीं थे। ऐसे लोगों में मुख्तार के तीन हिंदू दोस्त भी शामिल हैं|तीनों पेशे से मजदूर हैं|ये कब्र खोदने का काम करते हैं|मुख्तार उनके दोस्त थे, जो बुरे वक्त में हमेशा उनका साथ देते थे। उनके साथ खड़ा रहा| मुख्तार का उन पर एहसान है, इसलिए ये तीन हिंदू मजदूर मुख्तार की कब्र खोदने के लिए पैसे नहीं लेंगे। उन्होंने मुख्तार से जुड़ी कई यादें साझा कीं|

आज 30 मार्च को सुबह 10 बजे कालीबाग कब्रिस्तान में मुख्तार अंसारी के पार्थिव शरीर को दफनाने की रस्म की गयी| माफिया मुख्तार अंसारी का गुरुवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। शव दफनाने से पहले मुख्तार के घर के बाहर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात की गयी। पूरे मोहम्मदाबाद इलाके में सुरक्षा बढ़ायी गयी थी| मुख्तार की कब्र खोदने वाले तीन हिंदू मजदूर उसके बचपन के दोस्त थे।

तीनों यूसुफपुर रेलवे स्टेशन के पास रहते हैं। मुख्तार की मौत की खबर पाकर तीनों सदमे में आ गए। तीनों को यकीन ही नहीं हो रहा कि उनका बचपन का दोस्त अब इस दुनिया में नहीं रहा| तीनों अब तक कालीबाग कब्रिस्तान में कई कब्रें खोद चुके हैं।

इस काम के लिए नहीं लेंगे पैसे: यह जानने के बाद कि मुख्तार को यहीं दफनाया जाएगा, तीनों ने खुद ही उसकी कब्र खोदी। तीनों ने कहा कि वे इस काम के लिए पैसे नहीं लिया| क्योंकि इन तीनों के परिवार पर मुख्तार के कई अहसान हैं| इस कब्र को खोदने का काम मुख्तार के भतीजे शोहेब अंसारी की देखरेख में हुआ था| यह काम संजय, गिरधारी और नगीना नाम के तीन हिंदू मजदूरों ने मिलकर किया| ये तीनों मुख्तार के बचपन के दोस्त हैं।

बोलते-बोलते गिरधारी की आंखें भर आईं, मुख्तार मेरे लिए सबकुछ थे। उन्होंने मेरे और मेरे परिवार के लिए बहुत कुछ किया है। गिरधारी ने कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन आएगा|” यह बोलते-बोलते गिरधारी की आँखें भर आईं।

संजय ने क्या कहा?: कब्र खोद रहे दूसरे मजदूर संजय ने कहा, ”उस पर भी मुख्तार के कई अहसान हैं। चूंकि उनके पास घर बनाने के लिए जमीन नहीं थी, इसलिए मुख्तार की अपनी जमीन उन्हें दे दी गई। मुख्तार ने इसके लिए एक पैसा भी नहीं लिया| संजय ने कहा कि ‘मुख्तार ने बचपन से ही मेरे लिए वो सब कुछ किया जो हमारे आदमी नहीं करते|

तीसरे मजदूर नगीना ने कहा मैं कि मुख्तार को पिछले 50 साल से जानता हूं। मुख्तार और उनका परिवार हर सुख-दुख में हमेशा मेरे साथ खड़ा रहा है| वह मुख्तार के परिवार को अपना परिवार मानते हैं|

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