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कांग्रेस PM मोदी की ईमानदार छवि को तोड़ना चाहती है, इसलिए अडानी से…

कांग्रेस पीएम मोदी की ईमानदार छवि को धूमिल करने प्लानिंग कर रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी मोदी अडानी का रिश्ता जोड़ कर पीएम की ईमानदार छवि पर चोट करना चाहती है।

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दोस्तों, एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के साथ बैठे थे। उस दौरान भगवान श्रीकृष्ण पांडवों से कहते है कि जो चीजें नीति और राजनीति से सुलझ जाए, वहां युद्ध करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि, युद्ध में बेकसूर लोग मारे जाते है। उन्होंने कहा कि जहां युद्ध की जरूरत हो, वहीं युद्ध किया जाना चाहिए। अन्यथा नहीं। भगवान श्रीकृष्ण के ये उपदेश आज की भारतीय राजनीति में सटीक बैठता नजर आ रहा है।

जिस तरह से आज कांग्रेस में हाय तौबा मचा है। उससे यह साफ दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस अपने पीटे मोहरे को ज़िंदा करने के लिए राहुल गांधी की बलि चढ़ाने के लिए तैयार है। यही वजह है कि राहुल गांधी के वकीलों ने सूरत की कोर्ट में माफ़ी मांगने की सलाह नहीं दी। लेकिन, इससे पहले राफेल मामले में फंसने पर राहुल गांधी के वकीलों ने माफ़ी मांगने की सलाह दी थी, जिसके बाद राहुल गांधी माफ़ी मांग लेते है और एक बार फिर राजनीति में सक्रिय हो जाते हैं।

यह 2019 का समय था और लोकसभा चुनाव की तैयारी में सभी पार्टियां जुटी हुई थी। हालांकि राहुल गांधी ने चौकीदार चोर है,यह बयान नवंबर 2018 में दिया था। विडंबना देखिये, उस समय भी कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही थी। इसी समय राफेल मामले को लेकर राहुल गांधी ने पीएम मोदी की ईमानदारी पर निशाना साधा था।

सबसे बड़ा सवाल यह है जब  2014 में लोकभा का चुनाव लड़ा गया था उस समय भी कांग्रेस नरेंद्र मोदी को ही निशाना बनाया था। उस समय भी उनके ऊपर निजी हमला ही किया गया। ध्यान रहे इन निजी हमलों में उन्हें खूनी पंजा, चायवाला आदि आदि कहा गया। लेकिन उनकी ईमानदारी पर सवाल नहीं उठाया गया था। यह बड़ा सवाल है कि आखिर ऐसा क्यों किया गया ?

उस समय नरेंद्र मोदी के शासनकाल में गुजरात में हुए दंगों को लेकर 2014 के लोकसभा चुनाव  कांग्रेस ने मुद्दा बनाया था। लेकिन, भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं था. अक्सर देखा जाता है कि अधिकतर मुख्यमंत्रियों पर  घोटाले के आरोप होते हैं ,लेकिन इस मामले में  नरेंद्र मोदी अपवाद साबित हुए थे। हम यह नहीं कह रहे है कि उनके शासनकाल भ्रष्टाचार नहीं हुआ था, या हुआ था।

हमारा मुद्दा यह कि उस समय भी नरेंद्र मोदी साफ़ छवि के साथ 2014 का लोकसभा चुनाव लड़ा था। लेकिन, उनके शासनकाल का काला अध्यय गुजरात दंगा आज भी यानी 2023 में भी पीछा नहीं छोड़ा है। विपक्ष ने जिस तरह से 2014 में इस मामले को लेकर मुद्दा बनाया था। उसे 2024 के लोकसभा चुनाव में नए सिरे से भुनाने के लिए बीबीसी डॉक्यूमेंट्री  को हथियार बनाया गया,लेकिन उससे भी विपक्ष को कोई फ़ायदा नहीं मिलता दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि एक बार फिर राहुल गांधी पीएम मोदी के साथ अडानी और अंबानी का रिश्ता दिखाकर उन्हें भ्रष्ट साबित करना चाहते हैं।

बीजेपी ने 2014 में कांग्रेस के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था, जिसमें टूजी घोटाला, कॉमनवेल्थ गेम घोटाला, कोयला घोटाला और स्विस बैंक में रखे काला धन को पार्टी ने मुद्दा बनाया था। इसके बाद जो हुआ वह देश के सामने है। आज नरेंद्र मोदी पीएम है, लेकिन अभी तक मोदी सरकार के दो कार्यकाल में भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया है। पर. 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने राफेल विमान खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था, जहां मोदी सरकार साफ पाक साबित हुई।

बड़ी अजीब बात यह कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेता द्वारा ही दिए गए बयान को बीजेपी ने “चाय पर चर्चा ” को चुनावी स्लोगन बनाया था. ऐसा ही कुछ 2019 में भी हुआ उस समय भी राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान ‘चौकीदार चोर है” को चुनावी कैंपेन में शामिल किया गया था। तो क्या 2024 के लोकसभा चुनाव में इस बार भी कांग्रेस ही बीजेपी को चुनाव अभियान के लिए नारा देगी ? यह तो समय ही बतायेगा।

बहरहाल, सवाल यह उठ रहा है कि कांग्रेस या राहुल गांधी मोदी और अडानी का रिश्ता क्यों जोड़ना चाहते है। सवाल यह उठ रहा है कि अगर अडानी ने कोई गलत काम किया है तो संबंधित व्यक्ति उनके खिलाफ सबूत के साथ कोर्ट जाए या धोखाधड़ी का केस दर्ज कराये। लेकिन ऐसा करने के बजाय कांग्रेस केवल राजनीति कर रही है। बताया जा रहा है कि इसके पीछे कांग्रेस का एजेंडा है। दरअसल कहा जा रहा है कि एक बार राहुल गांधी ने अपने कुछ विश्वास पात्रों के सामने कहा था कि अगर कांग्रेस को दोबारा पटरी पर लाना है तो पीएम नरेंद्र मोदी की ईमानदार नेता की छवि को तोड़ना होगा।

राहुल गांधी शनिवार को जिस तरह से अपनी सदस्यता जाने पर इस मुद्दे पर बोलने से इंकार कर दिया। लेकिन उन्होंने इस दौरान केवल मोदी अडानी के रिश्ते पर बात करते नजर आये। इससे लगता है कि राहुल गांधी और कांग्रेस किसी भी तरह से पीएम मोदी की ईमानदार छवि को  धूमिल करना चाहती है।

माना जा रहा है कि कांग्रेस इसी रणनीति के जरिये पीएम मोदी की ईमानदार छवि को धूमिल करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में यह सवाल है कि क्या कांग्रेस अपनी प्लान में कामयाब होगी। क्या ईमानदार व्यक्ति की छवि को प्रोपेगेंडा के जरिये धूमिल किया जा सकता है ? यह बड़ा सवाल है। क्योंकि यह भी कहा जाता है कि साच को आंच नहीं।

माना जा रहा है कि एक साल तक कांग्रेस इस मुद्दे को खींच नहीं सकती है। यह भी कहा जा रहा है कि अडानी मोदी का  मुद्दा  उतना कामयाब नहीं है लेकिन, इसे कांग्रेस दुधारू गाय की तरह यूज कर रही है। जब तक यह मुद्दा बाजार में बिकेगा तब तक कांग्रेस इसे  यूज करेगी फिर छोड़ देगी। कहने का मतलब साफ़ की कांग्रेस मुद्दा विहीन है और कोई भीमुद्दा लेकर सामने आ जाती है जो उस पर ही भारी पड़ते हैं।

तो दोस्तों भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश का यही मतलब है कि आज कांग्रेस अपने  ही बने  जाल में फंस कर छटपटा रही है। बीजेपी केवल उस मुद्दे को लपकर सही जगह और सही समय पर बस फीट करती है। और इसका नतीजा यह होता है कि कांग्रेस अपने आप ही  बीजेपी के रास्ते से हट जाती है। एक बार भी ऐसा ही हो रहा है।

जिस 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वालों को चोर कहा था, अब यह बयान शायद 2024 का लोकसभा चुनाव ही नहीं लड़ने दे। अगर राहुल गांधी कोर्ट में माफ़ी मांग ले तो मोदी के समक्ष ताल ठोंक सकते, वरना दो लोकसभा चुनाव वे नहीं लड़ पाएंगे। अभी तक तो यह माना जा रहा है कि कांग्रेस ऐसी गलती नहीं करेगी। राहुल गांधी कोर्ट में माफ़ी मांगेंगे।

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