मंगलवार (2 अक्तूबर) को अधिकारियों ने हाथरस भगदड़ मामलें को लेकर 3200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की है। आरोपपत्र के अनुसार भगदड़ नारायण साकार हरि ‘भोले बाबा’ के फुलराई गांव के कार्यक्रम के दौरान हुई, जिसमें 121 लोगों की मौत हुई। इसमें बड़ी संख्या में बच्चे और महिलाएं थी, इसी के चलते महिला सेवादार सहित 11 सेवादारों पर आरोपपत्र दाखिल किया गया है। हालांकि आरोपियों की सूचि में अपने आप को भगवान बताने वाले ‘भोले बाबा’ का नाम इस सूचि में नहीं है।
जिन लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया है उनमें कार्यक्रम के मुख्य आयोजक देव प्रकाश मधुकर के आलावा मेघ सिंह, मुकेश कुमार, मंजू देवी, मंजू यादव, राम लड़टे, उपेन्द्र सिंह, संजू कुमार, राम प्रकाश शाक्य, दुर्वेश कुमार और दलवीर सिंह शामिल हैं। मुख्य सेवादार मधुकर को इसमें मुख्य आरोपी कहते हुए उस पर फुलराई गांव में एक धार्मिक बैठक में 2.5 लाख से अधिक लोगों के शामिल होने पर 80,000 भक्तों की सभा के लिए प्राधिकरण प्राप्त करके अधिकारियों को धोखा देने का आरोप लगाया गया है।
एडिशनल पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार सिंह ने बताया कि ग्यारह अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय को प्राप्त हो गया है। राज्य सरकार ने घटना की जांच के लिए 3 जुलाई को एक न्यायिक समिति और एक विशेष जांच दल का गठन किया था, जिसके बाद एसआईटी ने कार्यक्रम की अनुमति लेने वालों समेत ग्यारह लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
दरम्यान इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद दोनों आरोपियों मंजू देवी और मंजू यादव को जमानत दे दी गई है लेकिन बांड्स के सबमिट न होने से मंजू यादव अभी भी जेल में है। दरम्यान हाथरस पुलिस ने भोले बाबा पर नरम भूमिका के दावों का खंडन करते हुए कहा कि उनकी जांच चल रही है। एएसपी अशोक कुमार सिंह से जब सवाल किया गया कि क्या हाथरस पुलिस ने भोले बाबा को क्लीन चिट दे दी है तो उन्होंने कहा, ”जांच एक सतत प्रक्रिया है और इस मामले में भी जारी है। अभी दायर आरोप पत्र के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।”
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बता दें की, भगदड़ के पंद्रह दिन बाद 17 जुलाई को भोले बाबा बहादुर नगर गांव में गए जहां उन्होंने कहा, होनी को कौन टाल सकता है, जो आया है, उसे एक दिन जाना है। जन्म लिया है, एक दिन मरना है। उन्होंने इसका दोष साजिश और एक ज़हरीले स्प्रे पर मढ़ा था। साथ ही उनके वकील एपी सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि यह घटना तब हुई जब 15-16 अज्ञात लोगों द्वारा कुछ जहरीला पदार्थ छिड़का गया और जब लोग मरने लगे तो वे घटनास्थल से चले गए। मीडिया अनुसार बड़ी संख्या में इकठ्ठा हुए लोग जब ‘भोले बाबा’ की ‘चरणधूल’ लेने भागे तो कीचड़ में गिरे और लोगों के एक दूसरे पर गिरने से दुर्घटना हुई।