यह अनुष्ठान न केवल काशी की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक भी है। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, सप्त ऋषि आरती एक प्राचीन अनुष्ठान है जिसमें सात अलग-अलग गोत्रों के शास्त्री, पंडित, या पुरोहित एक साथ मिलकर भगवान शिव की आरती करते हैं।
इस विशेष आरती में कोई भी भक्त शामिल हो सकता है। भक्तों को इस विशेष आरती में शामिल होने के लिए सामान्य दिनों में शाम 6:30 बजे तक और पूर्णिमा पर 5:30 बजे तक मंदिर में प्रवेश की अनुमति होती है।
सावन के महीने में काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। सप्त ऋषि आरती के दौरान मंदिर का गर्भगृह मंत्रोच्चार और घंटियों की ध्वनि से गूंज उठता है। इस दौरान सात पंडितों द्वारा की जाने वाली आरती में दीपों की रोशनी और भक्ति का संगम भक्तों को एक खास आध्यात्मिक अनुभव देता है। मंदिर प्रशासन भक्तों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएं करता है ताकि अधिक से अधिक लोग इस अनुष्ठान का हिस्सा बन सकें।
काशी विश्वनाथ मंदिर, बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का भी प्रतीक है। यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक केंद्र है, बल्कि काशी की सनातन परंपराओं का भी उदाहरण है।



