किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटा दिया गया है। राष्टपति भवन ने अधिसूचना भी जारी कर दी है। किरेन रिजिजू की जगह अब अर्जुन राम मेघवाल को इस मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं किरेन रिजिजू अब भू-विज्ञान मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र की सलाह के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंत्रिमंडल में बदलाव की मंजूरी दी है। अर्जुन राम मेघवाल मौजूदा समय में केंद्रीय संस्कृति राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। अब उनके पास कानून मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी होगी। राजस्थान की बीकानेर सीट से बतौर लोकसभा सांसद मेघावल निर्वाचित होते रहे हैं।
Arjun Ram Meghwal, Minister of State assigned the independent charge as Minister of State in the Ministry of Law and Justice in addition to his existing portfolios, in place of Kiren Rijiju. The portfolio of Ministry of Earth Sciences be assigned to Kiren Rijiju: Rashtrapati…
— ANI (@ANI) May 18, 2023
अर्जुन राम मेघवाल का जन्म 20 दिसंबर 1952 को बीकानेर के किस्मिदेसर गांव में हुआ थी। बीए और एलएलबी करने के बाद उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा दी और देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा आईएएस के लिए चुने गए। उन्होंने बाद में उन्होंने फिलीपींस विश्वविद्याय से एमबीए भी किया। वहीं वर्तमान में विभिन्न मुद्दों को लेकर न्यायपालिका और केंद्र के बीच टकराव चल रहा है, ऐसे में मेघवाल के कंधे पर दोनों के रिश्तों में सहजता लाने की चुनौती होगी।
रिजिजू अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट से सांसद बीजेपी सांसद हैं। किरन रिजिजू का जन्म 19 नवंबर, 1971 को अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट कामेंग जिले में हुआ था। उनके पास दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री है। उन्होंने 2004 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में रिजिजू ने जीत हासिल की और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में गृह राज्य मंत्री बनाए गए। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल यानी 2019 में खेल मंत्री बनाए गए थे। वहीं जुलाई 2021 में कैबिनेट विस्तार के दौरान उन्हें कानून मंत्री बनाया गया था। उन्हें रविशंकर प्रसाद की जगह यह जिम्मेदारी दी गई।
गौरतलब है कि किरेन रिजिजू पिछले कुछ वक्त से लगातार न्यायपालिका पर टिप्पणी को लेकर चर्चा में थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम व्यवस्था पर सवाल खड़े किए थे। रिजिजू ने पिछले साल नंवबर में कहा था कि जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम संविधान के लिए एलियन है। उन्होंने कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम में कई खामियां हैं और लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं।
वहीं पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने रिजिजू की टिप्पणियों पर नाराजगी भी जताई थी। बेंच ने कहा था कि शायद सरकार जजों की नियुक्ति को इसलिए मंजूरी नहीं दे रही क्योंकि एनजेएसी को मंजूरी नहीं दी गई। रिजिजू और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की टिप्पणियों के खिलाफ जनहित याचिका भी दाखिल की गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन पहले ही इसे खारिज कर दिया था।
उधर, किरेन रिजिजू को कानून मंत्री के पद से हटाने पर विपक्ष ने हमला बोला है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, कपिल सिब्बल ने कहा, किरण रिजिजू कानून नहीं अब भू विज्ञान मंत्री हैं। कानूनों के पीछे के विज्ञान को समझना आसान नहीं। वे अब विज्ञान के नियमों से जूझने की कोशिश करेंगे। गुड लक मेरे दोस्त।
शिवसेना प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्वीट कर कहा, क्या रिजिजू को महाराष्ट्र के फैसले की शर्मिंदगी के कारण या मोदानी-सेबी जांच को लेकर हटाया गया?
वहीं, कांग्रेस नेता अलका लांबा ने कहा, पिछले कुछ समय से कानून मंत्री के तौर किरेन रिजिजू द्वारा जजों की नियुक्ति और अदालतों के काम करने के तौर तरीकों को लेकर की जा रही टिप्पणियों और हस्तक्षेप ने मोदी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थीं, सरकार ने अपनी छवि बचाने के लिए अपने कानून मंत्री की बलि देकर अच्छा किया।
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