महात्मा गांधी के पोते अरुण गांधी का आज 2 मई को कोल्हापुर में निधन हो गया। अरुण गांधी ने 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। लेखक, सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता अरुण गांधी का आज कोल्हापुर में अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस बात की जानकारी उनके बेटे तुषार गांधी ने दी है।
अरुण गांधी पिछले दो महीने से कोल्हापुर में रह रहे थे। अरुण मणिलाल गांधी महात्मा गांधी के दूसरे बेटे मणिलाल गांधी के पुत्र हैं। उनका जन्म 14 अप्रैल 1934 को दक्षिण अफ्रीका के डरबन में हुआ था। अरुण गांधी सामाजिक कार्यों में सक्रिय थे। उनके पिता ‘इंडियन ओपिनियन’ अखबार के संपादक थे, जबकि उनकी मां उसी अखबार में प्रकाशक थीं।अरुण गांधी ने सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर एक कार्यकर्ता के रूप में काम किया।
अरुण गांधी ने कुछ किताबें भी लिखी हैं। इनमें ‘द गिफ्ट ऑफ एंगर: एंड अदर लेसन्स फ्रॉम माई ग्रैंडफादर महात्मा गांधी’ पुस्तक प्रसिद्ध है। अरुण गांधी कुछ साल पहले अमेरिका में रहे। उन्होंने क्रिश्चियन ब्रदर्स यूनिवर्सिटी में अहिंसा से संबंधित एक संगठन की स्थापना की। उनमें से प्रमुख है द गिफ्ट ऑफ एंगर: एंड अदर लेसन्स फ्रॉम माई ग्रैंडफादर महात्मा गांधी। 1987 में अरुण गांधी अपने परिवार के साथ अमेरिका में बस गए। यहाँ उन्होंने अपना अधिकांश जीवन मेम्फिस, टेनेसी में बिताया। यहां उन्होंने क्रिश्चियन ब्रदर्स यूनिवर्सिटी में अहिंसा से जुड़े एक संगठन की स्थापना भी की।
एक वेबसाइड के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में परवरिश के समय में उनको काफी रंगभेद के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। वहां के लोग अक्सर उनके रंग के लेकर उनका मजाक उड़ाते थे। उसके बावजूद भी उन्होंने अपने दादा की तरह की अंहिसा को अपना हाथियार। और उसी के बल पर वहां के लोगों के दिल में अपने लिए अलग स्थान बनाया। उनका कहना था वो अपने दादा की सीख पर अपना पूरा जीवन जीया है।
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