पाकिस्तान में पिछले पाँच दिनों से एक अजीब स्थिति बनी हुई है, देश तकनीकी रूप से बिना किसी मौजूदा सेना प्रमुख (COAS) या चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेन्स फ़ोर्सेज़ (CDF) के है। वजह है फ़ील्ड मार्शल असीम मुनीर को नवगठित CDF पद पर नियुक्त करने के लिए आवश्यक नोटिफ़िकेशन जारी न होना। नियुक्ति में इस देरी ने पाकिस्तान में राजनीतिक-असैन्य खींचतान को खुलकर सामने ला दिया है और सोशल मीडिया पर यह मामला अब मीम्स का बाढ़ बन चुका है।
नवगठित CDF पद पर नियुक्ति 29 नवंबर को होनी थी, उसी दिन जब असीम मुनीर का मूल तीन वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया। लेकिन ठीक उस समय प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ UAE और फिर लंदन रवाना हो गए, जहां उनके भाई नवाज़ शरीफ़ से मुलाकात की खबरें सामने आईं। जब लौटे भी, तो इस्लामाबाद के बजाय लाहौर पहुँचे, जिससे अटकलें और गहराईं।
इसी देरी ने पाकिस्तानी सोशल मीडिया को व्यंग्य से भर दिया, “General Retired Asim Munir”, “Imposter posing as Army Chief”, “I deem him retired” जैसे ट्वीट्स पाकिस्तानी ट्विटर पर वायरल होने लगे।

एक महिला ने लिखा, “असीम मुनीर का तीन साल का कार्यकाल रातोंरात खत्म हो गया, बिना किसी विस्तार या सीडीएस की नियुक्ति की अधिसूचना के। वह वर्तमान में एक अवैध और असंवैधानिक पद पर हैं।”
पत्रकार सिरिल अल्मेडा ने तो X पर लिखा, “It is hereby notified that no notification will be notified until the notification is notified.”

एक अन्य पाकिस्तानी पत्रकार वक़ास अहमद ने चुटकी लेते हुए कहा कि नवाज़ शरीफ़ ने मुनीर के साथ अपमानजनक व्यवहार किया और यदि वह न होते तो पाकिस्तान अब तक पवित्र CDF के साए में होता।
राजनीतिक विश्लेषक और टेक कमेंटेटर हुसैन नदीम ने इस देरी को एक बड़े सत्ता-खेल का हिस्सा बताया। उनके अनुसार, CDF पद, फ़ील्ड मार्शल रैंक और आजीवन प्रतिरक्षा यह सब मुनीर को शक्ति का भ्रम देने की रणनीति हो सकती हैं। और अब जब सेना प्रमुख का सपना टूटेगा, उन्हें समझ आएगा कि खेले कौन गए।
वहीं एक ने यह भी लिखा कि मौजूदा परिस्थितियों में कू (coup) जैसे कदम की भी संभावनाएँ पूरी तरह खारिज नहीं की जा सकतीं। हालाँकि पाकिस्तान ऐसे तीन सैन्य तख्तापलट पहले ही देख चुका है। शहबाज़ सरकार ने किसी भी तरह के विवाद या असहमति से इनकार किया है, लेकिन सवाल वही है। नोटिफिकेशन कहाँ है?
CDF की नियुक्ति असीम मुनीर को पाकिस्तान का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बना देगी। इस पद को राष्ट्रपति जैसी प्रतिरक्षा, मुकदमों से सुरक्षा और अत्यधिक अधिकार प्राप्त होंगे। ऐसा माना जा रहा है कि यही शक्ति-संतुलन अब प्रधानमंत्री और सैन्य नेतृत्व के बीच नए संघर्ष का कारण बन गया है।
जब तक इस नोटिफिकेशन पर हस्ताक्षर नहीं होते, पाकिस्तान की सेना और राजनीति दोनों ही अनिश्चित से दौर में हैं। सोशल मीडिया पर मीम्स जारी हैं, लेकिन विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान के नागरिक–सैन्य रिश्तों में बड़े टकराव के संकेत मान रहे हैं। पाकिस्तान आज ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ कुछ हस्ताक्षरों में देरी ने पूरे देश में सत्ता की दिशा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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