विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार (28 मार्च)को संसद में कहा कि भारत पाकिस्तान में हिंदू, सिख, अहमदिया और ईसाई अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर करीब से नजर रख रहा है। उन्होंने बताया कि हाल के महीनों में अल्पसंख्यकों पर हमले बढ़े हैं, और भारत इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जोर-शोर से उठा रहा है।
जयशंकर ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा, “हम पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर बारीकी से नजर रखते हैं। उदाहरण के लिए, सिर्फ फरवरी के महीने में ही हिंदू समुदाय के खिलाफ 10 मामले सामने आए, जिनमें से सात जबरन धर्म परिवर्तन से जुड़े थे।”
उन्होंने कहा कि सिख समुदाय पर भी हमले हुए हैं, जिनमें एक सिख परिवार पर हमला, एक गुरुद्वारे को लेकर धमकियां और एक सिख लड़की के अपहरण का मामला शामिल है। इसी तरह, अहमदिया समुदाय की मस्जिद को सील करने और उनकी 40 कब्रों को अपवित्र करने जैसी घटनाएं दर्ज हुई हैं।
ईसाई समुदाय के खिलाफ भी हमले हुए हैं। जयशंकर ने बताया कि एक मानसिक रूप से अस्थिर ईसाई व्यक्ति पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया, जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभावपूर्ण नीतियों को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत ने पाकिस्तान के मानवाधिकार रिकॉर्ड की कड़ी आलोचना की। भारत ने कहा कि “पाकिस्तान में मानवाधिकारों का हनन, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और लोकतांत्रिक मूल्यों का ह्रास सरकार की नीतियों का हिस्सा है।”
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जयशंकर ने पाकिस्तान को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वह “संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को संरक्षण देता है और उसे दूसरों को उपदेश देने के बजाय अपने नागरिकों को न्याय और सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान देना चाहिए।” भारत का स्पष्ट रुख है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा, और इस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाया जाएगा ताकि वहां के पीड़ित समुदायों को न्याय मिल सके।