बलूचिस्तान नेशनल पार्टी (बीएनपी) ने बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) के नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ वाध से क्वेटा तक शांतिपूर्ण विरोध मार्च शुरू किया है। इस दौरान बीएनपी ने पाकिस्तान सरकार पर प्रदर्शन को रोकने के लिए दमनकारी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया। पार्टी का कहना है कि सरकार ने विरोध को रोकने के लिए कंटेनर लगाकर सड़कों को अवरुद्ध कर दिया, लेकिन इससे बलूच जनता का संघर्ष खत्म नहीं होगा।
बीवाईसी के प्रमुख नेता महरंग बलूच और सम्मी दीन बलूच सहित कई कार्यकर्ताओं को हाल ही में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीएनपी नेता अख्तर मेंगल ने कहा, “सड़कें बंद करने और दमनकारी नीतियों से बलूचों को अपनी आवाज़ उठाने से नहीं रोका जा सकता।”
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बलूचिस्तान में राजनीतिक असंतोष को दबाने के लिए प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है, जिसके तहत किसी भी राजनीतिक या सामाजिक सभा पर पाबंदी लगा दी गई है। इसके अलावा, पूरे बलूचिस्तान में इंटरनेट सेवाएं भी निलंबित कर दी गई हैं, जिससे संचार बाधित हुआ है।
बीएनपी नेता अख्तर मेंगल ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक संदेश में कहा कि क्वेटा में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर सीधा फायरिंग की जा रही है और कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने लिखा, “हम लकपास में हैं, जहां सभी प्रवेश द्वार कंटेनरों से बंद कर दिए गए हैं। प्रदर्शन में भाग लेने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है और उन पर गोलियां चलाई जा रही हैं।” उन्होंने आगे कहा, “हम शांतिपूर्ण तरीके से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार हिंसा और दमन के जरिए हमें रोकना चाहती है। पर हम डटे रहेंगे और अपने मकसद से पीछे नहीं हटेंगे।”
बीवाईसी ने हाल ही में जबरन गायब किए गए बलूच नागरिकों की रिहाई के लिए प्रदर्शन किया था, जिसके बाद पुलिस ने समिति के कई नेताओं को हिरासत में ले लिया। कराची की एक अदालत ने चार अन्य कार्यकर्ताओं के साथ सम्मी दीन बलूच की रिहाई का आदेश दिया था, लेकिन इसके तुरंत बाद सिंध सरकार ने उन्हें 30 दिनों की हिरासत में रखने का फैसला किया।
इस बीच, क्वेटा पुलिस ने महरंग बलूच सहित 500 से अधिक बीवाईसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ आतंकवाद के आरोपों सहित सात मामले दर्ज किए हैं। महरंग बलूच पिछले कई हफ्तों से जबरन लापता लोगों के परिजनों के साथ प्रदर्शन कर रही थीं और पुलिस की बर्बर कार्रवाई की आलोचना कर रही थीं।।
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बलूच नेताओं का कहना है कि सरकार के दमन से उनकी आवाज़ दबाने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। मेंगल ने कहा, “हमारा संघर्ष जारी रहेगा, और कोई भी शक्ति हमें अपने अधिकारों की मांग करने से नहीं रोक सकती।” बीएनपी और बीवाईसी के इस प्रदर्शन को लेकर अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से बलूच लोगों के दमन को रोकने और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की रिहाई की मांग की है।