यह जांच राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार कार्यालय, येलहंका, बेंगलुरु की शिकायत और विल्सन गार्डन पुलिस स्टेशन द्वारा 7 सितंबर 2018 को दर्ज एफआईआर के आधार पर शुरू हुई थी।
यह एफआईआर प्राइज चिट्स और मनी सर्कुलेशन स्कीम्स (प्रतिबंध) अधिनियम 1978 और चिट फंड अधिनियम, 1982 की धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। इस मामले की वर्तमान में फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट, सीआईडी बेंगलुरु द्वारा जांच की जा रही है।
ईडी की जांच में खुलासा हुआ कि मेसर्स इंजाज इंटरनेशनल नाम की साझेदारी फर्म ने चिट फंड स्कीम के नाम पर आम लोगों से भारी रकम जुटाई और उस पैसे को कई अचल संपत्तियों की खरीद और फर्म के भागीदारों के निजी खर्चों में इस्तेमाल किया गया।
इस घोटाले के दौरान, ईडी ने प्रोविजनल अटैचमेंट ऑर्डर जारी करते हुए, फर्म से जुड़ी कई अचल संपत्तियों को जब्त कर लिया था और मामले में विशेष अदालत के समक्ष अभियोग पत्र भी दाखिल किया गया था।
पीएमएलए की धारा 8(8) के तहत, जब प्रशासनिक प्राधिकरण ने अदालत में वैध पीड़ितों को संपत्ति लौटाने की याचिका दायर की, तो ईडी ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई। ईडी का कहना था कि कानून का उद्देश्य प्रभावित लोगों को उनकी संपत्ति लौटाना और न्याय दिलाना है।
ईडी की इस सहमति को देखते हुए, प्रधान सिटी सिविल एवं सत्र न्यायाधीश ने संपत्तियों को वैध दावेदारों और पीड़ितों को लौटाने का आदेश दे दिया। इससे यह सुनिश्चित हुआ कि जो लोग इस ठगी के शिकार हुए थे, उन्हें उनका वाजिब हक और नुकसान की भरपाई हो सके।



