उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित तुंगनाथ को दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर माना जाता है, जिसे 8वीं शताब्दी में कत्यूरी शासकों ने बनवाया था। हाल ही में, इसे एक राष्ट्रीय स्मारक के रूप में नामित किया गया है। केंद्र सरकार ने 27 मार्च की अधिसूचना में तुंगनाथ को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया था। यह बद्री-केदार मंदिर समिति के प्रशासन के अधीन है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए एक अध्ययन के मुताबिक तुंगनाथ मंदिर जो गढ़वाल हिमालय के रुद्रप्रयाग जिले में 12,800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, यह लगभग पांच से छह डिग्री तक झुका हुआ है। इसके अलावा परिसर में छोटी संरचनाएं 10 डिग्री तक झुकी हुई हैं। एएसआई के अधिकारियों ने इस घटना के बारे में केंद्र सरकार को अवगत कराया है और सुझाव दिया है कि मंदिर को संरक्षित स्मारक के रूप में शामिल किया जाए।
एएसआई के देहरादून सर्कल के अधीक्षण पुरातत्वविद् मनोज कुमार सक्सेना ने कहा, ‘सबसे पहले, हम क्षति के मूल कारण का पता लगाएंगे। अगर इसकी तुरंत मरम्मत की जा सकती है तो करेंगे। इसके अलावा मंदिर के गहन निरीक्षण के बाद एक विस्तृत कार्य कार्यक्रम तैयार किया जाएगा।’ एएसआई के अधिकारियों ने धंसने की आशंका से भी इनकार नहीं किया है, जिसके कारण मंदिर का संरेखण बदल सकता है।
मनोज सक्सेना ने इस संबंध में बीकेटीसी को एक पत्र भी भेजा गया है। हालांकि, हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है। विशेषज्ञों से विचार-विमर्श कर क्षतिग्रस्त हिस्से को बदला जाएगा। अभी के लिए एजेंसी ने मुख्य मंदिर की दीवारों पर ग्लास स्केल लगाए हैं जिससे गतिविधि को मापा जा सके।
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