2 दिन, 3 दिग्गज बिजनेसमैन ने दुनिया को कहा अलविदा, जाने कौन वे धुरंधर?         

बीकानेरवाला नमकीन के फाउंडर लाला केदारनाथ अग्रवाल, होटल इंडस्ट्री के ओबेरॉय ग्रुप के चेयरमैन पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय और सुब्रत रॉय का निधन हो गया। 

दो दिन में तीन दिग्गज कारोबारी का निधन हो गया है। यह कोई सामान्य घटना नहीं कही जा सकती है। तीनों बड़े कारोबारी अपने अपने क्षेत्र के महारथी थे। इसमें पहला नाम बीकानेरवाला का आता है। बीकानेर के फाउंडर लाला केदारनाथ अग्रवाल का सोमवार को निधन हो गया। जिनकी नमकीन के हर कोई दीवाना है। बीकानेर नमकीन का स्वाद भारत के अलावा विदेशों में भी मशहूर है। इसके बाद दूसरा नाम आता होटल इंडस्ट्री ओबेरॉय ग्रुप का। मंगलवार को ओबेरॉय ग्रुप के चेयरमैन पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय का निधन हो गया। मंगलवार की ही रात सुब्रत रॉय  का निधन हो गया।  जो हर क्षेत्र में अपना हाथ आजमाया था।
बीकानेरवाला के फाउंडर ने दुनिया को कहा अलविदा:देशभर में नमकीन और मिठाई के लिए मशहूर बीकानेर ब्रांड किसी के परिचय का मोहताज नहीं है। इसके फाउंडर लाला केदारनाथ अग्रवाल का सोमवार को निधन हो गया। वे 86 साल के थे। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1950 में दिल्ली में शुरू की थी। इससे पहले उनका परिवार बीकानेर में मिठाई की दूकान चलाता था। यह बात 1905 के आसपास की है। जिसका नाम बीकानेर नमकीन भंडार था। जब लाला केदारनाथ अग्रवाल अपने भाई के साथ दिल्ली आये तो उन्होंने शुरू भुजिया और रसगुल्ले को बाल्टी में भर कर दिल्ली के सड़कों पर बेचा करते थे।  बाद में उन्होंने दिल्ली के चांदनी चौक में दुकान शुरू की। बीकानेर की भारत में  60 से अधिक दुकानें हैं। इतना ही नहीं बीकानेर की अमेरिका, नेपाल, सिंगापुर, न्यजीलैंड और यूएई में भी दुकानें हैं।

ओबेरॉय ग्रुप के चेयरमैन “बिकी” का निधन:
वहीं, ओबेरॉय ग्रुप के चेयरमैन पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय का मंगलवार को निधन हो गया। वे 94 साल के थे। चेयरमैन पृथ्वीराज सिंह ओबेरॉय का जन्म 1929 में दिल्ली में हुआ था। उन्हें कई पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।ओबेरॉय को बिकी नाम से भी जाना जाता है। उन्हें इंटरनेशनल  लग्जरी ट्रैवल मार्केट में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड और होटल्स (मैगजीन) यूएसए द्वारा कार्पोरेट होटलियर ऑफ़ द वर्ल्ड पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।
सहारा प्रमुख ने लखनऊ में बसा ली थी अलग ही दुनिया: सुब्रत रॉय का भी मंगलवार की रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 75 साल के थे। उन्हें रविवार को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे कई बीमारियों से ग्रसित थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सहारा प्रमुख का जन्म 10 जून 1984 को बिहार के अररिया जिले में एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुआती पढ़ाई बंगाल के कोलकाता में पूरी की। उसके बाद उन्होंने गोरखपुर के सरकारी कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। सुब्रत रॉय ने अपना पहला कारोबार उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से शुरू किया था। वे अपने दोस्त के साथ बिस्किट को स्कूटर पर रखकर बेचा करते थे।

एक फायर स्टेशन और पेट्रोल पंप भी सहारा सिटी में: 1976 में  उन्होंने चिटफंड सहारा फाइनेंस को अधिग्रहण कर सहारा इंडिया परिवार में बदल दिया। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। बिहार से आकार सहारा प्रमुख ने लखनऊ में अलग ही दुनिया बसा ली थी। जिसे सहारा सिटी कहा जाता है। यहां क्रिकेट स्टेडियम, हैलीपैड, छोटा सा खेल परिसर, 11 किमी तक फैली झील, मिनी गोल्फ कोर्स जैसे  शानदार इंतजाम सहारा सिटी में है। इसके साथ ही 3500 लोगों के बैठने वाला ऑडिटोरियम, 5 सीटों वाला  स्वस्थ केंद्र वह भी एक एम्बुलेंस के साथ, एक मूवी थियेटर, एक फायर स्टेशन और पेट्रोल पंप भी सहारा सिटी में है। सुब्रत राय की राजनीति में भी दखल था। सपा के मुखिया मुलायम सिंह के काफी नजदीक थे।

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