बजट सत्र 2023: भारत का केंद्रीय बजट इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सुबह 11 बजे सदन में पेश करेंगी।

बजट सत्र 2023: भारत का केंद्रीय बजट इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

Budget 2023: What investors really expect? Markets will bounce back!

वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट यानी यूनियन बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज 1 फरवरी, 2023 को सुबह 11 बजे सदन में पेश करेंगी। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत से पहले सरकार को संसद में केंद्रीय बजट या बजट पेश करना जरूरी होता है। यह वित्तीय वर्ष हर साल 1 अप्रैल से शुरू होकर अगले साल 31 मार्च को समाप्त होता है। केंद्रीय बजट किसी वित्तीय वर्ष में होने वाली आमदनी और खर्चों से जुड़ा दस्तावेज है।

बता दें कि सत्र की शुरुआत 31 जनवरी से लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र से हुई। इस दौरान मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू ने दोनों सदनों को संबोधित किया। यह उनका संसद के दोनों सदनों में पहला अभिभाषण था। वहीं बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया।

बजट सत्र का पहला भाग 10 फरवरी तक जारी रहेगा। इसके बाद बजट सत्र का दूसरा भाग छह मार्च को शुरू होगा और यह 6 अप्रैल तक चल चलेगा। केंद्रीय बजट किसी विशेष वित्तीय वर्ष में सरकार की अनुमानित प्राप्तियों और देय राशियों का विवरण होता है। यूनियन बजट को दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जाता है।

1) पूंजीगत बजट :  पूंजीगत बजट सरकार से संबंधित पूंजीगत भुगतान और प्राप्तियों से जुड़ा होता है। पूंजीगत प्राप्तियों में जनता से या भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से लिए जाने वाले ऋण आते हैं। वहीं दूसरी ओर, पूंजीगत भुगतान के अंतर्गत स्वास्थ्य सुविधाओं, उपकरणों के विकास और रखरखाव के साथ-साथ शैक्षणिक सुविधाओं के लिए किए गए खर्च शामिल किए जाते हैं।

2) राजस्व बजट: राजस्व बजट जैसा कि नाम से पता चलता है राजस्व बजट सभी राजस्व व्यय और प्राप्तियों से जुड़ा होता है। इसमें टैक्स और दूसरे माध्यमों से होने वाली आमदनी और उसके खर्चे को दर्शाया जाता है।

केंद्रीय बजट का उद्देश्य सामाजिक न्याय और समानता के साथ-साथ हमारे देश का तेज और संतुलित आर्थिक विकास सुनिश्चित करना होता है। यह देश की दशा और दिशा तय करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। यदि राजस्व व्यय राजस्व प्राप्तियों से अधिक है, तो सरकार को राजस्व घाटे का सामना करना पड़ता है।

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