14 जुलाई को इसरो एक बार फिर से चंद्रयान-3 को लॉन्च करते हुए भारत इतिहास रचने जा रहा है। भारतीय समयानुसार दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा। वहीं, इससे पहले इसरो वैज्ञानिकों की एक टीम चंद्रयान-3 के लघु मॉडल के साथ पूजा-अर्चना करने के लिए तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर पहुंची।
वहीं इससे पहले मंगलवार को ही प्रक्षेपण रिहर्सल पूरा कर लिया गया था। इसरो चांद पर यान की साफ्ट लैंडिंग कराने के मिशन में अगर सफल हो जाता है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद इस सूची में शामिल होने वाला भारत चौथा देश बन जाएगा। वहीं चार साल पहले यानी 2019 में चंद्रयान-2 चांद की सतह पर सुरक्षित तरीके से उतरने में विफल रहा था।
चंद्रयान-3 के तीन इंजनों में लगाए गए 80 प्रतिशत कलपुर्जे उनकी कंपनी ने मुंबई में बनाए हैं। इस काम में करीब 9 महीने तक 200 इंजिनियर और कर्मचारी लगे रहे। इन पार्ट्स पर चंद्रयान-3 को जमीन की सतह से करीब 50 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद तक यान को पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी। इसमें एक इंजन का नाम विकास है, जो यान को करीब 50 किमी की ऊंचाई से 500 किमी की ऊंचाई तक ले जाएगा। आगे की यात्रा बाकी के दो इंजनों से होगी।
चंद्रयान 3 भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में एक बड़ा कदम है। अगर भारत इसमें सफल होता है, तो वह कई मामलों में अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में विश्व के अति उन्नत अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनों के समकक्ष हो जाएगा। यह अभियान चांद की सतह पर रासायनिक तत्वों, मिट्टी और पानी के कणों जैसे प्राकृतिक संसाधनों को देखेगा। यह अभियान चांद की बनावट को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी में इज़ाफ़ा करेगा। हालांकि न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया चंद्रयान 3 की सफलता की प्रतीक्षा कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह मिशन चंद्रमा के विषय में कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी सुनिश्चित करेगी, जोकि दुनिया की सभी अंतरिक्ष एजेंसियों के लिए मूल्यवान होगी।
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