संयुक्त राष्ट्र की एक नयी विज्ञान रिपोर्ट “लोगों और धरती” पर “जलवायु परिवर्तन” के प्रभाव को बयां करेगी| साथ ही, यह भी सुझाव देगी कि अगर समय रहते नेताओं ने ध्यान दिया तो कुछ नुकसानदेह प्रभावों को टाला या कम किया जा सकता है| हालांकि, इस तरह की रिपोर्ट वैज्ञानिकों और वैश्विक नेताओं को अक्सर ही निराश करने वाली होती हैं, लेकिन इसका उद्देश्य लोगों का उत्साह कम करना कतई नहीं है| जर्मन वाइस चांसलर और अर्थव्यवस्था एवं जलवायु मंत्री रॉबर्ट हेबेक ने कहा कि यह वास्तव में उम्मीद जगाने के लिए है, ना कि निराशा लाने के लिए|
हेबेक ने कहा कि यदि आप किसी चीज से डरते हैं तो आप छिपते , शर्माते और भागते हैं| यदि आप किसी चीज की उम्मीद करते हैं तो आप खुद में कुछ प्रेरणा और ऊर्जा पाते हैं| इसी चीज की हमें जरूरत है| वही’ कैथरीन ने कहा ‘इसमें व्यापक रूप से बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन का हम लोगों पर किस तरह प्रभाव पड़ रहा है और हमें इससे निपटने की तैयारी किस तरह करनी चाहिए क्योंकि हम इसे लंबे समय तक नजरअंदाज नहीं कर सकते|’
जलवायु परिवर्तनों में मानव गतिविधियों का सबसे बड़ा हाथ रहा है| यह व्यापक तौर पर अपरिवर्तनीय है, जो प्रकृति में खतरनाक और व्यापक व्यवधान पैदा कर रहा है और दुनिया भर में अरबों लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है| वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल (आईपीसीसी) को यह चेतावनी दी है| आईपीसीसी के अध्यक्ष होसुंग ली ने ‘जलवायु परिवर्तन 2022 के प्रभाव का’ रिपोर्ट जारी करते हुए कहा, ‘यह रिपोर्ट मनुष्य के लिए एक गंभीर चेतावनी है|’ होसुंग ली ने कहा कि ‘रिपोर्ट यह दर्शाता है कि जलवायु परिवर्तन हमारी भलाई और एक स्वस्थ ग्रह के लिए एक गंभीर और बढ़ता खतरा है|
यह भी पढ़ें-
आपदा प्रबंधन: महाराष्ट्र से कोरोना प्रतिंबंध हटाने का निर्णय !