corona crisis:एक बाप और एक बेटे की वो कहानी जो…. 

corona crisis:एक बाप और एक बेटे की वो कहानी जो…. 

लखनऊ। कोरोना काल में सब ओर जद्दोजहद है। कहीं किसी के मौत पर पछतावा है तो किसी को अपने के बचने की ख़ुशी। अजीब है सबकुछ,परियों की कहानी की तरह। कोई फरिश्ता की तरह आकर खाना दे रहा है तो कोई ऑक्सीजन देकर मदद कर रहा है। इंसानियत और मानवता का जीता जगाता उदाहरण। जो दुनिया को यह बताने के लिए काफी है कि हम हर मुसीबत में हारी हुई बाजी भी जीतकर निकलते हैं। ऐसे ही एक बेटा अपने बाप का दुलारा ,बाप भी बेटे को खूब दुलारता है। फ़िलहाल पिता वेंटिलेटर पर हैं, और गंभीर हैं। लेकिन उनका कोई हालचाल लेने वाला कोई नहीं था।अब बेटा वहां डीआरडीओ कोविड अस्पताल में वॉर्ड ब्वॉय की नौकरी हासिल कर ली और बीच-बीच में अपने पिता को देख भी लेता है.लखनऊ के व्यापारी 51 वर्षीय सुरेश प्रसाद को सांस लेने में तकलीफ के बाद उन्हें डीआरडीओ  के अस्थायी कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे कुर्सी रोड पर रहने वाले हैं।
अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनका फोन बंद हो गया। बाहर बेटा रजनीश (बदला हुआ नाम) अपने पिता का हालचाल जानने के लिए परेशान हो गया। वह एक निजी कॉलेज का छात्र है।दो दिन तक रैन बसेरे में रुक कर पिता के स्वास्थ्य की जानकारी हासिल करने का प्रयास करता रहा लेकिन कुछ पता नहीं चला। इसके बाद एक दिन उसको पूछता हुआ एक सफाई कर्मचारी आया। बताया कि उसके पिता सुरेश ने संदेश भेजा है कि यहां अकेलापन है कोई देखने वाला नहीं किसी भी तरह अस्पताल से छुट्टी दिला दो। इसके बाद रजनीश ने कई स्वयं सेवी संगठनों से पिता को डिस्चार्ज  कराने के लिए मदद मांगी लेकिन सफलता नहीं मिली। काफी जद्दोजहद के बाद रजनीश को अस्पताल में वार्डब्वॉय की नौकरी मिल गई। रजनीश नहीं चाहता था कि इस नौकरी के बारे में किसी को जानकारी हो, इसलिए पिता के पास भी उतनी ही देर रुकता है जितना अन्य मरीजों के पास। आज रजनीश दो शिफ्ट काम कर रहा है और अपने पिता के स्वास्थ्य पर भी नजर रखता है।

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