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Wednesday, March 12, 2025
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दिल्ली: वी.एस. जग्गी सहित अनेक हस्तियां को मिला अब्दुल कलाम राष्ट्रीय समर्पण पुरस्कार!

यह पुस्तक संघ के सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए इसके विभिन्न संगठनों की कार्यपद्धति और उनकी प्रतिबद्धता को भी पाठकों के सामने रखती है। 

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दिल्ली विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के सभागार में छठे डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम राष्ट्रीय समर्पण पुरस्कार 2025 का आयोजन किया गया। इस अवसर पर शिक्षा और खेल में योगदान के लिए अनेक हस्तियों को सम्मानित किया गया।

प्रमुख पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं में शिक्षा के क्षेत्र में रामजस कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अजय कुमार अरोड़ा, दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता और अमरोहा स्थित जे.पी.एस. हिंदू कॉलेज के प्राचार्य प्रो. वीर वीरेंद्र सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में पुरस्कृत किया गया।

श्याम लाल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर (खेल) वी.एस. जग्गी को खेलों के क्षेत्र में, डॉ. सुनील विश्वकर्मा को कला और संस्कृति के क्षेत्र में, स्व-नियोजित पेशेवर उमेश जोशी और गोंडा के विधायक अजय महावर को भी सम्मानित किया गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के संघचालक मुख्य अतिथि पवन जिंदल ने जीवनभर निरंतर और समर्पित कार्य करने पर जोर दिया, चाहे वह कार्य पहचाना जाए या नहीं। उन्होंने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने वाले समर्पित व्यक्तियों ने मिलकर देश की “विश्वगुरु” की गौरवमयी स्थिति को फिर से स्थापित किया।

सम्मानित अतिथि रवि शेखर ने चुपचाप कार्य करने के दर्शन की वकालत की। हालांकि, उन्होंने कहा कि एक बुरे कर्म से सैकड़ों अच्छे कर्मों को नुकसान पहुंच सकता है। दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के प्राचार्य प्रो. हेमचंद जैन ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का स्वागत किया।

आयोजन समिति के सदस्य प्रो. सुनीता अरोड़ा, प्रीति गोयल, डॉ. अनेक गोयल, सुधा पांडे, पवन त्यागी, डॉ. रेखा, अनिल, डॉ. रुपेश और विकास मित्तल थे। जूरी सदस्य विवेक चौहान, सुधांशु सुतर, कुसुम, अकरम शाह और डॉ. जतिंदर सिंह ने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं का चयन किया। पुरस्कार समारोह की शुरुआत में दीनदयाल उपाध्याय कॉलेज के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया।

इस अवसर पर संतोष मिश्रा की पुस्तक ‘संघ’ सेवा, समृद्धि और समाज’ का भी उल्लेख किया गया। यह पुस्तक संघ के बारे में गहरी जानकारी प्रदान करती है और चार अध्यायों में विभाजित है। पुस्तक में संघ की उत्पत्ति, वैचारिक पृष्ठभूमि, स्वयंसेवक और संघ प्रशिक्षण, और संघ के विभिन्न संगठनों पर विस्तृत जानकारी दी गई है।

यह पुस्तक संघ के खिलाफ चल रहे तमाम पूर्वाग्रहों और आरोपों का खंडन करती है। यह पुस्तक संघ के सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकार के उद्देश्य को पूरा करने के लिए इसके विभिन्न संगठनों की कार्यपद्धति और उनकी प्रतिबद्धता को भी पाठकों के सामने रखती है।
यह पुस्तक स्पष्ट रूप से यह प्रतिपादित करती है कि संघ में स्वयंसेवक ही प्रधान है और इन्हीं से संघ है। साथ ही यह भी कि संघ में सभी समान हैं।
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