मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कच्ची दरगाह-बिदुपुर छह लेन पुल परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन कर राज्य को एक और बेमिसाल तोहफा दिया। उन्होंने कहा, “इस पुल से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच संपर्क और भी सुलभ हो गया है। हम राज्यभर में गुणवत्तापूर्ण सड़कों और पुलों का लगातार निर्माण कर रहे हैं, ताकि आवागमन तेज और आसान हो।”
76 साल बाद राघोपुर को स्थायी सड़क कनेक्टिविटी: अब तक नावों और पीपा पुल के सहारे राजधानी पटना से जुड़ने वाले राघोपुर दियारा क्षेत्र को पहली बार सालभर की सीधी सड़क सुविधा मिल गई है। मुख्यमंत्री ने बताया, “इस पुल के बन जाने से राघोपुर को अब 5 मिनट में पटना से जोड़ा जा सकता है। यह सिर्फ एक पुल नहीं, बल्कि विकास की नई राह है।”
गंगा पर बना भारत का खास तकनीकी पुल: पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने बताया कि इस परियोजना की लंबाई 19 किलोमीटर है, जिसमें से 9.76 किलोमीटर हिस्सा ‘एक्स्ट्रा डोज केबल स्टे ब्रिज’ के रूप में गंगा नदी पर बनाया गया है। 32 मीटर चौड़े इस ब्रिज को 100 किमी/घंटा की रफ्तार के ट्रैफिक को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है। यह तकनीक भारत में बेहद कम पुलों में ही अपनाई गई है।
महात्मा गांधी सेतु का बोझ कम होगा: नवीन ने कहा कि इस पुल के चालू हो जाने से महात्मा गांधी सेतु पर ट्रैफिक का दबाव काफी हद तक कम हो जाएगा। साथ ही, पटना-बिदुपुर और राघोपुर के बीच एक तेज़, सुरक्षित और वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध हो गया है।
निवेश, व्यापार और चिकित्सा में भी होगा सुधार: इस पुल के ज़रिए न केवल आवागमन आसान हुआ है, बल्कि राघोपुर जैसे पिछड़े क्षेत्रों में कृषि, व्यापार और छोटे उद्योगों के विकास की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं भी अब लोगों को शीघ्र मिल सकेंगी।
2027 तक हर कोने से पटना की दूरी होगी साढ़े तीन घंटे: पथ निर्माण मंत्री ने कहा कि नीतीश सरकार का लक्ष्य है कि 2027 तक राज्य के किसी भी कोने से राजधानी पटना तक की यात्रा अधिकतम 3.5 घंटे में पूरी की जा सके — और यह पुल उस दिशा में एक बड़ा कदम है।
कुल खर्च 5000 करोड़, ADB ने दिया सहयोग: इस विशाल परियोजना पर कुल 5000 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं, जिसमें से 3000 करोड़ एशियन डेवलपमेंट बैंक से ऋण के रूप में मिले हैं जबकि बाकी राशि राज्य सरकार ने वहन की है।
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