नाटो की सदस्यता लेने के बारे में फिनलैंड की संसद में अगले सप्ताह चर्चा की जाएगी। इसकी जानकारी खुद फिनलैंड के पीएम सना मरीन की तरफ से दी गई है। बता दें कि फिनलैंड के अलावा स्वीडन भी नाटो की सदस्यता लेने पर विचार कर रहा है। जून में मैड्रिड में होने वाले नाटो सम्मेलन से पहले ही इन दोनों के फैसले का भी एलान कर दिया जाएगा।
नाटो इस बात का भी संकेत दे चुका है कि यदि ये दोनों देश नाटो में शामिल होने पर फैसला करते हैं तो इसकी प्रक्रिया को जल्द पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, फिनलैंड और स्वीडन की इस मंशा को लेकर रूस ने आगाह किया है।
रूस की तरफ से कहा गया है कि यदि इस तरह का कोई फैसला लिया गया तो ये यूरोप के लिए अच्छा नहीं होगा। इससे यूरोप संघर्ष की राह पर बढ़ सकता है और यूरोप में अस्थिरता फैल सकती है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि फिनलैंड और स्वीडन के साथ रूस ने पूर्व में एक समझौता किया हुआ है। इसके तहत वो तटस्थ बना रहेगा।
गौरतलब है कि रूस के यूक्रेन पर हमला करने की एक बड़ी वजह नाटो ही बना था। हालांकि फिनलैंड और स्वीडन की तरफ से नाटो का सदस्य बनने की कोशिशें अभी शुरू हुई हैं लेकिन यूक्रेन की बात करें तो उसने ये कोशिश काफी समय पहले से शुरू कर दी थी। लेकिन अब तक उसको नाटो की सदस्यता नहीं मिल सकी है। मौजूदा समय में नाटो को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की काफी मायूस हो चुके हैं। उन्होंने एक बार यहां तक कहा था कि उन्होंने इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डाल दिया हे।
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