अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार (11 अगस्त) को व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दावा किया कि भारत के रूसी तेल खरीद पर लगाए गए अमेरिकी शुल्क ने मॉस्को की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया है। उन्होंने कहा कि भारत रूस का सबसे बड़ा या दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीदार है और इस कदम से रूस की आर्थिक स्थिति पर गंभीर असर पड़ा है।
ट्रंप ने कहा, “रूस की अर्थव्यवस्था ठीक नहीं कर रही है… यह इस वजह से काफी हद तक प्रभावित हुई है।” उन्होंने आगे कहा, “मेरा मानना है कि रूस को अपने देश के निर्माण पर वापस ध्यान देना चाहिए। उनके पास अपार संभावनाएं हैं, लेकिन अभी हालात अच्छे नहीं हैं, क्योंकि यह कदम उनके लिए बड़ा व्यवधान साबित हुआ है।”
अमेरिकी राष्ट्रपति ने साफ तौर पर संकेत दिया कि भारत की ऊर्जा खरीद पर दबाव बनाना रूस के लिए एक कमजोर बिंदु है। उन्होंने कहा, “जब अमेरिका का राष्ट्रपति उनके सबसे बड़े या दूसरे सबसे बड़े तेल खरीदार से कहता है कि अगर तुम रूस से तेल खरीदोगे तो हम तुम पर 50% शुल्क लगाएंगे… तो यह बड़ा झटका है।”
ट्रंप प्रशासन ने भारत पर पहले ही 25% पारस्परिक शुल्क लगाया था, जिसके साथ रूसी तेल खरीद पर अतिरिक्त 25% शुल्क जोड़ा गया। कुल मिलाकर यह 50% टैरिफ है। भारत ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए इसे “अनुचित, अन्यायपूर्ण और अनुचित” बताया है।
ट्रंप ने पुष्टि की कि वह शुक्रवार को अलास्का में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे। उन्होंने कहा, “मुझे यह बहुत सम्मानजनक लगा कि रूस के राष्ट्रपति हमारे देश आ रहे हैं, बजाय इसके कि हम उनके देश जाएं या किसी तीसरे देश में मुलाकात करें। मुझे लगता है हमारी बातचीत रचनात्मक होगी।” ट्रंप ने बताया कि इस बैठक के बाद वह यूरोपीय नेताओं से भी वार्ता करेंगे और पुतिन तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की के बीच बातचीत कराने की कोशिश करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया कि उन्होंने व्हाइट हाउस में अपने दूसरे कार्यकाल में अब तक पांच युद्ध समाप्त कराए हैं और फिर दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच टकराव रोका था। हालांकि, भारत ने कई बार स्पष्ट किया है कि पाकिस्तान के साथ युद्धविराम समझौता दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) की सीधी बातचीत के बाद हुआ था।
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