अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार (9 अक्तूबर)को घोषणा की कि वे जल्द ही मिस्र की यात्रा पर जाएंगे, जहां इज़राइल और हमास के बीच हुए गाज़ा युद्धविराम समझौते पर औपचारिक हस्ताक्षर होंगे। यह दौरा ट्रंप के गाज़ा शांति योजना के पहले चरण के सफल क्रियान्वयन के बाद हो रहा है। ट्रंप ने अपने व्हाइट हाउस कैबिनेट मीटिंग के दौरान कहा, “मैं वहां जाने की कोशिश कर रहा हूं। हम वहां पहुंचने की योजना पर काम कर रहे हैं, और सही समय तय कर रहे हैं। हम मिस्र जाएंगे, जहां हस्ताक्षर होंगे, एक अतिरिक्त साइनिंग होगी, हमने पहले भी एक साइनिंग की है।”
ट्रंप ने बताया कि गाज़ा से बंधकों की रिहाई की प्रक्रिया जटिल है, लेकिन यह सोमवार या मंगलवार तक पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि लगभग 28 बंधकों के शव भी वापस लाए जाने हैं, हालांकि उन्होंने इस अदला-बदली के समय और विवरण साझा नहीं किए। उन्होंने कहा, “असल में शवों का मामला ज़्यादा मुश्किल है, क्योंकि उनमें से कुछ को ढूंढना आसान नहीं होगा। स्थिति थोड़ी जटिल है, लेकिन हम पूरी कोशिश कर रहे हैं।”
युद्ध में हुई तबाही पर बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि करीब 70,000 फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं, जिसे उन्होंने “इज़राइल की बड़ी जवाबी कार्रवाई” (big retribution) बताया। ट्रंप ने कहा, “हमास के दृष्टिकोण से देखें तो उन्होंने लगभग 70,000 लोगों को खोया है — यह बहुत बड़ी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई है।”
इस ऐतिहासिक दिन के लिए मिस्र में तैयारियां जोरों पर हैं। बुधवार (8 अक्तूबर)को मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी ने ट्रंप को समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा था, “अगर समझौता हो जाता है, तो आपका उसके हस्ताक्षर में शामिल होना हमारे लिए सम्मान की बात होगी।”
गुरुवार को राष्ट्रपति सीसी ने ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ और जेरेड कुशनर से काहिरा में मुलाकात की। बैठक के बाद मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि वह युद्धविराम समझौते का स्वागत करता है और इस ऐतिहासिक समझौते के हस्ताक्षर को जल्द ही समारोहपूर्वक मनाने का इच्छुक है। बयान में कहा गया, “युद्ध का अंत सभी देशों की इच्छा में शामिल है।” सीसी ने यह भी दोहराया कि ट्रंप को आमंत्रित करने का उद्देश्य “इस ऐतिहासिक समझौते के गवाह बनना और उस क्षण को यादगार बनाना है।”
यह दौरा न केवल ट्रंप की मध्य पूर्व नीति की अहम सफलता मानी जा रही है, बल्कि यह इज़राइल-हमास संघर्ष के अंत की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ भी साबित हो सकता है।
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