राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुखोई फाइटर जेट से उड़ान भरी

राष्ट्रपति ने तेजपुर एयरबेस से उड़ान भरी।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुखोई फाइटर जेट से उड़ान भरी

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार यानी आज तेजपुर वायुसेना स्टेशन से सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में उड़ान भरा। तेजपुर एयरफोर्स बेस भारत की चार देशों चीन, म्यांमार, बांग्लादेश और भूटान से सुरक्षा करता है। तीनों सेनाओं की सुप्रीम कमांडर होने के नाते उन्हें सेना की ताकतों, हथियारों और नीतियों से अवगत कराया जाता है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से पहले पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटील और रामनाथ कोविंद वायुसेना के फाइटर जेट्स में उड़ान भर चुके हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूर्वी एयर कमांड एयर मार्शल एसपी धरकर ने रिसीव किया। असम के गवर्नर गुलाब चंद कटारिया और मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी इस मौके पर मौजूद रहे। बता दें कि सुखोई को रूस के सैन्य विमान निर्माता कंपनी सुखोई और भारत की हिन्दुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के सहयोग से बनाया गया है। सुखोई-30 MKI विमान चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है।

सुखोई 2100 किमी प्रतिघंटे से भी तेज रफ्तार से उड़ सकता है। सुखोई करीब 1 मिनट में 150 राउंड फायर कर सकता है। ये हवा में ही इंधन भर सकता है और ब्रह्मोस समेत कई मिसाइलों और लेजर बमों को लेकर भी उड़ान भर सकता है।सुखोई-30 विमान की लंबाई 72 फीट है। पंखों की चौड़ाई 48.3 फीट है जबकि ऊंचाई 20.10 फीट है। भारी भरकम विमान का वजन 17,700 किलोग्राम है। यह अधिकतम 56,800 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है। इस समय चीन से लगी सीमा पर सेना को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चीन लगातार घुसपैठ की कोशिशें करता रहता है। ऐसे समय में राष्ट्रपति का सुखोई लड़ाकू विमान में उड़ान भरना भारत की तरफ से दुश्मन देशों को एक कड़ा संदेश देना है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का 6 मार्च से 8 मार्च तक का तीन दिवसीय दौरा असम में था। द्रौपदी मुर्मू 7 अप्रैल को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गज उत्सव-2023 का उद्घाटन किया और बाद में गुवाहाटी में माउंट कंचनजंगा अभियान-2023 को झंडी दिखाकर रवाना किया। उसी दिन वह गुवाहाटी में हाई कोर्ट के 75 साल पूरे होने के अवसर पर आयोजित समारोह में भी शामिल हुई। गज उत्सव राष्ट्रीय उद्यान में आयोजित होने वाला एक वार्षिक कार्यक्रम है और इस साल केंद्र और राज्य सरकारों के पर्यावरण और वन विभाग संयुक्त रूप से इसका आयोजन किया गया।

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