भारत और रूस के बीच डिफेन्स समझौते के तहत भारतीय सेना 2025 में करीब 70,000 एके 203 राइफल्स लेने वाली है जिसकी आधुनिक मारक क्षमता आतंकवाद और हाई – ऑल्टिटूड से सेना के पर चल रहे सुरक्षा ऑपरेशन्स में सहायता होगी| जुलाई 2021 में साइन हुई इस डील के तहत इंडो – रूस राइफल्स प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना हुई थी जिसमे रूस ने भारत के साथ राइफल्स बनाने और उसकी तकनिकी अनुकर्णो को भी साझा करने का वायदा किया था| इसके बाद साल 2023 में इसका पूर्ण रूप से निर्माण शुरू था और पहले कन्साइनमेंट में भारतीय सेना को करीब 35000 राइफल्स दी गयी थीं|
अगले साल 2026 में इसकी संख्या एक लाख के करीब पहुँचने की आशंका है| एके 203 भारत और रूस के संयुक्त उद्यम से उत्तर प्रदेश के अमेठी में बनने वाली राइफल है| भारत सरकार के आत्मनिरंभर भारत की पहल का यह एक अमूल्य हिस्सा है और सेना के सशक्तिकरण की ओर सजग प्रयास है|
श्रमदक्षता, अनुकूलता, और स्थायित्व के गुणों से बानी इस राइफल में इस बार स्वदेशी उपकरणों की संख्या बढ़कर 30% हो गयी है| सेना में इस्तेमाल की जाने वाली इंसास राइफल्स के मुकाबले एके 203 काफी आधुनिक है. इनके इस्तेमाल से लेकर रखरखाव में आसानी होती है| इसकी सबसे ख़ास बात यह है कि इसकी मैगज़ीन कैपेसिटी भी ज़्यादा है और कैलिबर भी यथार्थ है जिस वजह से इसे ऑपरेट करने में आसानी होती है. भारतीय सेना भी इनसे राइफल्स को अब फेज़ आउट कर रही है ताकि आधुननक हथियारों को प्रयोग में लाया जा सके|
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रक्षा मंत्रालय के विवरण अनुसार इन राइफल्स के उत्पादन से न सिर्फ देश की सुरक्षा की क्षमता बढ़ेगी बल्कि भारत और रूस के बीच सम्बन्ध भी मज़बूत होंगे| भारत की सीमाओं पर, ख़ास तौर पर चीन के साथ तनावपूर्ण हालत में, एके 203 का निर्माण देश की सुरक्षा को स्थायी करता है|