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Monday, December 8, 2025
होमदेश दुनिया"हरित क्रांति के जनक" एमएस स्वामीनाथन ​का​ निधन, आज अंतिम विदाई

“हरित क्रांति के जनक” एमएस स्वामीनाथन ​का​ निधन, आज अंतिम विदाई

भारत में 'हरित क्रांति के जनक' कहे जाने वाले अनुभवी कृषि विज्ञानी एमएस स्वामीनाथन को देशभर में श्रद्धांजलि दी ​गयी​। स्वामीनाथन का गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे|उनकी तीन बेटियां हैं। उनकी ​एक बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर चुकी हैं।

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भारत में ‘हरित क्रांति के जनक’ कहे जाने वाले अनुभवी कृषि विज्ञानी एमएस स्वामीनाथन को देशभर में श्रद्धांजलि दी गयी। स्वामीनाथन का गुरुवार को यहां निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे|उनकी तीन बेटियां हैं। उनकी ​एक बेटी डॉ. सौम्या स्वामीनाथन विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य कर चुकी हैं।
स्वामीनाथन के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए चेन्नई के एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन (MSSRF) परिसर में रखा गया। समाज के सभी वर्गों के लोग, विशेषकर किसान, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ पड़े। आज 30 सितंबर को पूरी पुलिस मौजूदगी के साथ उनके शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
1960 के दशक में, जब भारत में भूख की समस्या व्याप्त थी, स्वामीनाथन ने कृषि के आधुनिक तरीकों का प्रसार करके देश में हरित क्रांति लायी। उसके बाद, भारत ने खाद्यान्न के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर रहने वाले देश की पहचान मिटाकर ‘विश्व के अन्न भंडार’ के रूप में एक नई पहचान हासिल की। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक एके सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि स्वामीनाथन का निधन कृषि अनुसंधान, शिक्षा और विस्तार के एक युग का अंत है|
स्वामीनाथन ने देश में कम आय वाले किसानों के लिए चावल की उच्च उपज वाली किस्में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। प्रशासन में रहते हुए उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर अपने कामकाज की छाप छोड़ी थी. उन्होंने 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
किसानों को दोहरी गारंटी की सिफारिश: किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं के मद्देनजर किसानों की स्थिति का अध्ययन करने और उनकी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए राष्ट्रीय किसान आयोग की स्थापना की गई थी। इस आयोग को स्वामीनाथन आयोग के नाम से भी जाना जाता है। 2006 में केंद्र सरकार को सौंपी गई उनकी रिपोर्ट में एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह थी कि किसानों को उनकी उपज के लिए मिलने वाली गारंटीकृत कीमत वस्तु की उत्पादन लागत से कम से कम दोगुनी होनी चाहिए।
एमएस स्वामीनाथन अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ गए हैं। यह विरासत मानव जाति को एक सुरक्षित और भूख मुक्त दुनिया की ओर ले जाने वाली मार्गदर्शक रोशनी के रूप में काम करेगी। – द्रौपदी मुर्मू, राष्ट्रपति
स्वामीनाथन के अभिनव कार्यों से भारतीयों को खाद्य सुरक्षा मिली और लाखों लोगों का जीवन बदल गया। – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
भारत की कृषि प्रणाली में क्रांति लाने की स्वामीनाथन की दृढ़ प्रतिबद्धता ने भारत को अधिशेष अनाज वाले देश में बदल दिया है। – राहुल गांधी, कांग्रेस नेता
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