ईरान में प्रदर्शनकारियों और सरकार का विरोध करने वाले लोगों को लेकर सजा ए मौत देने का सिलसिला अब भी जारी है। वहीं अब ईरान ने ब्रिटेन के लिए जासूसी करने के आरोप में दोषी ठहराए जाने के बाद पूर्व वरिष्ठ रक्षा अधिकारी अली रजा अकबरी को मौत की सजा सुनाई है। उन्होंने 2001 में प्रधानमंत्री मोहम्मद खातमी के अधीन उप रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया था। अकबरी ने ईरान और पश्चिम शक्तियों के बीच पिछली परमाणु वार्ता की जासूसी की थी। दरअसल ईरानी खुफिया ने उसे गलत जानकारी देकर जासूसी का पर्दाफाश किया।
ईरान ने अली रजा को साल 1997 से 2005 तक रक्षा मंत्री के डिप्टी रहते हुए जासूसी करने का गुनहगार माना है। साल 2019 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। ईरान ने अली रजा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने परफ्यूम की एक बोतल और एक शर्ट के लिए नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की खुफिया जानकारी लीक कर दी थी। वहीं ब्रिटेन के फॉरेन सेक्रेटरी जेम्स क्लीवर्ली ने ट्वीट कर लिखा है कि अली रजा को मौत की सजा देना राजनीति से प्रेरित है।
2019 में अली रहा को एक ईरान के डिप्लोमेट ने बातचीत के लिए बुलाया था। जब अली रजा वहां पहुंचे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनका आरोप है कि 3500 घंटों से इंटेलिजेंस एजेंट उन्हें टॉर्चर कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि ईरान 10 कैमरे लगाकर हॉलीवुड स्टाइल में उनसे गुनाह कबूल करवा रहा है। ईरान की इंटेलिजेंस मिनिस्ट्री ने अली रजा अकबरी को देश के सबसे बड़े घुसपैठियों में से एक बताया है।
वहीं इससे पहले जनवरी को मोहम्मद माहदी करामी और सैयद मोहम्मद होसैनी नाम के दो युवकों को सुबह फांसी दी गई थी। ईरान ने 2022 में 500 से ज्यादा लोगों को मौत की सजा दी है। इन्हें रिवोल्यूशनरी कोर्ट के बंद दरवाजों के पीछे बिना निष्पक्ष सुनवाई के ही सजा सुना दी गई। इससे पहले 2021 में 333 और 2020 में 267 लोगों को मौत की सजा दी गई थी।
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